अयोध्या राम मंदिर का इतिहास अलग-अलग भाषाओं में होगा अंकित, तैयार हो रहे पत्थर
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ रामभक्तों खासकर युवाओं को राम मंदिर के प्राचीन व आधुनिक इतिहास से परिचित कराने की योजना पहले ही बनाई थी। इस योजना के अन्तर्गत अलग अलग भाषाओं में इतिहास अंकित किया जाएगा।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ रामभक्तों खासकर युवाओं को राम मंदिर के प्राचीन व आधुनिक इतिहास से परिचित कराने की योजना पहले ही बनाई थी। इस योजना के अन्तर्गत अलग अलग भाषाओं में इतिहास अंकित किया जाएगा। फिलहाल तीर्थ क्षेत्र ने राम मंदिर के सीढ़ियों के उत्तरी भाग में जहां से विशिष्ट दर्शनार्थियों का मंदिर में प्रवेश होता के बायीं तरफ दीवार में इस इतिहास को उत्कीर्ण कराया है। यह राम मंदिर के लोअर प्लिंथ का भाग है। यहां राजस्थान के रेड सैंड स्टोन की दीवार पर फिलहाल आंग्ल भाषा में प्राचीन व आधुनिक इतिहास का संक्षिप्त विवरण अंकित है। इस विवरण को आइकोनोग्राफी के जरिए उत्कीर्ण वाक्यांशों को लाल रंग से भर दिया गया है जिससे कि अक्षर उभर आए और इन्हें ठीक से पढ़ा जा सकता है।
हिंदी में ऐतिहासिक विवरण का चल रहा अंकन
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के न्यासी डा अनिल मिश्र बताते हैं कि इस देश के अधिकांश युवा राम मंदिर के प्राचीन इतिहास के साथ नब्बे के दशक में हुए मंदिर आंदोलन से अपरिचित हैं। इसके कारण उन्हें इतिहास की जानकारी देने की आवश्यकता है। वास्तविकता से अवगत होने के बाद उनकी रुचि बढ़ेगी और मन में श्रद्धा भाव भी बढ़ेगा। अन्यथा वह राजनीतिक प्रोपोगंडा का ही शिकार होकर गुमराह होते रहेंगे। उन्होंने बताया कि तीर्थ क्षेत्र की भवन-निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र की अध्यक्षता में इतिहास के अंकन का कार्य हुआ है। अभी हिंदी भाषा में भी ऐतिहासिक विवरण लिखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि अन्य देशज भाषाओं में भी इसका अंकन भविष्य में कराया जाएगा।
अवध गजेटियर सहित कोर्ट दस्तावेजों से संकलित किया इतिहास
इस विवरण में बताया गया कि यह वहीं पवित्र स्थान है, जहां भगवान राम का जन्म हुआ। बताया गया कि यहां कालांतर में 11 वीं सदी में निर्मित भव्य मंदिर की इमारत थी । इस मंदिर को मुगल शासक बाबर के सेनापति मीरबांकी ने 1528 एडी में ध्वस्त कर दिया। इस विवरण में ब्रिटिश कमिश्नर जोजेफ टिफिनथेलर के सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है यहां राम जन्मस्थान की पुष्टि की गयी। विवरण में निर्मोही अखाड़ा के तत्कालीन महंत रघुवर दास द्वारा 1853 एंडी में राम चबूतरे के ऊपर छत को लेकर डिस्ट्रिक्ट जज की अदालत में दायर मुकदमे की भी चर्चा की गयी है।
28 नवम्बर 1858 में गुरु गोविंद सिंह ने यहां हवन-पूजन किया था
यहां अंकित विवरण में बताया गया कि 28 नवम्बर 1858 में निहंग सिखों के समूह ने यहां आकर हवन-पूजन किया। इस समूह का नेतृत्व गुरु गोविंद सिंह देव कर रहे थे। इसमें 1934 की घटना के साथ 22/23 दिसम्बर 1949 में रामलला के प्राकट्य की भी जानकारी दी गई है। इसके अतिरिक्त सिविल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई और फैसलों के अलावा सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई व दिए गये आदेशों की जानकारी भी साझा की गयी है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया व 22 जनवरी 2024 को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का भी जिक्र किया गया है।