लखनऊ एयरपोर्ट से 28 किमी दूर बाघ की चहलकदमी सीमित, 10 दिन से भूखा है शिकारी
- लखनऊ के काकोरी के रहमान खेड़ा में बाघ की चहलकदमी एक निश्चित दूरी तक सीमित हो चुकी है। बुधवार को संस्थान के बेल बाग वाले ब्लॉक सहित जोन दो के मीठे नगर जंगल में बाघ के ताजे पगचिह्न देखे गए। शिकार की तलाश में बाघ जंगल में आ तो रहा है लेकिन शिकार नहीं कर रहा है।
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यूपी की राजधानी लखनऊ के काकोरी के रहमान खेड़ा स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ की चहलकदमी एक निश्चित दूरी तक सीमित हो चुकी है। बुधवार को संस्थान के बेल बाग वाले ब्लॉक सहित जोन दो के मीठे नगर जंगल में बाघ के ताजे पगचिह्न देखे गए। शिकार की तलाश में बाघ अलग-अलग समय पर तो जंगल में आ रहा है लेकिन शिकार नहीं कर रहा है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. रेणु सिंह व बाराबंकी डीएफओ आकाशदीप बधावन ने सीआईएसएच कैम्पस का स्थलीय निरीक्षण कर डॉक्टरों को दिशा-निर्देश दिए हैं।
डीएफओ डॉ. सितांशु पांडेय ने बताया कि संस्थान के जोन एक में बेल बाग वाले इलाके में नया मचान बनाकर बाघ का सुरक्षित रेस्क्यू करने का प्रयास किया जा रहा है। डीएफओ ने बताया कि जंगल में बाघ को शिकार किए हुए दस दिन बीत चुके हैं। 26 जनवरी को मचान के पास बंधे पड़वे का शिकार किया था। उसके बाद बुधवार तक कहीं भी बाघ के शिकार के साक्ष्य नहीं मिले हैं। तब से बाघ भूखा है, इसलिए मचान के पास तीन जगह से जाल बांधकर बाघ के शिकार करने का इंतजार किया जा रहा है।
हाथियों की कॉम्बिंग से जोन एक में ठहरा बाघ
डीएफओ ने बताया कि संस्थान के जोन एक में बाघ के पगचिह्न मिलने से रणनीति के तहत जोन दो और जोन तीन में हाथियों के जरिए लगातार कॉम्बिंग कराई जा रही है। हाथियों के खौफ से बाघ ने संस्थान को ही ठिकाना बना लिया है। बाघ के ठिकाना बदलने की स्थिति में सुरक्षित रेस्क्यू करने के मौके बढ़ जाते हैं।