बागपत में दाढ़ी पर सस्पेंड; बनारस में त्रिपुण्ड, माला और भगवा में पुलिस ड्यूटी, सोशल मीडिया पर छिड़ी जंग
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में पुलिसकमियों को भगवाधारी बना देने पर घमासान मचा हुआ है। लोग इसे बागपत के दाढ़ी वाले मामले से भी जोड़ रहे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में पुलिसकमियों को भगवाधारी बना देने पर घमासान मचा हुआ है। लोग इसे बागपत के दाढ़ी वाले मामले से भी जोड़ रहे हैं। भगवाधारी पुलिस वालों की तस्वीर के साथ बागपत के सब इंस्पेक्टर की तस्वीर लगाकर सवाल पूछ रहे हैं। सपा ने बुधवार को ही इसे लेकर सवाल उठाया और धर्म के साथ खिलवाड़ बताया था। शुक्रवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पूछा है कि पुजारी वेश में पुलिसकर्मियों की तैनाती किस पुलिस मैन्युअल के हिसाब से सही है। अखिलेश यादव ने वाराणसी के पुलिस कमिश्नर को निलंबित करने तक की मांग कर दी है। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर जंग छिड़ी हुई है। लोग पूछ रहे हैं कि मुस्लिम त्योहारों पर मस्जिदों में भी इसी तरह से पुलिस वालों को कुर्ता पैजामा और टोपी में तैनात किया जाएगा? यूपी और बिहार के पूर्व डीजीपी का इस पर अलग अलग मत है। पुलिस रिफार्म पर काम करने वाले पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह का कहना है कि प्रथम दृष्टया यह आदेश गलत लगता है।
वाराणसी के पुलिस कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने मंगलवार को काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में अफसरों की बैठक के बाद कहा था कि जल्द ही गर्भगृह के पास पुलिस वालों को अर्चकों (पुजारियों) की वेशभूषा में तैनात किया जाएगा। यह भी कहा कि ऐसे पुलिस वालों को तीन दिन की विशेष ट्रेनिंग भी दी जाएगी। उन्होंने यह नहीं बताया कि तैनाती कब से होगी। लेकिन 24 घंटे के अंदर ही भगवा वेशभूषा में वहां पुलिस वालों की तैनाती हो गई। तस्वीर सामने आई तो पुलिस वालों ने न सिर्फ भगवा ड्रेस पहनी थी बल्कि माथे पर त्रिपुण्ड और गले में माला भी डाल रखी थी।
विश्वनाथ मंदिर जैसे अति विशिष्ट मंदिर पर इस तरह के प्रयोग का सबसे पहले सपा ने विरोध किया। इसे धर्म के साथ खिलवाड़ बताया। कहा कि यह न सिर्फ साधू संतों के भगवा वस्त्र का बल्कि पुलिस वाले की वर्दी का भी अपमान है। पुलिस की वर्दी उनका सम्मान होती है। उनका सम्मान छीनकर इस तरह से ड्यूटी कराना गलत है। सपा ने कहा कि खुफिया मिशन पर पुलिस वालों को बिना वर्दी भेजना या वेश बदलकर तैनाती देना अलग चीज होती है। विश्वनाथ मंदिर में इस तरह से ऐलान करके पुलिस वालों को खाकी की जगह भघवा वस्त्र पहनाना गलत है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर यहां तक पूछ लिया कि पुजारी के वेश में पुलिसकर्मियों का होना किस ‘पुलिस मैन्युअल’ के हिसाब से सही है? यह भी कहा कि इस तरह का आदेश देने वालों को निलंबित किया जाए। कल को इसका लाभ उठाकर कोई भी ठग भोली-भाली जनता को लूटेगा तो उप्र शासन-प्रशासन क्या जवाब देगा। निंदनीय!
वहीं सोशल मीडिया पर भगवा वेशधारी पुलिस वालों की तस्वीर वायरल हुई तो वहां भी एक तरह से जंग छिड़ गई। लोग इस मामले को बागपत में दाढ़ी बढ़ाने के कारण सस्पेंड कर दिए गए पुलिकर्मी से जोड़ रहे हैं। लोग यह भी पूछ रहे हैं कि क्या अजमेर और अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर तैनात पुलिस वालों का भी इसी तरह ड्रेस बदलेगा।
कुछ लोग मजे भी ले रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि हाथ से डंडा छीन लिया तो गले में सर्प भी लटका देते। त्रिशूल से तो बवाल ही हो जाता। दूसरे यूजर ने लिखा कि देश की सुरक्षा करने वाले को भी धर्म के रंग में रंग दिया गया है। देश को किस दिशा में लेकर जा रहे हैं ये लोगों को सोचना चाहिए। एक यूजर ने लिखा कि पुलिस और मिलिट्री की वर्दी ही उनका गौरव और अभियान है। पुलिस की वर्दी को भी फैंसी ड्रेस बनाना शर्मनाक है।
क्या कहते है पूर्व डीजीपी
यूपी के पूर्व डीजीपी और पुलिस रिफार्म के लिए काफी कार्य कर चुके प्रकाश सिंह का पहले पुलिस कमिश्नर से बात नहीं हो सकी है। मुझे नहीं मालूम की किन परिस्थितियों में ऐसा आदेश जारी किया गया है। प्रथम दृष्टया यह आदेश गलत लगता है। वहीं बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने कहा कि ऐसी चीज नहीं लगती है जिसका विवाद खड़ा किया जाए। मेला वगैरह में भी पुलिस वालों को सादी वर्दी में तैनात किया जाता है। यह बहुत ओपनली किया जा रहा है। असल में वहां भीड़ है। भीड़ को कंट्रोल करने के लिए कई बार वर्दी में होने पर श्रद्धालुओं को चोट पहुंचती है।
उन्होंने देवघर का उदाहरण दिया। कहा कि वहां पुलिस वाले लोगों को छड़ी से आगे बढ़ाते रहते हैं। अगर पुलिस की जगह पुजारी लोगों को आगे बढ़ाते हैं तो श्रद्धालुओं को उतना कष्ट नहीं होगा। बागपत वाले मामले से इसे जोड़ने पर कहा कि वह बिल्कुल अलग मामला था। उसे इससे नहीं जोड़ना चाहिए। यूपी के पूर्व डीजीपी और राज्यसभा सांसद बृजलाल से भी इस मामले पर बात करने की कोशिश की गई। लेकिन उन्होंने किसी मीटिंग में व्यस्तता के कारण फिलहाल बात नहीं की है।
क्या है बागपत का दाढ़ी बढ़ाने वाला मामला
बागपत में दाढ़ी बढ़ाकर ड्यूटी करने वाले सब इंस्पेक्टर इंतसार अली को सस्पेंड किया गया था। तब सस्पेंड इंतसार को सस्पेंड करने वाले पुलिस कप्तान ने कहा था कि पुलिस में सिर्फ सिख समुदाय को ही दाढ़ी रखने की अनुमति है। हिन्दू-मुस्लिम सहित अन्य समाज को इसकी अनुमति नहीं दी गई है। पुलिस में अनुशासन का पालन करना सभी के लिए जरूरी है। बाद में इंतसार ने दाढ़ी कटवा ली थी। इसके बाद उनका सस्पेंशन भी वापस हो गया था। उस समय भी पुलिस कप्तान के पक्ष और विपक्ष में खूब बयानबाजी हुई थी।
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