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लखनऊ में नवजातों की खरीद-फरोख्‍त का भंडाफोड़, डॉक्‍टर भी शामिल; 3 महिलाओं समेत 6 गिरफ्तार

  • सोशल मीडिया में एक वीडियाे वायरल हुआ था। इसमें संतोष कुमारी और नीरज गौतम के द्वारा बच्चों की तस्करी करने का जिक्र था। उसी आधार पर नीरज और संतोष को पकड़ा गया। पूछताछ में पता चला कि सीतापुर हरगांव के एक नर्सिंग होम में दो माह पहले एक बच्ची का जन्म हुआ था। उसकी मां बच्ची को रखना नहीं चाहती थी।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, वरिष्‍ठ संवाददाता, लखनऊWed, 26 Feb 2025 05:30 AM
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लखनऊ में नवजातों की खरीद-फरोख्‍त का भंडाफोड़, डॉक्‍टर भी शामिल; 3 महिलाओं समेत 6 गिरफ्तार

Trading of Newborns: नवजात शिशुओं की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर मड़ियांव पुलिस और डीसीपी उत्तरी की क्राइम टीम ने एक अस्पताल के डॉक्टर समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें तीन महिलाएं भी हैं। गिरोह ने मड़ियांव से लेकर सीतापुर और कई अन्य जनपदों के अस्पतालों में अपना नेटवर्क फैला रखा था।

अपर पुलिस उपायुक्त उत्तरी जितेंद्र कुमार दुबे के मुताबिक गिरफ्तार आरोपितों में विनोद सिंह निवासी पारा, मूल निवासी रामगढ़ के गौरा पुरवा करनैलगंज (गोंडा), भिठौली स्थित सुपर एलाएंस नर्सिंग होम का डॉक्टर एवं मैनेजर डॉ. अल्ताफ निवासी आरजूनगर मड़ियांव, सीतापुर हरगांव के शीतलापुरवा का रहने वाला नीरज गौतम, विकासनगर न्यू आनंद नगर कुर्सी रोड की रहने वाली अस्पताल सहायिका कुसुम देवी, अटरिया छावनी गलैहरा की अस्पताल की सहायिका संतोष कुमारी और महिंगवा सरावा की श्रीमती शर्मा हैं।

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एसीपी अलीगंज ब्रज नारायण सिंह के मुताबिक कुछ दिन पहले एक वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था। इसमें संतोष कुमारी और नीरज गौतम के द्वारा बच्चों की तस्करी करने का जिक्र था। उसी आधार पर नीरज और संतोष को पकड़ा गया। पूछताछ में पता चला कि सीतापुर हरगांव के एक नर्सिंग होम में दो माह पहले एक बच्ची का जन्म हुआ था। उसकी मां बच्ची को रखना नहीं चाहती थी। गिरोह में शामिल कुसुम देवी ने विकानगर के एक दंपति से तीन लाख रुपये में बच्ची को बेच दिया। मासूम को बरामद कर लिया गया है।

अस्पतालों में फैला रखा था अपना नेटवर्क

इंस्पेक्टर शिवानंद मिश्रा ने बताया कि गिरोह का सरगना विनोद सिंह है। इसकी वीके सिंह के नाम से कंसल्टेंसी है। उसके माध्यम से वह अस्पतालों में आया और अन्य स्टाफ की सप्लाई करता है। सप्लाई स्टाफ के माध्यम से ही अस्पतालों में नेटवर्क फैला रखा है। ये लोग अस्पतालों में बच्चा नहीं रखने और बच्चा चाह रहे लोगों की तलाश करते थे। एक से लेकर बच्चा दूसरे को बेच देते थे।

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वजन और रंग के हिसाब से बढ़ाते थे बच्चे का रेट

गिरोह के लोग बच्चे के वजन और रंग के हिसाब से रेट तय करते थे। गोरे और ढाई से तीन किलो वजन के बच्चों का मूल्य पांच अथवा तीन लाख से ज्यादा में भी तय करते थे। गिरोह के लोग रुपये नकद लेते थे। इसके बाद आपस में बांट लेते थे।

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