पकड़े गए तेंदुओं में नहीं मिला हिंसक होने का लक्षण, फिर कौन से जानवर कर रहे हमले?
लखीमपुर जिले में बाघों के साथ तेंदुआ भी हमलावर हो रहे हैं। पिछले दिनों बफर जोन व दक्षिण खीरी वन प्रभाग में दो तेंदुओं को पकड़ा गया है। विभाग को इस बात की आशंका थी कि बाघों के साथ तेंदुए भी इंसानों पर हमले कर रहे हैं।
लखीमपुर जिले में बाघों के साथ तेंदुआ भी हमलावर हो रहे हैं। पिछले दिनों बफर जोन व दक्षिण खीरी वन प्रभाग में दो तेंदुओं को पकड़ा गया है। विभाग को इस बात की आशंका थी कि बाघों के साथ तेंदुए भी इंसानों पर हमले कर रहे हैं, लेकिन पकड़ने के बाद जब इनका परीक्षण किया गया तो इसमें वह इंसानों पर हमले के दोषी नहीं माने गए। वन विभाग के विशेषज्ञों ने इनका परीक्षण करने के बाद क्लीन चिट दे दी। जिससे बाद में इनको फिर से जंगल में छोड़ा गया है। दुधवा के फील्ड डायरेक्टर ललित वर्मा ने बताया कि पकड़े गए तेंदुए पूरी तरह स्वस्थ थे। वे गुस्सैल भी नहीं लग रहे थे। इसलिए यह निर्णय लिया गया है।
तीन दिन पहले धौरहरा क्षेत्र में एक तेंदुआ को वन विभाग ने पिंजड़ा लगाकर पकड़ा। इलाके में यह तेंदुआ काफी दिनों से गांवों के आसपास दिख रहा था। इससे गांव वालों में दहशत थी। वन विभाग की टीम लगातार काम्बिंग करती रही। तीन दिन पहले तेंदुआ को पकड़ा गया। उसको वन रेंज कार्यालय लाया गया यहां तेंदुआ के स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही उसके स्वभाव का अध्ययन किया गया। इसमें पता चला कि इस तेंदुआ ने अब तक इंसानों पर हमला नहीं किया है।
इसके बाद इस तेंदुआ को फिर से जंगल में छोड़ दिया गया। इसके अलावा दो दिन पहले शारदानगर क्षेत्र के पटना गांव के पास लगाए गए पिंजड़े में तेंदुआ कैद हुआ। इस तेंदुआ के स्वास्थ्य का परीक्षण करने, इसके भी स्वभाव का अध्ययन करने पर यह तेंदुआ भी इंसानों पर हमलावर नहीं मिला। वन विभाग ने बाद में इसको फिर से जंगल में छोड़ दिया गया।
बताते चलें कि चार दिन पहले खंभारखेड़ा गांव के पास एक बच्चे को जंगली जानवर ने शिकार बना लिया था, वहीं एक युवक पर हमला किया था। इसके बाद से ही वन विभाग तेंदुओं को पकड़ने का अभियान चला रहा था। हालांकि गांव वालों का कहना है कि गांवों के आसपास तेंदुए देखे गए हैं। हमला करने वाले तेंदुआ ही हैं। हालांकि बीस दिनों तक निगरानी की बात अधिकारी कह रहे हैं।