Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़UP Nagar Nikay Chunav BJP is preparing for Mission 2024 with the help of Municipal body Elections

UP Nagar Nikay Chunav: निकाय के सहारे मिशन-2024 की बिसात बिछा रही भाजपा, ये है रणनीति

यूपी नगर निकाय चुनाव के सहारे भाजपा आगामी लोकसभा चुनावों की बिसात बिछाएगी। जनाधार और बढ़ाने को नगर निगमों के साथ ही पहले से अधिक नगर पालिका व नगर पंचायतें जीतने का लक्ष्य रखा गया है।

Srishti Kunj राजकुमार शर्मा, लखनऊSat, 1 April 2023 06:30 AM
share Share

यूपी नगर निकाय चुनाव के सहारे भाजपा आगामी लोकसभा चुनावों की बिसात बिछाएगी। जनाधार और बढ़ाने को नगर निगमों के साथ ही पहले से अधिक नगर पालिका व नगर पंचायतें जीतने का लक्ष्य रखा गया है। पार्टी की कोर वोटर मानी जाने वाली महिलाओं के लिए ज्यादा सीटें आरक्षित कर उन्हें मजबूती से जोड़े रखने की मुहिम तेज कर दी है। वहीं दलितों के लिए भी पहले से अधिक सीटें आरक्षित की गई हैं।

भाजपा निकाय चुनाव को मिशन-2024 के रिहर्सल के तौर पर ले रही है। प्रदेश में 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका और 544 नगर पंचायतों पर चुनाव होने हैं। फिलहाल 760 निकायों में चुनाव हो रहे हैं। यह निकाय प्रदेश के सभी 80 लोकसभा क्षेत्रों को कवर करते हैं। पार्टी एक ओर जहां बूथ सशक्तिकरण अभियान में जुटी है तो दूसरी ओर युवा, महिला, किसान और विभिन्न वर्गों के लाभार्थियों को साधने की रूपरेखा भी तय की गई है। पहली बार प्रदेश के कुछ मुस्लिम बाहुल्य निकायों में पार्टी अल्पसंख्यक प्रत्याशी उतारने का भी प्रयोग भी करने जा रही है।

रणनीति
-कोर वोटर मानी जाने वाली महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर चला सियासी दांव
-38 फीसदी सीट आरक्षित कर आधी आबादी पर पकड़ मजबूत करने की कवायद 
-निकायों में दलितों को साधने का पार्टी को लोकसभा चुनाव में भी मिलेगा लाभ

पांच दिसंबर 2022 को जारी की गई आरक्षण की अधिसूचना को हाईकोर्ट ने रोक दिया था। उस सूची के हिसाब से महिलाओं के लिए निकायों की करीब 27 फीसदी सीट आरक्षित की गई थीं। मगर गुरुवार को घोषित आरक्षण सूची में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या बढ़कर तकरीबन 38 फीसदी हो गई है। सीटों के हिसाब से देखें तो यह संख्या 288 है। खास बात यह है कि मेयर की 17 में से छह सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। वर्ष 2014 के बाद होने वाले चुनावों में लगातार महिलाएं भाजपा को ताकत देती रही हैं।

दलित वोट बैंक पर है नजर
पार्टी की नजर दलित वोट बैंक पर भी है। 2022 के विधानसभा चुनाव में जिस तेजी से बसपा के वोटों का ग्राफ गिरा, उसके बाद भाजपा और सपा दोनों ने दलितों को अपने पाले में खींचने के प्रयास तेज कर दिए हैं। अनुसूचित जाति की सीटें भी 102 से बढ़ाकर 110 हो गई हैं। दलितों की राजधानी कहे जाने वाले आगरा की मेयर सीट अनुसूचित जाति की महिला और झांसी की मेयर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने से भाजपा के दलित जोड़ों अभियान को बल मिलेगा।

ओबीसी पर विपक्ष को राजनीति का मौका नहीं
प्रदेश में बीते कुछ समय से भाजपा को ओबीसी वोट बैंक के नाम पर घेरने की जो मुहिम विपक्ष, खासतौर से सपा चला रही है, उसका भी पार्टी ने पटाक्षेप करने का प्रयास किया है। ओबीसी सीटों की संख्या यथावत रहने से पार्टी ने विपक्षी हमलों की धार को कुंद करने का दांव चला है। यूं भी राहुल गांधी प्रकरण में भाजपा ने ओबीसी कार्ड को बेहद मुखरता से खेला है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें