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NCR की तर्ज पर SCR, मेट्रो का विस्तार, लीज पर भूमि...योगी कैबिनेट के क्या-क्या फैसले

योगी ने अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र NCR की तरह SCR के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी। मेट्रो के विस्तार और किसान को राहत देने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, लखनऊTue, 5 March 2024 06:43 PM
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सीएम योगी ने अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में एनसीआर की तरह एससीआर के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी। मेट्रो के विस्तार और किसान को राहत देने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई। राज्य सरकार ने लखनऊ में चारबाग से वसंतकुंज तक मेट्रो रेल चलाने को हरी झंडी दे दी है। लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना फेज एक-बी 30 जून 2027 में पूर्ण होने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। 

लखनऊ में मौजूदा समय अमौसी एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया तक मेट्रो रेल चल रही है। केंद्र सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा सितंबर 2017 में जारी नई मेट्रो नीति के आधार पर फेज एक-बी ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर के लिए संशोधित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कराते हुए उपलब्ध कराई गई। लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना फेज एक-बी चारबाग रेलवे स्टेशन से हरदोई रोड स्थित वसंतकुंज तक निर्माण कराया जाएगा।

इसकी लंबाई 11.165 किलो मीटर है। इसमें 4.286 किमी एलिवेटेड और 6.879 भूमिगत है। इस कॉरिडोर के लिए कुल 12 स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं। इसमें से पांच एलिवेटेड और सात भूमिगत स्टेशन होंगे। इसके निर्मण पर 5801.05 करोड़ रुपये खर्च होगा। परियोजना के लिए वापसी की वित्तीय आंतरिक दर 3.91 प्रतिशत संत्तियों के विकास के साथ 13.16 प्रतिशत होगा, लेकिन नई नीति के अनुसार इसे 14 प्रतिशत रखा गया है।

केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी नई मेट्रो नीति के आधार पर इक्विटी शेयरिंग मॉडल के आधार पर केंद्र व राज्य सरकार की 50-50 फीसदी सहभागिता होगी। शेष बचा पैसा केंद्र सरकार के माध्यम से बाहरी ऋण से प्राप्त किया जाएगा। इसका संशोधित डीपीआर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

उप्र राज्य राजधानी क्षेत्र के लिए बनेगा अलग प्राधिकरण
राज्य सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की तर्ज पर राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) बनाने की दिशा में एक कदम और बढ़ गई है। इसके लिए उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र एवं अन्य क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों का गठन अध्यादेश-2024 को मंजूरी दे दी गई है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। एससीआर के दायरे में छह जिले लखनऊ, रायबरेली, हरदोई, सीतापुर, उन्नाव और बाराबंकी आएगा। वर्ष 2001 से 2011 के बीच लखनऊ के आसपास की आबादी में करीब 80 फीसदी की वृद्धि हुई है।

प्रदेश के मध्य क्षेत्र में राजधानी लखनऊ और अन्य बड़े शहरों के चतुर्दिक संतुलित और सामंजस्यपूर्ण शहरीकरण व इसके लिए राज्य राजधानी क्षेत्र एवं अन्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण के गठन की जरूरत महसूस की गई। मौजूदा समय प्रभावी उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास अधिनियम-1973 में क्षेत्रीय योजना तैयार करने और क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण के गठन व इसके अनुरूप विकास कराए जाने का प्रावधान नहीं है। इसीलिए नया अध्यादेश लाकर इसकी व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री की निगरानी में होगा काम
राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी होने के बाद प्रदेश में राज्य राजधानी क्षेत्र एवं अन्य क्षेत्र घोषित किया जाएगा। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। मुख्य सचिव उपाध्यक्ष और अपर मुख्य सचिव आवास पदेन सदस्य संयोजक होंगे। इसके अलावा एक कार्यकारी समिति होगी। इसका अध्यक्ष क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी होंगे।

क्या होगा काम
क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण का काम क्षेत्रीय प्लान बनाते हुए इसके अनुरूप विकास कराना होगा। क्षेत्रीय प्लान में मास्टर प्लान, विकास योजना और प्रोजेक्ट प्लान बनाने के लिए अधीनस्थ प्राधिकरणों व विभागों के साथ समन्वय करना होगा। क्षेत्रीय प्लान के अनुसार विकास योजना को जमीन पर लाना होगा। परियोजनाओं के लिए सरकारी और अन्य माध्यम से वित्तीय व्यवस्था करनी होगी।

