...तो यूपी में महंगी हो जाएगी बिजली, इंजीनियरों के संगठन ने मुख्य सचिव को चिट्ठी लिख की ये मांग
- अभियंता संघ ने कहा है कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप अभियंता प्रदेश को निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने के प्रयासों में जुटे हैं। अभी राज्य विद्युत उत्पादन निगम बेहद सस्ती बिजली उपलब्ध करा रहा है, जबकि संयुक्त उपक्रम का इरादा अधिक मुनाफे का है। इससे उपभोक्ताओं को मिलने वाली बिजली महंगी हो जाएगी।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत अभियंता संघ ने एक बार फिर सरकार से 2x800 मेगावाट ओबरा ‘डी’ तापीय परियोजना एवं 2x800 मेगावाट अनपरा-ई परियोजना को राज्य विद्युत उत्पादन निगम और एनटीपीसी के संयुक्त उपक्रम के अधीन स्थापित किये जाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है। संगठन ने इस संबंध में मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है कि राज्य विद्युत उत्पादन निगम बेहद सस्ती बिजली उपलब्ध करा रहा है, जबकि संयुक्त उपक्रम का इरादा अधिक मुनाफे का है। इससे उपभोक्ताओं को मिलने वाली बिजली महंगी हो जाएगी।
अभियंता संघ ने कहा है कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप अभियंता प्रदेश को निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने के प्रयासों में जुटे हैं। अप्रैल, मई, जून में भीषण गर्मी में भी विद्युत आपूर्ति के नये रिकॉर्ड बनाते हुए 30618 मेगावाट की विद्युत आपूर्ति की गई। साथ ही वित्तीय वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 70 हजार करोड़ से अधिक राजस्व भी प्राप्त किया गया। वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार के उपक्रम विद्युत उत्पादन निगम द्वारा काफी किफायती दर पर रिकॉर्ड 39600 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया है। यही सिलसिला पिछले वर्षों में भी रहा है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में पीएलएफ लगभग 76 प्रतिशत था। कोयला खदानों के निकटवर्ती राज्य सरकार के अधीन स्थापित अनपरा ‘अ’ ताप विद्युत गृह द्वारा लगभग 3.03 रुपये प्रति यूनिट एवं अनपरा ‘ब’ ताप विद्युत गृह द्वारा लगभग 2.63 रुपये प्रति यूनिट पर प्रदेश को बहुत ही सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध करायी जा रही है। ओबरा ताप विद्युत गृह द्वारा लगभग 3.95 रुपये प्रति यूनिट की दर से प्रदेश को सस्ती बिजली उपलब्ध करायी जा रही है। संघ ने कहा कि संयुक्त उपक्रम में ओबरा क्षेत्र में नयी स्थापित की जाने वाली ओबरा ‘डी’ परियोजना एवं अनपरा क्षेत्र में नई स्थापित की जाने वाली अनपरा-ई परियोजना के निर्माण व एनटीपीसी व मेजा ऊर्जा निगम के कार्मिकों के लिए नए आवासीय परिसर हेतु एनटीपीसी द्वारा बड़े पैमाने पर भूमि की जरूरत दर्शायी गई है। इसमें काफी अधिक वन क्षेत्र की भूमि व परियोजना की आवासीय परिसर की भूमि शामिल है।
इसके लिए उक्त परियोजनाओं पर पूर्व में बने हुए 2500 से ज्यादा आवासीय भवनों व 500 से ज्यादा अन्य परिसरों को तोड़ने व नए आवास व अन्य परिसर बनाये जाने में भी कई सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसके कारण परियोजना मूल लागत काफी अधिक है। इससे प्रति यूनिट बिजली उत्पादन की लागत महंगी होगी। अन्ततः यह व्यय भार भी प्रदेश की जनता पर आएगा। वहीं दूर से कोयला लाने से भी उत्पादन खर्च बढ़ेगा। उत्पादन लागत लगभग दोगुनी हो जाएगी। संघ ने कहा कि संयुक्त उपक्रम की बजाय राज्य सरकार के अधीन पूर्ण स्वामित्व में लगाए जाने से प्रदेश के हर वर्ग के युवाओं को प्रत्यक्ष रूप में अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इस संबंध में मुख्य सचिव से प्रभावी हस्तक्षेप करने की मांग की है।