निकाय चुनाव पर क्यों पड़ रही तारीख पर तारीख, आज शीतकालीन अवकाश में भी होगी सुनवाई
यूपी नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर शीतकालीन अवकाश के बावजूद शनिवार को सुनवाई होगी। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में इस मुद्दे पर दाखिल याचिकाओं पर शुक्रवार को बहस नहीं हो सकी। आज भी इस पर सुनवाई होगी।
यूपी नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर शीतकालीन अवकाश के बावजूद शनिवार को सुनवाई होगी। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में इस मुद्दे पर दाखिल याचिकाओं पर शुक्रवार को बहस नहीं हो सकी। लिहाजा शीतकालीन अवकाश के बावजूद आज इस मामले की सुनवाई होगी।
न्यायालय ने मामले को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति अथवा वरिष्ठ न्यायमूर्ति से अनुमति लेने के बाद शनिवार को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। बता दें कि ओबीसी आरक्षण में प्रक्रिया का पालन न किए जाने के आरोप को लेकर नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने पर हाईकोर्ट ने 12 दिसम्बर को रोक लगाई थी। इसके बाद इस रोक को 20 दिसम्बर तक जारी रखने का आदेश दिया गया। तब से हर तारीख पर किसी न किसी वजह से फैसला टलता रहा है।
शुक्रवार को न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ के सामने सूचीबद्ध मामलों की अधिकता के कारण शाम को लगभग साढ़े छह बजे तक नए मामलों (फ्रेश केसेज) की ही सुनवाई चलती रही। इसके बाद जब निकाय चुनावों सम्बंधी याचिकाओं पर न्यायालय ने कहा कि शनिवार से शीतकालीन अवकाश शुरू हो रहा है और शनिवार को इन मामलों को तभी सूचीबद्ध किया जा सकता है जबकि याचियों व राज्य सरकार दोनों तरफ से अनुरोध किया जाए।
दोनों पक्षों की सहमति पर न्यायालय ने मामले को शनिवार को सूचीबद्ध करने को कहा। हालांकि एक याची के अधिवक्ता ने मामले की सुनवाई 2 जनवरी को करने का अनुरोध यह कहते हुए किया कि शनिवार से होने वाली छुट्टियों के कारण तमाम अधिवक्ताओं के शहर से बाहर रहने की संभावना है, इस पर न्यायालय ने कहा कि छुट्टियों में हम सुनवाई के लिए तैयार हैं तो आपको भी कुछ बलिदान करना होगा।
लोकतान्त्रिक तरीके से चुने जाते हैं निकाय, अनिश्चितता में नहीं छोड़ सकते
न्यायालय ने कहा कि यह 17 नगर निगमों और 761 नगर परिषदों व नगर पंचायतों में चुनाव का मामला है, इन तमाम स्थानीय निकायों का कार्यकाल 7 जनवरी से 30 जनवरी तक समाप्त होने वाला है, ये निकाय लोकतान्त्रिक तरीके से चुने गए प्रतिनिधियों से गठित होते हैं। न्यायालय ने कहा कि निकायों में चुनावी प्रक्रिया जितनी जल्दी हो सके उतने एजल्दी शुरू होनी जरूरी है और इसे अनिश्चितता में नहीं छोड़ा जा सकता।