क्या होगा अधिकार
विकास प्राधिकरणों, स्थानीय निकायों और सरकारी विभागों से रीजनल प्लान व फंक्शन प्लान के क्रियान्वयन से संबंधित विवरण प्राप्त करना है। क्षेत्रीय प्लान के क्रियान्वयन के चरण निर्धारित करना, क्षेत्रीय प्लान, फंक्शनल प्लान, विकास योजना और मास्टर प्लान के क्रियान्वयन की समीक्षा करना होगा। परियोजनाओं का चयन, स्वीकृति और क्रियान्वयन करना होगा। परियोजनाओं में सहयोग प्रदान करना होगा। क्षेत्र के अंतर्गत स्थित विकास प्राधिकरणों के विकास क्षेत्र की घोषणा, मास्टर प्लान की स्वीकृति, संशोधन करने का अधिकार होगा।

पट्टा समाप्त होने या फिर विवादित नजूल भूमि वापस लेगी सरकार
राज्य सरकार ने नजूल भूमि के प्रबंधन को लेकर ऐतिहासिक फैसला किया है। सरकार पट्टा समाप्त होने या फिर विवादित नजूल भूमि को लोक प्रयोजन और प्रबंधन के लिए वापस लेने जा रही है। इतना ही नहीं, भविष्य में नजूल की भूमि को फ्री होल्ड भी नहीं किया जाएगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंधन और उपयोग) अध्यादेश-2024 को मंजूरी दे दी गई है।

बिना अर्जन मिल जाएगी भूमि
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। केंद्र सरकार द्वारा गर्वमेंट ग्रांट एक्ट 1895 खत्म कर दिए जाने के बाद उत्तर प्रदेश में नजूल संबंधी सभी नीतियां स्थगित कर दी गई हैं। राज्य सरकार ने इसीलिए एक ऐसे अध्यादेश की जरूरत महसूस की जिससे नजूल भूमि सार्वजनिक उपयोग के लिए शासन को पुन: मिल सके। इस अध्यादेश के प्रभावी होने के बाद जिन जमीनों का पट्टा समाप्त हो चुका है या फिर विवादित है, ऐसी नजूल भूमि शासन को बिना अर्जन के ही मिल जाएगी।

आवेदन अस्वीकृत समझे जाएंगे
अध्यादेश के प्रभावी होते हुए प्रदेश में निजी व्यक्तियों या फिर निजी संस्थाओं के पक्ष में स्वामित्व बदलने के लिए फ्री होल्ड नहीं किया जाएगा। साथ ही नजूल भूमि के स्वामित्व बदलने के लिए न्यायालय की कार्यवाही या प्राधिकारी के समक्ष आवेदन समाप्त और अस्वीकृत समझे जाएंगे। इस संबंध में अगर संबंधित द्वारा कोई धनराशि जमा की गई है तो उसे ब्याज समेत वापस किया जएगा।

सार्वजनिक उपयोग में होगा इस्तेमाल
नजूल भूमि के ऐसे पट्टाधारक जिनका पट्टा अभी भी जारी है और नियमित रूप से पट्टा किराया जमा किया जा रहा है या किसी तरह शर्त का उल्लंघन नहीं है तो ऐसे पट्टे बने रहेंगे। पट्टा अवधि समाप्त होने के बाद ऐसे भूमि सभी विवादों से मुक्त होकर स्वत: राज्य सरकार में निहित हो जाएगी और ऐसी भूमि को राज्य सरकार का माना जाएगा। अध्यादेश लागू होने के बाद नजूल भूमि का आरक्षण और उसका उपयोग केवल सार्वजनिक इकाइयों के लिए ही किया जाएगा।

पीलीभीत नर्सिंग कॉलेज के लिए मुफ्त भूमि
राज्य सरकार ने पीलीभीत में मेडिकल कॉलेज में नए नर्सिंग कॉलेज की स्थापना के लिए मुफ्त जमीन देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ।

जिलाधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रस्ताव के आधार पर केंद्र सहायतित योजना के अंतर्गत पीलीभीत में स्थापित मेडिकल कॉलेज में नए नर्सिंग कॉलेज की स्थापना की जानी है। इसके लिए ग्राम मुड़िया पनई उर्फ सुनगढ़ी अंदर चुंगी तहसील में गाटा संख्या 6/2 रकबा 0.713 हेक्टेयर में से 4500 वर्ग मीटर नगर पालिका परिषद की नजूल भूमि चिकित्सा शिक्षा विभाग को मुफ्त दी जाएगी।

