यूपी नगर निकाय चुनाव: लखनऊ व शाहजहांपुर मेयर सीटों के आरक्षण पर उठे सवाल
नगर विकास विभाग द्वारा लखनऊ और शाजहांपुर मेयर की सीटों के आरक्षण पर आई सर्वाधिक आपत्तियां भी सवालों के घेरे में हैं। लखनऊ और शाहजहांपुर के प्रस्तावित आरक्षण पर सबसे ज्यादा आपत्तियां थीं।
नगर विकास विभाग द्वारा लखनऊ और शाजहांपुर मेयर की सीटों के आरक्षण पर आई सर्वाधिक आपत्तियां भी सवालों के घेरे में हैं। इसको लेकर भी पिछड़ा वर्ग आयोग ने सवाल उठाए हैं। सूत्र बताते हैं कि लखनऊ और शाहजहांपुर के प्रस्तावित आरक्षण पर सबसे ज्यादा आपत्तियां थीं। लखनऊ को लेकर इस बात पर आपत्तियां आई थीं कि यह सीट अनारक्षित श्रेणी में कई बार रही है, फिर दूसरे वर्गों के लिए क्यूं नहीं आरक्षित हो रही हैं। यहां पर आरक्षित वर्ग के लोगों को आखिर प्रतिनिधित्व का मौका क्यों नहीं मिल रहा? वहीं, शाहजहांपुर को लेकर आपत्ति इस बात पर थी कि यहां पहली बार चुनाव हो रहे हैं और सीट अनारक्षित कर दी गई जबकि चक्रानुक्रम की प्रक्रिया तो आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व के साथ शुरू होती है।
शाहजहांपुर लोकसभा भी आरक्षित श्रेणी में है तो इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि यहां एससी आबादी कम होगी। ऐसे में इसे अनारक्षित श्रेणी में क्यों रखा गया? इसके अलावा अगर अनारक्षित भी थी तो पहला आरक्षण तो महिला के लिए होता है। वह भी नहीं किया गया था। आपत्तियां प्रयागराज को लेकर भी कम नहीं थीं। हालांकि अब जबकि नए सिरे से आरक्षण का प्रस्ताव बनेगा तो लोगों को उम्मीद की राहें दिख रही हैं।
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नए सिरे से सिटों के आरक्षण से जागी उम्मीद
समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के बाद चुनाव लड़ने की उम्मीद छोड़ने वालों के चेहरे पर एक तरह से देखा जाए तो रौकन आ गई है। एक बार फिर कई लोगों के मुरझाए चेहरे खिल गए हैं। उन्हें फिर लड़ने की आस दिखने लगी है और क्षेत्र में उनकी सक्रियता देखी जा सकती है। वहीं, जिन लोगों को आयोग की आपत्तियों की जद में आने की संभावना दिख रही है वे अभी से ही विकल्प की तलाश में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई रिपोर्ट में कई खामियों की तरफ इशारा किया गया है। आरक्षण व्यवस्था के पालन में खामियां गिनाकर उन्हें दुरुस्त करने की सिफारिश की है।