पहले प्रत्याशी उतारे, अब BJP को समर्थन का ऐलान, भाजपा के चक्रव्यूह में कैसे फंस गए मंत्री संजय निषाद?
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने निकाय चुनाव में यू-टर्न ले लिया है। पार्टी ने जोर-शोर से निकाय चुनाव में 13 प्रत्याशी उतारे। अब भाजपा का समर्थन का ऐलान किया है।
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने निकाय चुनाव में यू-टर्न ले लिया है। पार्टी ने जोर-शोर से निकाय चुनाव में 13 प्रत्याशी उतारे। पहले चरण की चुनाव प्रक्रिया में नाम वापसी की मियाद बीतने के बाद पार्टी ने अपने प्रत्याशियों से भाजपा के समर्थन की अपील कर दी है। उनके इस ऐलान से हलचल मच गई। राष्ट्रीय अध्यक्ष ऐलान के बाद कुछ कार्यकर्ता मुखर हो गए। वह विरोध करने लगे। इस दौरान वहां मौजूद कार्यकर्ता आल्हा निषाद ने इसे धोखा करार दिया।
बुधवार को संजय निषाद भाजपा से महापौर प्रत्याशी का समर्थन करने शहर भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि दोनों लोगों ने एक साथ प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू किया और अब एक साथ समाज सेवा भी करेंगे। इसी दौरान निषाद पार्टी के प्रत्याशियों को भाजपा का समर्थन करने का ऐलान कर दिया।
इसकी सुगबुगाहट पार्टी के आला पदाधिकारियों को पहले से थी। सोमवार से ही मामले में डैमेज कंट्रोल की कोशिश की जा रही है। सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सभी प्रत्याशियों से फोन से संपर्क किया। उन्हें मनाया। इसमें सुधीर निषाद के परिजनों के साथ दो महिला प्रत्याशी अभी भी चुनाव लड़ने पर आमादा है। उन्हें मनाने के लिए सजातीय नेताओं को लगाया गया है।
सुधीर निषाद की गिरफ्तारी के बाद बैकफुट पर आई पार्टी
निषाद पार्टी ने इस बार नगर निकाय चुनाव में नगर निगम के आठ वार्ड में पार्षद और पांच नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से ज्यादातर सीटें निषाद बाहुल्य हैं। चुनावी हलचल के बीच वार्ड नंबर 38 के प्रत्याशी सुधीर निषाद को स्मैक के धंधे के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस प्रकरण में पुलिस ने निषाद पार्टी के सांसद व विधायक की पैरवी भी नहीं सुनी। उधर भाजपा हाईकमान ने निषाद पार्टी को इसे मामले में सख्त संदेश भी दिया। जिसके बाद से ही पार्टी बैकफुट पर आ गई।
क्यों लिया गया ऐसा फैसला
डॉ. संजय निषाद ने कहा कि मेरी तबीयत खराब थी। इस वजह से भाजपा से संवाद नहीं हो सका। संवादहीनता में पार्टी ने पहले चरण के लिए प्रत्याशी घोषित कर दिए। अब संवाद हो गया है। सभी प्रत्याशियों को चुनाव न लड़ने के लिए निर्देशित किया गया है। उन्हें अपने वार्ड में भाजपा के प्रत्याशी का समर्थन करना होगा। चुनाव बाद कार्यकर्ताओं को मनोनयन के जरिए समायोजित किया जाएगा।