होमगार्ड्स को अब 120 रुपये मिलेगा भोजन भत्ता
होमगार्ड्स स्वयंसेवकों को ड्यूटी के लिए अंतर जनपदीय आवागमन पर ड्यूटी भत्ते के अलावा दिए जाने वाले दैनिक (भोजन) भत्ते की राशि 30 रुपये से बढ़ाकर 120 रुपये कर दी गई है। मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में इस बारे में होमगार्ड्स विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस बढ़ोत्तरी से लोकसभा चुनाव के दौरान ड्यूटी करने वाले होमगार्ड्स को लाभ होगा। चुनाव में करीब 50 हजार होमगार्ड्स की ड्यूटी लगाए जाने की योजना है। 

बीमा अस्पतालों में भर्ती मरीजों को मिलेगा 138 रुपये आहार भत्ता
उत्तर प्रदेश राज्य बीमा योजना के तहत संचालित चिकित्सालयों में भर्ती होने वाले मरीजों के भोजन की गुणवत्ता में अब सुधार होगा। राज्य कैबिनेट ने भर्ती मरीजों के लिए मिलने वाले दैनिक आहार भत्ते में बढ़ोत्तरी कर दी है। इससे जुड़े श्रम विभाग के प्रस्ताव को मंगलवार को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। अभी तक मरीजों को यह दैनिक भत्ता 100 रुपये दिया जाता है। अब इसे बढ़ाकर 138 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है।

केजीएमयू में 377 करोड़ से बनेगा सर्जरी विभाग का नया भवन
किंग जार्ज चिकित्सा महाविद्यालय में जनरल सर्जरी विभाग के नये भवन का निर्माण होगा। इससे जुड़े चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को मंगलवार को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। ईपीसी मोड में बनने वाले इस भवन के निर्माण पर जीएसटी सहित कुल तीन अरब 77 करोड़ 79 लाख 30 हजार रुपये खर्च होंगे।

इसके लिए केजीएमयू परिसर में 9.62 एकड़ भूमि पहले से उपलब्ध है। वहीं दूसरी ओर पुराने सर्जरी भवन को भी ध्वस्त नहीं किया जाएगा। इसका उपयोग ईएनटी विभाग द्वारा किया जाएगा। सर्जरी विभाग के नये भवन के निर्माण से एक ही छत के नीचे शिक्षण, प्रशिक्षण एवं चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी। इससे संस्थान में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा सुनिश्चित होने के साथ ही प्रदेश में सर्जरी सेवा एवं सर्जरी शिक्षा की भविष्य की जरूरतों को भी पूरा किया जा सकेगा।

देश-विदेश में रहने वाले मातृ भूमि योजना में 60% पैसे देकर शहरों में करा सकेंगे मनचाहा विकास
राज्य सरकार गांवों की तर्ज पर शहरों में विकास कराने के लिए उत्तर प्रदेश मातृभूमि अर्पण योजना शुरू करने जा रही है। इस योजना में देश-विदेश में रहने वाले लोग 60 फीसदी पैसा देकर अपने शहर में मनचाहा विकास करा सकेंगे। राज्य सरकार इसमें 40 फीसदी पैसा देगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। शहरों में काम कराने के लिए बड़ा कार्यक्षेत्र है। सरकार के साथ ही निजी लोगों या संस्थाओं का सहयोग लिया जाए और बेहतर काम हो सकता है। निजी निवेश, तकनीकी सहयोग और सुपरविजन उपलब्ध होने से कामों की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी होगी।

कोई व्यक्ति या संस्था किसी नगरीय निकाय में विकास कार्य, अवस्थापना सुविधा विकसित कराना चाहती है तो उसके द्वारा दी गई दान राशि को एक बैंक खाते में जमा कराया जाएगा। पैसा जमा होने के 30 दिनों के अंदर संबंधित काम की प्रशासनिक मंजूरी संबंधित जिलों के डीएम द्वारा कराते हुए प्रगति रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराई जाएगी।

योजना के लिए लगने वाले शिलापट्ट में संबंधित व्यक्ति या संस्था का नाम लिखा जाएगा। इसे साथ ही देश-विदेश में इसका प्रचार भी कराया जाएगा। इसके लिए विभिन्न देश के दूतावासों से सहयोग भी लिया जाएगा। इसके साथ ही 26 जनवरी, 15 अगस्त व दो अक्तूबर को आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में ऐसे लोगों को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया जाएगा।

