Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़UP Ayodhya Temporary Ram Temple will be kept safe Puja will continue Ramlala was kept after tent

टेंट से निकलकर जिस मंदिर में रहे थे रामलला उसे रखा जाएगा सुरक्षित, जारी रहेगा पूजन

अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि में अस्थाई मंदिर को सुरक्षित किया जाएगा। इसका फैसला ले लिया गया है। यह वही स्थल है जहां पर रामलला को पांच अगस्त,2019 को राम मंदिर का शिलान्यास होने के बाद से तीन साल तक पूजा की गई।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, अयोध्याSat, 5 Oct 2024 09:01 AM
share Share

अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि में अस्थाई मंदिर को सुरक्षित किया जाएगा। इसका फैसला ले लिया गया है। यह वही स्थल है जहां पर रामलला को पांच अगस्त,2019 को राम मंदिर का शिलान्यास होने के बाद से तीन साल तक पूजा की गई। रामलला तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मंदिर निर्माण के लिए विराजमान रामलला को टेण्ट से निकाल कर 25 मार्च 2020 को जिस अस्थाई मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया था, उस अस्थाई मंदिर को भी सुरक्षित रखने का निर्णय लिया गया है। यह अस्थाई मंदिर थाईलैंड से लाई गई लकड़ियों से निर्मित है।

अस्थाई मंदिर की खासियत यह भी है कि यह वाटर प्रूफ ही नहीं, फायर प्रूफ भी है। फिलहाल यहां विराजमान रामलला के साथ हनुमान जी के भी विग्रह का पूजन अर्चन किया जा रहा था। राम मंदिर निर्माण के बाद 22 जनवरी 2024 को विराजमान रामलला समेत उनके अनुजों को यहां लाया गया लेकिन हनुमान जी उसी अस्थाई मंदिर में ही रह गये। तभी से यहां अकेले हनुमान जी का पूजन चल रहा है। इसके अलावा इस अस्थाई मंदिर में भगवान के भोग के लिए रसोई है, जो यथावत चल रही है। नवीन मंदिर में भगवान के लिए भोग प्रसाद का निर्माण कर यहीं से भेजा जाता है।

ये भी पढ़ें:ज्ञानवापी से जुड़े तीन मामलों में सुनवाई आज, अलग-अलग कोर्ट में सुने जाएंगे केस

सप्त मंडपम के मध्य में जलाशय निर्माण की तैयारी
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में कुबेर टीला व शेषावतार मंदिर के त्रिकोण सप्त मंडपम निर्माणाधीन है। इन मंदिरों के साथ इनमें प्रतिष्ठित होने वाली मूर्तियों जिनमें महर्षि अगस्त्य, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि व महर्षि विश्वामित्र के अलावा ऋषि पत्नी देवी अहिल्या, माता शबरी व निषादराज शामिल हैं, की मूर्तियों का निर्माण भी तेज गति से चल रहा है। इन मूर्तियों के निर्माण में राजस्थान के कारीगरों के अलावा उड़ीसा के शिल्पकार भी शामिल किए गए हैं। उधर इन्हीं सप्त मंडपम के मध्य में कुंड (जलाशय) का भी निर्माण किया जाएगा। इसके निर्माण की तैयारियां भी शुरू कर दी गयी है। यहां चल रहे भवन-निर्माण समिति की बैठक में कुंड के डिजाइन पर विमर्श किया गया।

10-15 हजार भक्तों के लिए निर्मित स्टैंड का हर दिन एक लाख के लिए होगा उपयोगी
तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय ने बताया कि परकोटा के दक्षिण -पश्चिम में यात्रियों को मंदिर में प्रवेश के पहले हाथ-पैर धोकर जाने की व्यवस्था की जा रही है। बताया गया कि यहीं पर जूता -चप्पल स्टैंड भी बनाया जाएगा। इसके कारण श्रद्धालुओं को गर्मी के दिनों में न्यूनतम दूरी तक ही नंगे पांव चलना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि चिह्नित स्थल पर पर्याप्त जगह है जहां 10-15 हजार श्रद्धालुओं के जूता-चप्पल रखने की व्यवस्था हो सकती है। इस व्यवस्था का का उपयोग 12-13 घंटे के दर्शन में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि शिखर के निर्माण में चार महीने लग सकते हैं लेकिन ओपनिंग तिथि दिसम्बर 2024 ही निर्धारित है। प्राकृतिक आपदा व विभिन्न पर्वों पर श्रमिकों के अवकाश को ध्यान में रखकर 30-35 दिन का विस्तार माना गया है।

जुलाई 2025 तक निर्माण कार्य की 90 प्रतिशत एजेंसियों का काम हो जाएगा पूरा
भवन मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि परिसर में पूर्ण होने वाले निर्माण जल्द ही तीर्थ क्षेत्र को हैंड ओवर किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि विद्युत सब स्टेशन, फायर स्टेशन, एसटीपी, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट व वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पूर्ण हो गए हैं । इन सबको किस्तों में हैंड ओवर किया जाएगा। इसके संचालन और मेंटेनेंस का कार्य अब ट्रस्ट को देखना होगा। उन्होंने बताया कि जुलाई 2025 तक मंदिर निर्माण में लगी 90% एजेंसियां वापस हो जायेगी। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के शिखर का निर्माण एक तकनीकी चैलेंज है। इस कार्य में सारी एजेंसियां जो मंदिर निर्माण से जुड़ी हुई है जिनमें लार्सन एंड टुब्रो, टाटा कंसलटेंसी व सीबीआरआई सभी मिलकर हर लेयरपरकामकरेगी।

अगला लेखऐप पर पढ़ें