विधवा को शादी बाद भी पेंशन, विधुर को मनाही क्यों
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नि:सन्तान विधवा को शादी करने के बाद भी पारिवारिक पेंशन देना और विधुर को इससे इनकार करने के आदेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नि:सन्तान विधवा को शादी करने के बाद भी पारिवारिक पेंशन देना और विधुर को इससे इनकार करने के आदेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार का पक्ष रखने के लिए महाधिवक्ता को बुलाया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल एवं न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने ओम प्रकाश राय की याचिका पर अधिवक्ता आलोक यादव को सुनकर दिया है। कोर्ट ने याची से परिवारिक पेंशन की वसूली के आदेश पर रोक लगा दी है। अधिवक्ता आलोक यादव का कहना है कि कि लिंग के आधार पर पुरुष व महिला में भेद करना संविधान के अनुच्छेद 14 व 15 का उल्लंघन है।
इसलिए राज्य सरकार के आठ दिसम्बर 2008 के शासनादेश के उपखंड 7(5) को असंवैधानिक घोषित किया जाए। वर्ष 2008 से नि:सन्तान विधुर याची को पारिवारिक पेंशन मिल रही है। उसने 2010 में शादी कर ली था। अब विभाग शादी की तिथि से ली गई पेंशन को वापस करने की मांग कर रहा है।
याचिका में आधार लिया गया है कि नि:संतान विधवा को पेंशन मिलेगी लेकिन विधुर को शादी करने के बाद पेंशन नहीं मिलेगी। याचिका में इसे संविधान के विपरीत करार देने की मांग की गई है। कहा गया है कि स्त्री पुरुष में भेद नहीं किया जा सकता।