मथुरा के पशु चिकित्सा विज्ञान वि.वि. के शिक्षकों को मिलेगा एरियर
मथुरा स्थित पं.दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधान संस्थान के शिक्षकों व समकक्षीय सवंर्ग के कार्मिकों को सावतें वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान के एरिअर का भुगतान किया जाएगा। इस बारे में मंगलवार को कैबिनेट में लाये गये प्रस्ताव को मंजूरी मिली। 
 इस एरियर का भुगतान  पहली जनवरी 2016 से 31 मार्च 2019 तक की अवधि का किया जाएगा।

यह भुगतान तभी होगा जब केन्द्र सरकार की एजेंसी आईसीसीआर द्वारा उक्त अवधि के एरियर पर आने वाले व्यय भार के पचास प्रतिशत राशि को जारी कर दिया जाए।कैबिनेट ने फैसला किया है कि केन्द्र से मिलने वाले पचास प्रतिशत अंश की मांग की जाए। इस एरियर के भुगतान पर कुल 2 करोड़ 51 लाख रुपये का खर्च आएगा।

अंतर्राष्ट्रीय फिल्म सिटी के लिए विकासकर्ता चयनित
अंतर्राष्ट्रीय फिल्म सिटी के फेज एक के निर्माण के लिए कैबिनेट ने विकासकर्ता का चयन को मंजूरी दे दी है। यह फिल्म सिटी यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के दायरे में नोएडा एयरपोर्ट के नजदीक बनेगी। इसके लिए बेव्यू कंपनी का चयन किया गया है। 

कैबिनेट ने मंगलवार को बिडर बेव्यू, परमेश कंस्ट्रक्शन कंपनी को लेटर आफ एवार्ड दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी।  यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण अब इन्हें लेटर आफ एवार्ड जारी करेगा। इस फिल्म सिटी के लिए बिड में चार कंपनियों ने भाग लिया था। यह फिल्म सिटी पहले चरण 230 एकड़ में बनेगी। पीपीपी मोड में बनने वाली इस परियोजना में फिल्म निर्माण की सारी सुविधाएं होंगी। 

एक्वा लाइन मेट्रो कारिडोर के विस्तार को मंजूरी
प्रदेश सरकार ने ग्रेटर नोएडा में एमएमटीएच परियोजना के तहत डिपो सेंटर ग्रेटर नोएडा से बोडाकी मल्टीमाडल ट्रांसपोर्ट हब साइट तक की मौजूदा एक्वा लाइन का 2.6 किमी विस्तार को मंजूरी दे दी।
इस परियोजना की कुल लागत 416.34 करोड़ अनुमानित की गई है। इसका वित्त पोषण केंद्र सरकार द्वारा 20 प्रतिशत खर्च होगा। यूपी सरकार भी 20 प्रतिशत खर्च करेगी।  इसके अलावा अनुदान वाह्य निधि द्वारा 60 प्रतिशत के रूप में प्रस्तावित है। 

आयुष महानिदेशक देखेंगे सभी विधाओं का काम
आयुष विभाग को लेकर योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। आयुर्वेद, यूनानी एवं होम्योपैथी निदेशालयों के साथ ही दो बोर्डों के लिए नियामक के रूप में आयुष महानिदेशालय गठित किया गया है। इन सभी के बीच आपसी समन्वय, प्रशासनिक एवं वित्तीय नियंत्रण सुनिश्चित करने और उनके अधिकार-कर्तव्य निर्धारित किए जाने संबंधी प्रस्ताव को मंगलवार को योगी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।

बता दें कि प्रदेश में अभी आयुष विभाग के अधीन आयुर्वेद, यूनानी एवं होम्योपैथी के तीन निदेशालय कार्यरत हैं। इनके अलावा 2 बोर्ड उत्तर प्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी एवं तिब्बी चिकित्सा पद्वति बोर्ड और उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड भी संचालित हैं। यह सभी अब आयुष महानिदेशालय के अधीन होंगे। आयुष महानिदेशक पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के सचिव स्तर के अफसर की तैनाती का प्रावधान किया गया है। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा महानिदेशक आयुष के पद पर आईएएस अधिकारी नगेंद्र प्रताप की तैनाती की गई है।

