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यूपी में तीन से ज्यादा मौत वाले रोड एक्सीडेंट के कारण की एक्सपर्ट से जांच जरूरी, 22595 लोगों की 2022 में गई जान

योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश सड़क दुर्घटना जांच योजना शुरू की है जिसके तहत हर जिले में एआरटीओ के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम रोड एक्सीडेंट की जांच करेगी। तीन से ज्यादा मौत में जांच जरूरी है।

हिन्दुस्तान टाइम्स ब्रजेंद्र के पराशर, लखनऊMon, 16 Oct 2023 04:35 PM
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योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश सड़क दुर्घटना जांच योजना की शुरुआत की है। सड़क दुर्घटना की जांच अब पांच अफसरों की एक टीम करेगी जिसका नेतृत्व जिले के एआरटीओ (सहायक क्षेत्रीय परिवहन पदाधिकारी) करेंगे। टीम में ट्रैफिक डीसीपी या ट्रैफिक डीएसपी, ट्रैफिक इंस्पेक्टर, पीडब्ल्यूडी इंजीनियर और एक तकनीकी इंसपेक्टर शामिल होंगे। दुर्घटना में तीन या उससे अधिक मौत होने पर जांच को अनिवार्य कर दिया गया है। ये टीम सड़क दुर्घटना के तमाम पहलुओं की जांच करेगी और अगर सड़क में गड़बड़ी है तो उसे दूर करने के उपाय बताएगी। अभी तक रोड एक्सीडेंट के 80 परसेंट केस में ओवरस्पीड या ड्राइवर की लापरवाही को कारण मान लिया जाता है। जांच से वैज्ञानिक तरीके से यह बात सामने आएगी कि दुर्घटना क्यों हुई और अगर उसमें सड़क की बनावट की कोई भूमिका है तो उसमें सुधार की जाएगी।

उत्तर प्रदेश में साल 2022 में 41746 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हुईं जिसमें कुल 22595 लोगों की मौत हो गई। इनके अलावा 28541 लोग घायल भी हुए। सरकार ने इतनी बड़ी संख्या में रोड एक्सीडेंट और उसमें हजारों लोगों की एक साल के अंदर मौत को देखते हुए एक्सीडेंट के कारणों को जांचने का फैसला किया है। सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली एक कमिटी ने इस तरह की जांच की व्यवस्था करने की सिफारिश की थी। नई योजना से अलग-अलग पैरामीटर पर दुर्घटना को परखकर रिपोर्टिंग की जाएगी।

अपर परिवहन आयुक्त (सड़क सुरक्षा) पीएस सत्यार्थी ने कहा कि यह अभूतपूर्व पहल है जिससे दुर्घटनाओं की भरोसेमंद और समग्र जांच की व्यवस्था बनेगी। उन्होंने कहा कि अब तक पुलिस की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही दुर्घटनाओं का विश्लेषण किया जाता रहा है। नई योजना के तहत हर जिले में एक सड़क दुर्घटना जांच समिति बनेगी जिसमें ट्रैफिक इंस्पेक्टर या इंस्पेक्टर रैंक का पुलिस अफसर, पीडब्ल्यूडी का एक इंजीनियर, एक क्षेत्रीय तकनीकी इंस्पेक्टर शामिल होगा। कमिटी का नेतृत्व एआरटीओ करेंगे जबकि इसमें कमिश्नरी वाले जिलों में डीसीपी ट्रैफिक और बाकी जिलों में डीएसपी ट्रैफिक मेंबर होंगे।

योजना के मुताबिक सड़क दुर्घटना की सूचना मिलने के बाद कमिटी की पांच दिनों के अंदर मीटिंग होगी। कमिटी के मेंबर मौके पर जाकर दुर्घटना की जांच करेंगे और दुर्घटना की जांच रिपोर्ट को अंतिम रूप देंगे। तीन या उससे ज्यादा मौत वाली सड़क दुर्घटनाओं की जांच इस कमिटी के लिए अनिवार्य होगी। दुर्घटना की सूचना कमिटी के सदस्यों को देने की जवाबदेही एसएचओ और जिला पुलिस कंट्रोल रूम को दी गई है। कमिटी का नेतृत्व कर रहे एआरटीओ को हर तिमाही अपने इलाके की दुर्घटनाओं की रिपोर्ट और जांच के आधार पर की गई कार्रवाई की भी जानकारी देनी होगी।

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