अयोध्या में इस बार की रामलीला 42 से ज्यादा फिल्मी सितारों से सजेगी, उससे पहले संत समाज ने चेताया
अयोध्या में मां फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित होने वाली रामलीला में इस बार सांसद व भोजपुरी स्टार रवि किशन एवं मनोज तिवारी समेत 42 बालीवुड के अभिनेता व अभिनेत्रियां विभिन्न भूमिकाओं में नजर आएंगे।
अयोध्या में मां फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित होने वाली रामलीला में इस बार सांसद व भोजपुरी स्टार रवि किशन एवं मनोज तिवारी समेत 42 बालीवुड के अभिनेता व अभिनेत्रियां विभिन्न भूमिकाओं में नजर आएंगे। खास ये है कि इसमें दो अभिनेत्रियां अयोध्या की है जिनमें अभिनेत्री अंजली शुक्ला मां पार्वती व कौशल्या माता व अंशिका गुप्ता विश्व मोहिनी का रोल निभाएंगी। वहीं, संत समाज ने भी सितारों की रामलीला को लेकर चेताया है।
रामलील में शामिल हो रही अन्य कलाकारों में अभिनेत्री भाग्यश्री -मां वेदमाती, पदमश्री मालिनी अवस्थी - मां शबरी, बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री ऋतु शिवपुरी - माता सीता की मां सुनयना की भूमिका निभा रही हैं। अमिता नांगिया मंदोदरी की भूमिका निभाएंगी। मंगिशा - मां सीता की भूमिका में नजर आएंगी। कई टीवी सीरियल में भी काम कर रही मैडोना केकई की भूमिका निभा रही हैं। पायल गोगा कपूर सुर्पणखा का भूमिका अदा करेंगी।
अभी मंचन का स्थान तय नहीं
फिल्मी सितारों की रामलीला के मंचन स्थल को लेकर असमंजस कायम है। पहले लक्ष्मण किला के बजाय सहकारी प्रबंध प्रशिक्षण केन्द्र तुलसी नगर में आयोजन की तैयारी थी। पुनः रामकथा पार्क में आयोजन पर चर्चा हो रही है लेकिन अभी तक अंतिम रूप से स्थान का निर्धारण नहीं हो सका है। इसी सिलसिले में बुधवार को संस्था के संस्थापक अध्यक्ष सुभाष मलिक (बॉबी) व महासचिव शुभम मलिक अयोध्या पहुंचे थे और उन्होंने रामकथा पार्क को लेकर अधिकारियों से भेंट की।
इसके पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित प्रदेश व केंद्र सरकार के मंत्रियों को रामलीला में आने का निमंत्रण दिया है। रामलीला के आयोजक मलिक ने दावा किया कि अयोध्या की रामलीला इस बार फिर अपने विश्व रिकार्ड को तोड़ेगी। उन्होंने बताया कि इस साल 50 करोड़ दर्शकों तक मंचन को पहुंचाने का लक्ष्य है। पिछले साल 36 करोड़ दर्शकों ने रामलीला को दूरदर्शन व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखा था।
संतों ने फिल्मी सितारों के मंचन में मर्यादित आचरण की सीख दी
अयोध्या। फिल्मी सितारों की रामलीला मंचन को लेकर संतों का रोष कम नहीं हुआ है। संतों को फिल्मी कलाकारों के रामलीला मंचन से कोई एतराज नहीं है बल्कि उनकी आपत्ति रामलीला मंचन में हिस्सा लेने वाले कलाकारों के लिए निर्धारित अवधि में भी सामान्य जीवन शैली, पात्र के अनुरूप मर्यादित व्यवहार, वेशभूषा, खान-पान, भाषा व संवाद शैली से है। इसको लेकर लगातार संत समाज आयोजकों से आपत्ति दर्ज कराता रहा है लेकिन हर बार क्षमा याचना करके मामले को ठंडा कर दिया जाता है लेकिन आपत्तियों का निस्तारण नहीं हो रहा है।
इसी आपत्ति को लेकर बुधवार को बड़ा भक्तमाल मंदिर में संतों की बैठक हुई। इस बैठक के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता में संतों ने कहा कि रामलीला मंचन प्रदर्शन नहीं है बल्कि संतों की उदात्त भावना है और यह उपासना परम्परा का अंग है, इसलिए इसका ग्लैमर के जरिए नहीं बल्कि भाव से होना चाहिए तभी भगवान राम के आदर्शों के प्रति जनमानस प्रेरित होगा । यदि आर्थिक लाभ-हानि के लिए आयोजन किया जाएगा तो विसंगतियां पैदा होंगी।
यह श्रद्धालुओं की भावनाओं का अनादर है जिसको किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। बैठक में संत तुलसीदास रामलीला न्यास के कोषाध्यक्ष व बड़ा भक्तमाल महंत अवधेश दास ने कहा कि आयोजकों को जनमानस की भावनाओं से खिलवाड़ बंद करना चाहिए और धार्मिक कार्यक्रम व अनुष्ठान की तरह ही लेना चाहिए तभी कलाकारों को मर्यादा की सीख मिल सकेगी।
उन्होंने कहा कि फिल्मी कलाकारों की रामलीला में दर्शक रामलीला का संदेश ग्रहण करने नहीं जाते हैं बल्कि ग्लैमर के कारण लोग हीरो- हीरोइन को देखने जाते हैं और उनके साथ फोटो शूट कराने के लिए लालायित होते हैं।
भगवद चरित्र की प्रतिष्ठा ही रामलीला का उद्देश्य: डा.राघवाचार्य
हनुमानगढ़ी अखाड़े के पंच महंत संजय दास ने कहा कि हमारा विरोध कलाकारों से नहीं है लेकिन उनके द्वारा रामायण के पात्रों की भूमिका के निर्वाह में जिस मर्यादित आचरण की अपेक्षा होती है, उसे अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लाखों-करोड़ों खर्च करके जो आयोजन हो रहा है, उससे अयोध्या का नाम हो रहा है लेकिन यह तीर्थ है और तपोभूमि है, यहां आने वाले श्रद्धालुओं के मन में जिस तरह श्रद्धा भाव रहता है, वैसी ही श्रद्धा जब कलाकार में होगी तो वह कदाचार से स्वयं भी बचने की कोशिश करेगा और भूलवश गलती होगी तो प्रायश्चित भी करना चाहेगा। यदि भाव नहीं है तो अभिनेता के लिए अभिनय करना उसके व्यवसाय का ही अंग बना रहेगा।
महंत जन्मेजय शरण ने कहा कि लीला बहुत होती है लेकिन हर लीला रामलीला नहीं हो सकती। जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य ने कहा कि भगवद चरित्र को प्रतिष्ठित करना ही रामलीला का उद्देश्य है और भगवद चरित्र का निर्वाह करने वाले पात्र ही संदेश ग्रहण न कर पाएगा तो जनमानस को कैसे संदेश दे सकेगा।