ज्ञानवापी के बंद तहखानों के ASI सर्वे की मांग वाली याचिका पर 17 को होगी सुनवाई, जिला जज ने मांगा हलफनामा
वाराणसी के जिला जज संजीद पांडेय की अदालत में श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी से जुड़े मामले में सुनवाई हुई। अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी जिसमें बंद तहखानों के एएसआई सर्वे की मांग वाली याचिका भी सुनी जाएगी।
वाराणसी के जिला जज संजीद पांडेय की अदालत में शनिवार को श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी से जुड़े एक मामले में सुनवाई हुई। विभिन्न अदालतों में चल रहे श्रृंगार गौरी से जुड़े अन्य मुकदमों को समेकित कर खुद सुनने का आदेश जिजा जज ने दिया था। अब पुराने आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई है। अदालत ने वादी अधिवक्ता से कहा है कि वह हलफनामा दें कि आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालत में आपकी ओर से कोई प्रार्थनापत्र लम्बित नहीं है। अगली सुनवाई अब 17 अगस्त को होगी। साथ ही 17 अगस्त को ज्ञानवापी के बंद तहखानों के एएसआई सर्वे की मांग करने वाली याचिका भी सुनी जाएगी।
वादी किरण सिंह के सहयोगी विकास शाह और विद्याचंद्र की ओर से काफी दिनों पहले अर्जी दी गई थी। जिला जज ने शनिवार को इसपर अपने आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने संबंधी जानकारी तलब की है। वहीं वर्ष 1991 मुलवाद के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी से भी कहा कि हाईकोर्ट में भी मूल वाद के ट्रांसफर करने सबंधी याचिका के बाबत जानकारी दें।
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'ज्ञानवापी का मूल मुकदमा व्यक्तिगत'
विशेष न्यायाधीश आवश्यक वस्तु अधिनियम की कोर्ट ने शनिवार को ज्ञानवापी के मूलवाद में वादी हरिहर पांडेय के निधन होने के बाद बेटों को पक्षकार बनाने संबंधित निगरानी अर्जी पर सुनवाई की। निगरानीकर्ता की ओर से अधिवक्ताओं ने बहस करते हुए कहा कि यह व्यक्तिगत वाद है। इसमें वरासत के आधार पक्षकार होना चाहिए। प्रतिवादी और वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने भी बहस की।
अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 33 अगस्त की तिथि नियत की है। पिछले माह शिदिल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने स्व. हरिहर पांडेय के बेटे प्रणय शंकर पांडेय और कर्ण शंकर पांडेय की पक्षकार बनाने की अर्जी खारिज कर दी थी। अर्जीकर्ता ने आदेश के खिलाफ जिला जज की कोर्ट में निगरानी अर्जी दाखिल की है। शनिवार को हरिहर पांडेय के निधन के बाद वारिसान के रूप में इस मुकदमे में पक्षकार बनाने के लिए दोनों बेटों की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और सुभाषनंदन चतुर्वेदी ने कहा कि यह व्यक्तिगत वाद है। तीन लोगों ने यह वाद दाखिल किया था। ऐसे में मृतक वादी के वारिसान भी पक्षकार बन सकते हैं। अधिवक्ताओं ने इस सम्बंध में राम मंदिर प्रकरण का भी हवाला दिया: