Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Yogi cabinet: Initiative to practice 2024 with new experiments preparations to deepen saffron color emphasis on caste equation

योगी कैबिनेटः नए प्रयोगों से 2024 साधने की पहल, केसरिया रंग को और गहराने की तैयारी, जातीय समीकरण पर जोर

विधानसभा चुनाव में जिस धमक के साथ उत्तर प्रदेश में भाजपा को भारी बहुमत मिला है, उससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनाव पूर्व बनाई गई रणनीति पर मुहर लगी है। पार्टी के

Yogesh Yadav लखनऊ लाइव हिन्दुस्तान, Fri, 25 March 2022 09:42 PM
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विधानसभा चुनाव में जिस धमक के साथ उत्तर प्रदेश में भाजपा को भारी बहुमत मिला है, उससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनाव पूर्व बनाई गई रणनीति पर मुहर लगी है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अब अगला कदम लोकसभा चुनाव की तरफ बढ़ा दिया है। राज्य मंत्रिमंडल के गठन से इसका संकेत भी मिलता है। मंत्रिमंडल में सबको साथ लेकर चलने के साथ ही पश्चिमी और पूर्वी यूपी के पार्टी नेताओं के साथ ही मध्य यूपी के नेताओं को जगह मिली है। 

मंत्रिमंडल में सामाजिक समीकरणों का भी ध्यान रखा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पार्टी के शीर्ष प्रबंधकों ने राज्य में केसरिया रंग को और गहराने के मकसद से ही मंत्रिमंडल के गठन में कई नए प्रयोग किये हैं। इसके तहत मंत्रिमंडल में अगड़ी और पिछड़ी जाति के चेहरों को अहम जिम्मेदारी दी है। ऐसे में अब फायरब्रांड नेता और  हिंदुत्ववादी छवि वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके साथ दो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के नेतृत्व में अब लोगों की अपेक्षाओं को पूरा किया जाएगा। एक बड़ी चुनौती है। जिस पर सब मिलकर खरा उतरेंगे।

जाति में मजबूत पकड़ वालों को मौका
योगी आदित्यनाथ की सरकार में शामिल मंत्रियों का अपने-अपने क्षेत्र और जाति में मजबूत प्रभाव है। यकीनी तौर पर पार्टी के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव जीतना एक बड़ा एजेंडा है। यह तभी संभव है, जब हर वोट बैंक को भी साधा जाए और विकास के एजेंडे को भी। पार्टी के विशेषज्ञ मानते हैं कि हिंदुत्व के पोस्टर बॉय योगी बात सिर्फ विकास की ही करेंगे। हिंदुत्व के एजेंडे का संदेश बिना कुछ कहे उनकी छवि से ही चला जाएगा। इनके जरिए 2024 को  साधने की भी रणनीति बनाई गयी है। इसके चलते ही बृजेश पाठक जैसे धाकड़ ब्राह्मण नेता को उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया गया। अब बृजेश पाठक और केशव मौर्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दोनों बाजू सरीखे सरकार की छवि को निखारने में जुटेंगे।

21 अगड़े, 20 पिछड़ों को बनाया मंत्री
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने 52 सदस्यीय मंत्रिमंडल में इस बार सात ब्राह्मण, साथ क्षत्रिय विधायकों सहित कुल 21 अपर कास्ट के मंत्री बनाए हैं। इसके अलावा 20 ओबीसी, नौ दलित एक सिख और एक मुस्लिम को मंत्री बनाया है। जबकि वर्ष 2017 में योगी सरकार के 47 सदस्यीय मंत्रिमंडल में 15 पिछड़े, आठ ब्राह्मण, सात क्षत्रिय, चार दलित, दो-दो भूमिहार व जाट, एक सिख, एक मुसलमान, एक कायस्थ और खत्री समेत अन्य जातियों के सदस्य को मंत्री बनाया गया था। योगी सरकार के पिछले मंत्रिमंडल की तरह ही इस बार के नए मंत्रिमंडल में भी पिछड़ों में कुर्मी, मौर्य, निषाद, चौहान, गड़रिया, राजभर की भागीदारी महत्वपूर्ण है।  कुर्मी समाज का प्रतिनिधित्व मंत्रिमंडल में अधिक दिख रहा है। 

पश्चिमी यूपी पर नजर, पिछली बार से दोगुने मंत्री
नए मंत्रिमंडल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से इस बार 23 लोगों को जगह दी गई है। पिछली बार 12 मंत्री ही मंत्रिमंडल में जगह पाए थे। यानी दोगुने मंत्री आ गए हैं। इससे जाहिर है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पश्चिम क्षेत्र को ख़ास महत्व दे रहा है। इस बार पूर्वी उत्तर प्रदेश से 14 और मध्य यूपी से 12 लोगों को मंत्री बनाया गया है। वर्ष 2017 में पूर्वी यूपी से 17 और मध्य यूपी से 11 लोगों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी। अब नए प्रयोग करते हुए भाजपा ने पश्चिम यूपी पर ध्यान केंद्रित किया है। भाजपा पश्चिम यूपी सहित समूचे प्रदेश में सरकार के जरिए जनता के बीच मजबूत पकड़ बनाये रखना चाहती है। 

विकास की बुलंदियों पर ले जाने का लक्ष्य तय
अब तक यही बात होती रही है कि विकास और कानून-व्यवस्था के मामले में सपा-बसपा दोनों सरकारें फेल रही हैं और सपा -बसपा सरकार में केंद्र से भेजे जा रहे पैसे का सदुपयोग न होने और भ्रष्टाचार व गुंडाराज के चलते उप्र का विकास रुक गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पांच वर्षों में यूपी की इन खामियों को खत्म कर विकास की नई इबारत लिखी है और अब यूपी को नई बुलंदियों ले जाने का लक्ष्य सरकार ने तय किया है। इसके चलते योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमंडल में अनुभवी और ऊर्जा से भरपूर लोगों को जगह दी है।

इस सोच के तहत योगी आदित्यनाथ ने जिन मंत्रियों को चुना है वह काम करने के लिहाज से अनुभवी हैं। इनमें केशव प्रसाद, बृजेश पाठक, सुरेश खन्ना, सूर्य प्रताप शाही, स्वत्रंत देव सिंह, बेबी रानी, अरविंद शर्मा, असीम अरुण, जेपीएस राठौर, संजय निषाद और आशीष पटेल, दयाशंकर मिश्र दयालु अरुण कुमार सक्सेना  का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है. मंत्रिमंडल में शिक्षाविद, किसान और महिलाओं का भी समन्वय है.

सभी को साधने की कोशिश
उत्तर प्रदेश की विभिन्न जातियों, समुदाय और क्षेत्र के बीच संतुलन बनाते हुए पार्टी नेतृत्व ने जो चुनावी गुलदस्ता बनाया था, उसमें सभी को साधने की सफल कोशिश की गई थी। मंत्रिमंडल के गठन में उस गुलदस्ते को और व्यापक बनाया गया है। इसमें सर्वजन को समाहित करने की कोशिश की गई है। टिकट बंटवारे के समय अगड़े पिछड़े के बीच भेदभाव के उठ रहे सवालों को भी सरकार के गठन के साथ खत्म करने की कोशिश की गई है। भावी संसदीय चुनाव की तैयारियों की दृष्टि से जो भी उचित लगा, पार्टी को उसे करने से गुरेज नहीं था, जिसे उसने खुलकर किया भी है।

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