मिल्कीपुर उपचुनाव की अड़चन हो सकती है दूर, हाईकोर्ट से याचिका वापस लेंगे गोरखनाथ बाबा
- वजह भले तकनीकी हो लेकिन मिल्कीपुर का उपचुनाव टलने को लेकर तुरंत ही सपा-भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया। हालांकि इन सबके बीच मिल्कीपुर उपचुनाव की सबसे बड़ी अड़चन दूर होती भी नजर आने लगी है। पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा अपनी याचिका वापस लेने की तैयारी में है।
Milkipur By-Election: चुनाव आयोग ने मंगलवार को एलान किया कि यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर 13 नवम्बर को मतदान, 23 नवम्बर को मतगणना होगी लेकिन इसमें सर्वाधिक चर्चित सीटों में से एक अयोध्या की मिल्कीपुर सीट को छोड़ दिया। वजह ये बताई गई कि मिल्कीपुर से 2022 में सपा के अवधेश प्रसाद के चुनाव के खिलाफ पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है। कहा गया कि जब तक इस याचिका पर कोई फैसला नहीं हो जाता तब तक मिल्कीपुर में चुनाव नहीं कराया जा सकता। अब वजह भले तकनीकी हो लेकिन मिल्कीपुर का उपचुनाव टलने को लेकर तुरंत ही सपा और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया। हालांकि इन सबके बीच मिल्कीपुर उपचुनाव की सबसे बड़ी अड़चन दूर होती भी नजर आने लगी है। जिन पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा की याचिका के चलते उपचुनाव टाला गया है वही अब इसे वापस लेने की तैयारी में है। बड़ी संभावना है कि बुधवार को ही उनकी ओर से हाईकोर्ट में यह याचिका वापस लेने की कोशिश की जाएगी।
वैसे कल चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस के बाद मिल्कीपुर को लेकर शुरू हुई चर्चाओं के बीच ही गोरखनाथ बाबा का पक्ष सामने आ गया था। मीडिया से बातचीत में उनकी ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया कि वह केस वापस लेने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही वह ऐसा करके चुनाव आयोग को सूचित भी कर देंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि उनकी याचिका की वजह से चुनाव रुक जाएगा। बता दें कि गोरखनाथ बाबा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में विजयी रहे सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद द्वारा अपने नामांकन पत्र के साथ लगाए गए एक दस्तावेज को लेकर आपत्ति जताई गई थी। यह मामला हाईकोर्ट में है लेकिन मंगलवार को जब यूपी की बाकी नौ सीटों के साथ मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव कराने की तारीख का ऐलान नहीं हुआ तो वह आश्यर्च में पड़ गए। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि मिल्कीपुर में भी बाकी सीटों के साथ ही उपचुनाव हो।
वहीं गोरखनाथ बाबा के वकील ने मीडिया से कहा कि हम अदालत से कहेंगे कि या तो इस मामले को खत्म कर दिया जाए क्योंकि अवधेश प्रसाद अब विधायक नहीं हैं। वह सांसद चुने जा चुके हैं। या फिर हमें अपनी याचिका वापस लेने दें।