कुशीनगर कृषि विश्वविद्यालय का पहला चरण 18 माह में पूरा होगा
कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए विस्तृत कार्य योजना रिपोर्ट तैयार करने और निर्माण कार्य की मानीटिरिंग के लिए सलाहकार का चयन और परियोजना के पहले चरण को 18 महीने में पूरा किया जाएगा।

इस बाबत मंगलवार को कैबिनेट में लाये गये प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। इस कृषि विश्वविद्यालय की परियोजना के निर्माण कार्य को वित्त विभाग के सात अक्तूबर 2022 को जारी शासनादेश की व्यवस्था के अनुसार ईपीसी मोड पर करवाया जा रहा है। कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कार्यक्षेत्र में गोरखपुर, बस्ती और आजमगढ़ मण्डल के 10 जिले आएंगे। 

विश्वविद्यालय की आवश्यकता के अनुरूप विस्तृत कार्ययोजना रिपोर्ट बनाने के लिए 26 अक्तूबर 2023 को परामर्शी चयन की निविदा खोली गयी। नियमानुसार अर्ह परामर्शी (मार्च इन डिजाइन) का चयन किया गया। परामर्शी द्वारा उपलब्ध करवायी गयी विस्तृत कार्ययोजना रिपोर्ट  को व्यय वित्त समिति की नौ फरवरी 2024 को हुई बैठक में अनुमोदित करते हुए 434.60 करोड़ रुपये के व्यय की स्वीकृति प्रदान की गयी।

आगरा गंगा जल परियोजना की लागत 45 लाख कम हुई
राज्य सरकार ने जायका सहायतित आगरा जल संपूर्ति (गंगा जल) परियोजना की मूल लागत में 45 लाख रुपये की कमी कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। परियोजना के लिए पहले 2887.92 करोड़ मंजूर हुआ था अब इसे 2887.47 करोड़ कर दिया गया है। 

आगरा में जायका सहायतित पेयजल परियोजना के लिए 2887.92 करोड़ रुपये मंजूर किया गया था। परियोजना पर अब तक दी गई राशि में 2656.76 करोड़ में कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश जल निगम शहरी द्वारा 2490.92 करोड़ रुपये खर्च किया जा चुका है। परियोजना का भौतिक काम 95 प्रतिशत हो चुका है। शेष तीन पैकजों में दो पैकज आंशिक पूर्ण और एक पैकेज का काम किया जाना शेष है। इसीलिए जरूरत के आधार पर इसमें कमी की गई है। योजनांतर्गत अपर गंगा कैनाल पर स्थित पालड़ा फॉल बुलंदशहर से 150 क्यूसेक गंगा जल इसमें से 140 क्यूसेक आगरा और 10 क्यूसेक को गंगा जल की आपूर्ति की जा रही है।

कुशीनगर कृषि विश्वविद्यालय का पहला चरण 18 माह में पूरा होगा
कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए विस्तृत कार्य योजना रिपोर्ट तैयार करने और निर्माण कार्य की मानीटिरिंग के लिए सलाहकार का चयन और परियोजना के पहले चरण को 18 महीने में पूरा किया जाएगा।

इस बाबत मंगलवार को कैबिनेट में लाये गये प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। इस कृषि विश्वविद्यालय की परियोजना के निर्माण कार्य को वित्त विभाग के सात अक्तूबर 2022 को जारी शासनादेश की व्यवस्था के अनुसार ईपीसी मोड पर करवाया जा रहा है। कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कार्यक्षेत्र में गोरखपुर, बस्ती और आजमगढ़ मण्डल के 10 जिले आएंगे।

विश्वविद्यालय की आवश्यकता के अनुरूप विस्तृत कार्ययोजना रिपोर्ट बनाने के लिए 26 अक्तूबर 2023 को परामर्शी चयन की निविदा खोली गयी। नियमानुसार अर्ह परामर्शी (मार्च इन डिजाइन) का चयन किया गया। परामर्शी द्वारा उपलब्ध करवायी गयी विस्तृत कार्ययोजना रिपोर्ट  को व्यय वित्त समिति की नौ फरवरी 2024 को हुई बैठक में अनुमोदित करते हुए 434.60 करोड़ रुपये के व्यय की स्वीकृति प्रदान की गयी।

