सड़क हादसों का कारण रफ्तार, 72 फीसदी युवा शिकार, ये हैं डराने वाले आंकड़े
रफ्तार हादसों की बड़ी वजह है और इसके सबसे ज्यादा शिकार युवा होते हैं। परिवहन विभाग की ताजा रिपोर्ट में बताया पिछले साल यूपी में हुए कुल हादसों में 72 फीसदी युवा थे। इनकी उम्र 18 से 45 वर्ष के बीच थी।
रफ्तार हादसों की बड़ी वजह बन रही है और इसके सबसे ज्यादा शिकार युवा होते हैं। परिवहन विभाग की ताजा रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष हुए कुल हादसों में वाहन चलाने वाले 72 फीसदी युवा थे। इनकी उम्र 18 से 45 वर्ष के बीच बताई गई है। कुल हादसों में 40 फीसदी का कारण तेज रफ्तार रही। परिवहन विभाग ने सड़क सुरक्षा पर यह रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।
शासन ने अध्ययन रिपोर्ट मिलने के बाद हादसे रोकने और सुधार की दिशा में छह बिंदुओं पर तत्काल जरूरी कदम उठाने के दिशानिर्देश दिए हैं। इसमें पांच विभागों को सड़क सुरक्षा के जरूरी उपाय करने होंगे। इनमें पीडब्ल्यूडी, नेशनल हाईवे, एनएचएआई, यूपिडा, यीडा को दिसंबर 2023 तक अपने-अपने हिस्से का काम करना होगा। इन एजेंसियों को ही एक्सप्रेस-वे, हाईवे पर गति नियंत्रण, सुरक्षा संकेतांक जैसे जरूरी उपाय करने होंगे। ओवरस्पीड पर ऑटोमेटिक चालान की जिम्मेदारी भी इन्हीं विभागों को दी गई है। शहरी सीमा के भीतर पुलिस, ट्रैफिक विभाग और परिवहन विभाग निगरानी करेंगे।
रिपोर्ट
-18 से 45 वर्ष के बीच रही सड़क हादसों के शिकार युवाओं की उम्र
-2022 में 41,746 हादसों में 22,595 की मृत्यु, 28,541 घायल हुए
इन कारणों से सड़क हुए हादसे
-40 फीसदी तेज रफ्तार वाहन चलाने पर
-13 फीसदी रॉन्ग साइड ड्राइविंग करने पर
-10 फीसदी मोबाइल पर बात करते समय
-37 फीसदी दुर्घटनाओं के अन्य कारण रहे
इन छह बिंदुओं पर काम करने के निर्देश
-सड़क पर दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र यानी ब्लैक स्पॉट सुधारना
-यातायात व्यवस्थित करने को बड़े सुधार लगातार करते रहना
-सड़क किनारे अवैध अतिक्रमण और ढाबों को हटाना
-नेशनल हाईवे पर गति सीमा संकेतक का बोर्ड लगना
-सड़क के बीच बने अवैध कट को हर हाल में बंद करना
-डिवाइडर के बीच लगे पेड़ों की कटाई-छंटाई करना
-ओवरस्पीड वाहनों के ऑटोमेटिक चालान
परिवहन आयुक्त, चंद्र भूषण सिंह ने कहा कि सड़क हादसों की दो सबसे बड़ी वजह निकलकर सामने आई है। पहला तेज रफ्तार और दूसरा वाहन चालकों की खुद की चूक। शासन को रिपोर्ट सौंपी गई है। इसके मुताबिक जो भी दिशानिर्देश दिए गए हैं, उसके आधार पर सुधार के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।