'पासबुक लेकर होटल में शिफ्ट हो जाएं', 9 घंटे जाल में फंसे रहे डॉक्टर; फोर्स लेकर पहुंचे एसपी सिटी
- वीडियो कॉल पर डॉक्टर से कहा गया कि अगर वह इसमें फंसना नहीं चाहते हैं तो पासबुक व अन्य रिकार्ड लेकर तीन दिन के लिए किसी होटल में शिफ्ट हो जाएं। वीडियो कॉल न काटने की हिदायत देते हुए कहा गया कि सीबीआई की टीम घर पर नजर रख रही है।
Bareilly Doctor Digital Arrest: मुंबई क्राइम ब्रांच, सीबीआई और आरबीआई की फर्जी टीम ने आधार कार्ड हवाला कारोबार में इस्तेमाल होने का झांसा देकर बरेली के डॉक्टर को एक होटल में डिजिटल अरेस्ट कर लिया। फर्जी टीम नौ घंटे तक डॉक्टर को फंसाकर ठगी की कोशिश करती रही। इसी दौरान परिवारीजन की सूचना पर एसपी सिटी और बारादरी पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने कमरा खुलवाकर ठगी की कोशिश को नाकाम कर दिया।
बारादरी के फाइक इंक्लेव निवासी डॉ. नजबुल हसन के पास शनिवार दोपहर एक व्यक्ति ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का इंस्पेक्टर बताते हुए कॉल कर धमकाया कि मुंबई के नरेश गोयल व उसके पार्टनर ने उनके आधार कार्ड का मनी लांड्रिंग में प्रयोग कर कई राज्यों में घोटाला किया है। इसके बाद उन्हें वीडियो कॉल से डिजिटल अरेस्ट करने की बात कहते हुए बताया कि मामले की जांच आरबीआई, सीबीआई कर रही है। अगर वह इसमें फंसना नहीं चाहते हैं तो पासबुक व अन्य रिकार्ड लेकर तीन दिन के लिए किसी होटल में शिफ्ट हो जाएं। वीडियो कॉल न काटने की हिदायत देते हुए कहा गया कि सीबीआई की टीम घर पर नजर रख रही है। किसी को बताने पर सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी की धमकी दी गई। इससे वह डर गए और घर जाकर दस्तावेज लेकर पीलीभीत बाईपास के होटल कंट्री ग्रीन में तीन दिन के लिए शिफ्ट हो गए। जब वह दस्तावेज लेने घर पहुंचे तो तो परिजनों को लिखकर बताया कि वह कहीं फंस गए हैं।
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भतीजे और बेटी की सतर्कता से बच गई ठगी
ठगों के जाल में फंसे डॉ. नजबुल हसन बड़ी हड़बड़ी में अपने घर पहुंचे। जल्दी-जल्दी दस्तावेज समेटने लगे। उनके असामान्य व्यवहार पर घर वालों के पूछने पर उन्होंने लिखकर फंसने की बात बताई और निकल गए। उनके जाने के बाद हैरान परिजनों ने उन्हें फोन किया लेकिन उन्होंने किसी की कॉल रिसीव नहीं की। इस पर उनके भतीजे इमरान और बेटी ने एसपी सिटी मानुष पारीक को सूचना दी।
सूचना मिलते ही तत्काल सर्विलांस की मदद से डॉ. नजबुल की लोकेशन निकाली गई तो वह पीलीभीत रोड पर होटल कंट्री ग्रीन में मिली। इस पर एसपी सिटी मानुष पारीक और बारादरी इंस्पेक्टर धनंजय पांडेय टीम के साथ वहां पहुंचे तो डॉक्टर की स्कूटी होटल के बाहर खड़ी मिली। होटल में पुलिस ने जानकारी की तो पता चला कि डॉक्टर ने तीन दिन के लिए कमरा नंबर 105 बुक किया है और उसमें ही मौजूद हैं।
आग लगने की सूचना देकर खुलवाया कमरा पुलिस जब कमरा नंबर 105 पर पहुंची तो डॉ. नजबुल हसन इस तरह से साइबर ठगों की गिरफ्त में थे कि उन्होंने कमरा खोलने से मना कर दिया। रूम सर्विस के नाम पर दरवाजा खोलने को कहा तो उन्होंने किसी चीज की जरूरत न होने की बात कहकर दरवाजा नहीं खोला। पुलिस ने मास्टर चाबी से दरवाजा खोलने की कोशिश की लेकिन अंदर से सिटकनी लगे होने की वजह से दरवाजा नहीं खुला। डॉ. नजबुल पूरी तरह से दूसरी ओर से मिले निर्देशों का पालन कर दरवाजा नहीं खोल रहे थे और पुलिस पर भी यकीन नहीं कर रहे थे। इस पर पुलिसकर्मियों ने आग लगने का शोर मचाया तो डॉक्टर ने दरवाजा खोल दिया।
50 लाख बैलेंस वाले खातों को दे चुके थे जानकारी पुलिस जब कमरे में पहुंची तो डॉ. नजबुल साइबर ठगों की वीडियो निगरानी में थे और अपने तीन बैंक खातों की जानकारी उन्हें दे चुके थे, जिनमें करीब 50 लाख रुपये जमा थे। उस समय ठगों द्वारा रकम निकासी के लिए उन्हें मैसेज भेजकर ओटीपी पूछा जा रहा था लेकिन तब तक पुलिस पहुंच गई। पुलिस ने उन्हें समझाया लेकिन दूसरी ओर से वीडियो कॉल पर मौजूद ठग लगाकर ओटीपी देने का दबाव बना रहे थे। डॉक्टर इतना डरे हुए थे कि पुलिस की बात भी नहीं सुन रहे थे। एसपी सिटी ने वीडियो कॉल पर मौजूद ठग तो डांट लगाई तो उसने कॉल काट दी। तक जाकर डॉक्टर को ठगी का शिकार होने से बचाया जा सका।
नौ घंटे डिजिटल अरेस्ट, सात घंटे की मिली वीडियो कॉल
साइबर ठग नौ घंटे तक डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट किए रहे। उनके मोबाइल में सात घंटे की वीडियो कॉल भी मिली है। शनिवार को पूर्वाह्न 11 बजे जब वह क्लीनिक में बैठे थे तो ठग की कॉल आई और खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर रवि बताकर उन्हें वीडियो कॉल के जरिये डिजिटल अरेस्ट किया। दोपहर करीब बजे दो बजे वह घर से बैंक डिटेल लेने पहुंचे और आठ बजे पुलिस ने उन्हें कमरे से बाहर निकाला। जांच के दौरान डॉक्टर के मोबाइल में सात घंटे की वीडियो कॉल भी मिली है।
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ऐसे करें बचाव व कार्रवाई
-हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत करें
- किसी भी अनजान को अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें
- फोन कॉल पर अनजान व्यक्ति पर बिल्कुल भरोसा न करें
- डिजिटल अरेस्ट का भारत में कोई प्रावधान नहीं है
- साइबर अपराध पर नजदीकी थाने में रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं
- 24 घंटे में शिकायत पर रकम वापसी की संभावना अधिक
- अवसाद में टेलीमानस हेल्पलाइन नंबर 14416 पर कॉल करें
-धोखाधड़ी वाले कॉल के लिए चक्षु पोर्टल पर नंबर को रिपोर्ट करें
-चोरी/खोए मोबाइल को भी चक्षु पोर्टल पर शिकायत कर ब्लॉक कराएं