प्रयागराज में अति विशिष्ट अतिथि गृह के लिए मुफ्त जमीन
राज्य सरकार ने प्रयागराज में अति विशिष्ट अतिथि गृह बनाने के लिए राज्य संपत्ति विभाग को 10 हजार वर्ग मीटर जमीन मुफ्त देगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ।

अपर मुख्य सचिव राज्य संपत्ति विभाग द्वारा जनवरी 2024 को प्रयागराज में अति विशिष्ट अतिथि गृह बनाने के लिए सिविल स्टेशन स्थित 11433 वर्ग मीटर जमीन में 10 हजार वर्ग मीटर जमीन की मांग की थी। इसी तरह श्रम एवं सेवायोजन विभाग द्वारा औद्योगिक न्यायाधिकरण, श्रम न्यायालय व श्रम विभाग के मुख्यालय के लिए 1433 वर्ग मीटर भूमि आवंटित करने का अनुरोध किया था। कैबिनेट की बैठक में 10 हजार वर्ग मीटर जमीन राज्य संपत्ति विभाग और 1433 वर्ग मीटर जमीन श्रम विभाग को मुफ्त में देने का फैसला किया गया है।

शराब कारोबारियों को बकाया एकमुश्त चुकाने पर मिलेगी राहत
प्रदेश में शराब, बीयर, भांग आदि की लाइसेंसी दुकानें चलाने वाले कारोबारियों को उनके ऊपर बकाया राशि का एकमुश्त भुगतान करने पर ब्याज में राहत दी जाएगी। इस बाबत मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में लाये गये आबकारी विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्राप्त जानकारी के अनुसार 1985 से अब तक थोक व फुटकर के  ऐसे आबकारी लाइसेंसी कारोबारी जिन्होंने दुकान का लाइसेंस लेने के बाद बीच में ही छोड़ दी और पूरी लाइसेंस फीस अदा नहीं की या उन पर आयद न्यूनतम गारंटी कोटे के अनुसार शराब की उठान बकाया रह गयी। ऐसी सूरत में उन पर बकाया राशि पर 18 प्रतिशत की दर से ब्याज लगाया जाता है।
कैबिनेट के फैसले के अनुसार अगर ऐसे बकाएदार अपनी बकाया राशि का एकमुश्त भुगतान करते हैं तो उन्हें ब्याज में छूट मिलेगी।

कृषि विश्वविद्यालयों व रहमान खेड़ा संस्थान में बनेंगे इन्क्यूबेशन सेण्टर
प्रदेश सरकार राज्य के चारों ओर कृषि विश्वविद्यालयों और राज्य कृषि प्रबंध संस्थान रहमान खेड़ा लखनऊ में इन्क्यूबेशन सेण्टर स्थापित करवाएगी। इस बाबत मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में कृषि विभाग की ओर से लाये गये प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गयी।

इन केन्द्रों के माध्यम से कृषि क्षेत्र की नयी तकनीकों के जरिये कृषि के व्यावसायीकरण से किसानों को सीधे लाभ पहुंचाया जाएगा। साथ ही कृषि क्षेत्र में निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश के चारों कृषि विश्वविद्यालयों में चालू वित्तीय वर्ष में इन्क्यूबेशन सेण्टर स्थापित करने के लिए पांच-पांच करोड़ रुपये यानि 20 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाये गये हैं। राज्य कृषि प्रबंध संस्थान रहमान खेड़ा के लिए अलग से बजट दिया जाएगा।

इन केन्द्रों की स्थापना का उद्देश्य कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए नयी तकनीक, सेवाओं और उत्पादों को विकसित करते हुए किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में कार्य करना है। साथ ही कृषि क्षेत्र में युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किये जाएंगे। कृषि व्यवसाय से सम्बंधित लघु व मध्यम उद्योगों में रोजगार के नये अवसर पैदा किये जाएंगे।

प्रदेश में बढ़ायी जाएगी मक्के की खेती
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मक्के की खेती को बढ़ावा देने का फैसला किया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस बाबत कृषि विभाग की ओर से लाये गये प्रस्ताव को स्वीकृत प्रदान की गयी। इसके तहत प्रस्तावित चार वर्षीय योजना के जरिये मक्के के रकबे का लगभग दो लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में विस्तार किया जाएगा। साथ ही 11 लाख मीट्रिक टन से अधिक मक्के का उत्पादन किया जाएगा।

