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यूपी विधानसभा उपचुनाव : टिकट वितरण में पिछड़ों को तरजीह देगी बीजेपी, जानें प्लान

UP Assembly by-election: बीजेपी टिकट वितरण में पिछड़ों को तरजीह देगी। इनमें से आधी से अधिक सीटों पर ओबीसी वर्ग के चेहरे उतारे जाने की संभावना है। बीजेपी का ओबीसी को साधने पर ज्यादा फोकस रहेगा।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, लखनऊ। राजकुमार शर्माThu, 17 Oct 2024 05:38 AM
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यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी पिछड़े वर्ग को तरजीह देगी। इनमें से आधी से अधिक सीटों पर ओबीसी वर्ग के चेहरे उतारे जाने की संभावना है। इसमें करहल, कटेहरी, मझवां, फुलपुर में पिछड़े वर्ग से आने वालों को टिकट मिल सकता है। वहीं, रालोद भी अपने कोटे की मीरापुर सीट पर किसी ओबीसी वर्ग से जुड़े चेहरे पर दांव लगा सकता है। गाजियाबाद व कुंदरकी सामान्य वर्ग के हिस्से आ सकती है जबकि खैर सीट रिजर्व होने के चलते वहां किसी दलित का उतरना तय है।

प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटें रिक्त हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने अभी फैजाबाद की मिल्कीपुर सीट छोड़कर नौ सीटों पर ही उपचुनाव की घोषणा की है। भारतीय जनता पार्टी आलाकमान यूपी की कोर कमेटी के साथ बैठक में इन सीटों पर चेहरे लगभग तय कर चुका है। अब उन पर केंद्रीय चुनाव समिति की मुहर लगना बाकी बताया जा रहा है। भाजपा मीरापुर सीट अपने सहयोगी रालोद को देगी जबकि एक सीट का फार्मूला निषाद पार्टी के साथ तय किया गया है। यह सीट मझवां हो सकती है।

बिखरा गुलदस्ता सजाने पर फोकस

सपा ने अभी तक छह प्रत्याशी घोषित कर अपने ‘पीडीए’ के फार्मूले पर आगे बढ़ने का ऐलान किया है। अब भाजपा की बारी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो टिकट वितरण में ओबीसी को साधने पर ज्यादा फोकस रहेगा। दरअसल, हालिया लोकसभा चुनाव में एक ओर विपक्ष के संविधान खतरे में है, वाले नेरेटिव ने भाजपा को मिलने वाले दलित वोटों को छिटका दिया था। वहीं, भगवा खेमे का ओबीसी जातियों की गोलबंदी से बना गुलदस्ता भी बिखर गया था। यहां तक कि भाजपा अपने अगड़े वोटों में सेंधमारी भी नहीं रोक पाई थी। नतीजतन, यूपी में भगवा विजयरथ ठिठका ही नहीं, बल्कि उसे दूसरे नंबर के दल के तमगे से संतोष करना पड़ा था।

करहल में शाक्य पर दांव संभव

अब भाजपा विधानसभा उपचुनाव में अपने हिस्से के सामाजिक ताने-बाने को दुरुस्त करना चाहती है। मैनपुरी लोकसभा करहल सीट सपा का गढ़ मानी जाती है। खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव इस सीट से विधायक थे, जो अब कन्नौज से सांसद बन चुके हैं। इस सीट से भाजपा किसी शाक्य चेहरे पर दांव लगा सकती है। दरअसल, पश्चिमी यूपी या भाजपा के इस ब्रज क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में शाक्य वोटर पार्टी से लगभग छिटक गया था। इतना कि बदायूं सीट पर भाजपा के शाक्य प्रत्याशी (दुर्विजय शाक्य) को छोड़ इस बिरादरी के लोगों ने सपा प्रत्याशी को वरीयता दी थी। मैनपुरी, एटा, फर्रुखाबाद सहित कई सीटों पर शाक्य वोटों को लेकर ऐसी ही स्थिति देखने को मिली थी। वहीं, मझवां, फूलपुर और कटेहरी सीटों पर बिंद, कुर्मी, निषाद जाति के चेहरों दांव लगाए जाने की संभावना है। जहां तक खैर की आरक्षित सीट का सवाल है तो यहां से एक पूर्व जनप्रतिनिधि के किसी परिवारीजन की भी लॉटरी खुल सकती है। वहीं, यदि मिल्कीपुर सीट पर भी चुनाव की घोषणा हुई तो वो भी आरक्षित श्रेणी की है। वहां भी दलित प्रत्याशी ही मैदान में आएगा।

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