उन्नाव हादसे के बाद फिटनेस और बीमा के बीना दौड़ रहीं महोबा की 30 बसों के परमिट कैंसिल
उन्नाव बस हादसे ने महोबा में स्लीपर बसों के रखरखाव और विभागीय मिलीभगत की पोल खोल दी। पता चला है कि हादसे की शिकार बस बिना फिटनेस और बीमा के दौड़ रही थी। अब कार्रवाई करते हुए 30 बसें कैंसिल कीं।
यूपी में हुए उन्नाव बस हादसे ने महोबा में स्लीपर बसों के रखरखाव और विभागीय मिलीभगत की पोल खोल दी है। पता चला है कि हादसे की शिकार बस बिना फिटनेस और बीमा के दौड़ रही थी। हादसे के बाद विभाग ने बस मालिक के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। जिले में एक ही व्यक्ति के नाम से दर्जनों बसें पंजीकृत हैं, जिनमें से अधिकांश वर्षों से बिना फिटनेस और बीमा के दौड़ रही हैं। गुरुवार को आरटीओ ने ऐसी 30 बसों के परमिट निरस्त किए।
विभागीय जांच शुरू हुई तो पता चला कि अधिकांश बसों के मालिक महानगरों में बैठे प्रभावशाली लोग हैं, जबकि स्थाई पता के नाम पर महोबा के लोगों के नाम से बस दर्ज कराई गई हैं। एआरटीओ दयाशंकर का कहना है कि पूर्व में अस्थाई पता दर्ज करने की व्यवस्था थी, जो अब बंद कर दी गई है। जिले से ऐसी 30 से अधिक स्लीपर बसें संचालित हो रही हैं, लेकिन हादसे के बाद अधिकांश गायब हो गईं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार जिले के कई लोगों ने कम समय में अकूत दौलत कमा ली है और बसें खरीद लीं। बसों का धंधा शुरू करने वाले एक माफिया ने तो बसों का पूरा बेड़ा तैयार कर लिया है।
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एआरटीओ ने बताया कि प्राथमिक जांच के बाद 30 बसों के परमिट निरस्त किए गए हैं। विभाग लगातार नजर बनाए हुए हैं, आगे और भी कार्रवाई की जाएगी। उन्नाव में हुए बस हादसा ने जिले में स्लीपर बसों की संचालन में बरती जा रही मनमानी को उजागर कर दिया है। हादसे का शिकार हुई बस महोबा आरटीओ कार्यालय में पंजीकृत है। जांच में पता चला है कि यह बस बिना फिटनेस व बीमा के दौड़ रही थी। जांच में भ्रष्टाचार की परत दर परत खुल रही है।
बता दे कि लंबे समय से जिले में स्लीपर बसों की संचालन में लापरवाही भारती जा रही है नियमों को तक में रखकर जिले से महानगरों के लिए स्लीपर बसों का संचालन कराया जा रहा है विभाग की अधिकारियों की कृपा से माफिया बेसन का संचालन कर रहे हैं उन्नाव में हुए हादसे की बात इन बसों की संचालन में भर्ती जा रही लापरवाही उजागर हुई है एआरटीओ दयाशंकर का कहना है कि जांच में पता चला है कि बस विचार निवासी पुष्पेंद्र के नाम पंजीकृत है।
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