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि योजना के तहत मुख्य रूप से देसी मक्का, शंकर मक्का के साथ-साथ प्रदेश में पॉपकार्न, स्वीटकार्न, बेबीकार्न की बढ़ती मांग को देखते हुए मक्का की इन सभी प्रजातियों के उन्नत तकनीकी प्रदर्शन, अनुदान पर संकर बीज वितरण, कृषक अध्ययन भ्रमण, ग्राम पंचायत, विकास खंड, जिला व राज्य स्तर पर गोष्ठियों व कार्यशालाओं का आयोजन होगा। इस योजना पर सरकार कुल 146.56 करोड़ रुपये खर्च करेगी। किसानों को 22,500 कुंतल मक्के का बीज अनुदान पर वितरित किया  जाएगा।

ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं को 30 साल के लिए लीज पर भूमि
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित प्रदेश कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2024 को मंजूरी दे दी गई। नीति के तहत ग्रीन-हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना के लिए ग्राम समाज की व अन्य सरकारी भूमि 30 साल के लिए लीज पर दी जाएगी। इस नीति से पांच वर्षों में 1.20 लाख रोजगार का सृजन भी होगा।

पहली पांच ग्रीन-हाइड्रोजन परियोजनाओं को 40 फीसदी तक वित्तीय प्रोत्साहन सरकारी देगी। यूपी की इस नीति से भारत सरकार द्वारा घोषित 2070 तक नेट जीरो ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। प्रदेश सरकार ने कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए स्वच्छ व हरित ऊर्जा स्त्रोतों से उत्पादित ग्रीन हाइड्रोजन व सह उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए यह नीति तैयार किया है। नीति पांच साल के लिए है।

ग्रे की जगह ग्रीन हाइड्रोजन  उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा
राज्य में वर्तमान में उर्वरक व पेट्रोकेमिकल उद्योगों में ग्रे-हाइड्रोजन का उपयोग हो रहा है। ग्रे-हाइड्रोजन उत्पादन की प्रक्रिया में कार्बन उत्सर्जन होता है। इस नीति के तहत ग्रे-हाइड्रोजन की जगह पर ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन व उपयोग को बढ़ावा दिए जाने की व्यवस्था है। वर्ष 2028 तक ग्रीन  हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया का उत्पादन लक्ष्य एक मिलियन मैट्रिक टन प्रतिवर्ष रखा गया है। 

इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में 100 फीसदी छूट
परियोजनाओं को इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में 100 फीसदी छूट दी जाएगी। ग्रान हाइडड्रोजन/अमोनिया परियोजनाओं पर स्थानीय डिस्काम से बिजली लेने पर औद्योगिक दरें लागू होंगी। ग्रीन ऊर्जा को थर्ड पार्टी बिक्री पर व्हीलिंग, ट्रांसमिशन चार्ज व क्रास सब्सिडी चार्ज पर 100 फीसदी छूट दी जाएगी। प्रदेश सरकार ग्रीन हाइड्रोजन तथआ इसके अन्य उत्पादों की उत्पादन लागत को कम करने के रिसर्च के लिए सरकार दो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करेगी। जिसमें शासकीय शैक्षणिक संस्थानों को 100 फीसदी एकमुश्त अधिकतम 50 करोड़ का वित्तीय प्रोत्साहन देगी। 

नीति के लिए 5000 करोड़ का प्राविधान
इस नीति के क्रियान्यवन के लिए 5000 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है। नीति के संचालन में यूपीनेडा नोडल एजेंसी होगी। ग्रीन हाइड्रोजन नीति में स्टार्टअप प्रोत्साहित करने के लिए सरकार प्रतिवर्ष अधिकतम 25 लाख रुपये प्रति स्टार्टअप पांच सालों के लिए देगी।

ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में 1.95 लाख करोड़ का निवेश प्रस्तावित
ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता के मुताबिक वैश्विक निवेश सम्मेलन के दौरान ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में निवेश के 19 प्रस्ताव मिले हैं। 1.95 लाख करोड़ से अधिक का निवेश इस क्षेत्र में होना है। परियोजनाओं की स्थापना के लिए सार्वजनिक क्षेत्र को एक रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष तथा निजी क्षेत्र के निवेशकों के लिए 15000 रुपये प्रति वर्ष का लीज रेट निर्धारित किया गया है। 

लखनऊ में रैथा अंडरपास से टेक्सटाइल्स पार्क तक फोर लेन सड़क बनेगी
मंगलवार को हुई प्रदेश कैबिनेट की बैठक में लखनऊ में दो सड़कों के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। आउटर रिंग रोड के रैंथा अंडरपास से पीएम मित्र पार्क (टेक्सटाइल पार्क) तक चार लेन की सड़क बनेगी। इस सड़क की लंबाई 14.280 किमी. होगी। 

वहीं आईआईएम लखनऊ आउटर रिंग रोड रैंथा अंडरपास मार्ग का दो लेन में चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली है। इस सड़क की लंबाई 8.400 किमी. है। आउटर रिंग रोड से टेक्सटाइल्स पार्क तक चार लेन सड़क बनने से टेक्सटाइल पार्क राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से देश के अन्य शहरों व राज्यों के साथ ही लखनऊ शहर से जुड़ जाएगा। इस सड़क की लागत चार अरब नौ करोड़ उन्तालिस लाख चौहत्तर हजार रुपये अनुमोदित किया गया है। भूमि अधिग्रहण पर 122 करोड़ 98 लाख रुपये खर्च होंगे।

अनपरा में 1600 मेगावाट की तापीय परियोजना की लागत मंजूर
प्रदेश कैबिनेट ने अनपरा-ई विद्युत तापीय परियोजना की अनुमानित लागत 18624.83 करोड़ रुपये को मंगलवार को मंजूर कर दिया। एनटीपीसी और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा 50:50 फीसदी की अंशधारिता पर इस परियोजना की स्थापना की जानी है। परियोजना का काम पूरा होने पर यूपी की बिजली में 1600 मेगावाट का इजाफा हो जाएगा। 800-800 मेगावाट की दो इकाईयां स्थापित की जाएंगी। 

इस संयुक्त उद्यम का नाम मेजा ऊर्जा निगम प्रा. लि. रखा गया है। परियोजना के लिए एनटीपीसी और उत्पादन निगम के बीच 11 फरवरी 2023 को एमओयू किया गया था। इस परियोजना का 70 फीसदी वित्त पोषण वित्तीय संस्थानों से कर्ज के रूप में लिया जाएगा।

गौरतलब है कि इस परियोजना का काम पूरा हो जाने पर यूपी की अपनी तापीय बिजली में 1600 मेगावाट का सीधा इजाफा हो जाएगा। मौजूदा समय में यूपी की तापीय परियोजनों की विद्युत उत्पादन क्षमता 7140 मेगावाट है। कुछ परियोजनाएं जो निर्माणाधीन हैं इस प्रस्तावित परियोजना से पहले ही उत्पादन में आ जाएंगी।

निर्माणाधीन  परियोजनाओं से उत्पादन शुरू होने पर राज्य की अपनी बिजली 10000 मेगावाट के पास रहेगी। पावर कारपोरेशन के चेयरमैन डा. आशीष गोयल ने पनकी और जवाहरपुर की दूसरी इकाई से जुलाई से पूर्व बिजली उत्पादन शुरू कर दिए जाने का निर्देश दिया है। लिहाजा अनपरा-ई के उत्पादन में जुड़ने पर राज्य की अपनी तापीय बिजली 10 हजार मेगावाट से अधिक हो जाएगी।
 
घाटमपुर परियोजना को ऋण के लिए 121.05 करोड़ रुपये की छूट अनुमोदित 
घाटमपुर में निर्माणाधीन कोयला आधारित सुपर क्रीटिकल थर्मल परियोजना के लिए 12.067 करोड़ रुपये ऋण लिए जाने के लिए बंधक पत्र के पंजीकरण और स्टांप शुल्क में छूट दिए जाने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने मंजूर कर दिया है। इस प्रस्ताव के अनुमोदित हो जाने से नेयवेली उत्तर प्रदेश पावर लि. को पंजीकरण शुल्क 121 करोड़ तथा स्टांप शुल्क 5 लाख रुपये की राहत मिली है। 

इस संयुक्त उद्यम में 51 फीसदी हिस्सेदारी  नेयवेली लिगनाइट कारपोरेशन और 49 फीसदी हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम की है। परियोजना के तहत कानपुर जिले की घाटमपुर तहसील में 660 मेगावाट की तीन इकाईयां स्थापित की जा रही है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 17237 करोड़ 80 लाख रुपये है। परियोजना की तीनों इकाईयों से क्रमश: अप्रैल 2024, सितंबर 2024 तथा जनवरी 2025 में बिजली का उत्पादन शुरू हो जाएगा।

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