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UP Monsoon: हीट अंब्रेला इफेक्ट से रात में हो रही बारिश, बनी परत से ऊपर नहीं जा पा रही गर्मी

यूपी में हीट अंब्रेला इफेक्ट से रात में बारिश हो रही। मई और जून महीने की तेज गर्मी के कारण एक गर्म छतरी तन गई। वातावरण से अभी भी यह गर्मी ऊपर नहीं जा पा रही है। इससे कवच बना है। ये गर्मी निकलना जरूरी।

Srishti Kunj मोहम्मद आसिम सिद्दीकी, कानपुरSun, 7 July 2024 10:05 AM
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यूपी में हीट अंब्रेला (गर्म छाता) इफेक्ट के चलते दिन में बारिश नहीं हो रही है। रात के समय तापमान गिरने पर अधिक बारिश हो रही है। मई-जून में अधिकतम तापमान लगातार 44-48 डिग्री तक बना रहा था। निचले स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड की लेयर भी बन गई है। इससे इफेक्ट बढ़ गया है। जब तक यह प्रभाव खत्म नहीं होता तब तक कानपुर और ऐसे ही अन्य जनपदों में दोपहर के समय मूसलाधार बारिश नहीं होगी। 

केवल मानसून ही नहीं वातावरण के कई कारक ऐसे होते हैं जिससे बारिश होती है। इसमें बादलों का प्रकार, क्षेत्र में निचली व ऊपरी परत का तापमान, नमी लाने वाली हवाएं, कम दबाव का क्षेत्र और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैस इसके लिए जिम्मेदार होती है। यही कारण है कि अक्सर बारिश जैसा माहौल तो बनता है लेकिन एक बूंद नहीं गिरती।

क्या है हीट अंब्रेला
- मई और जून महीने की तेज गर्मी के कारण वातावरण में गर्म छतरी तन गई
- वातावरण से अभी भी यह गर्मी ऊपर नहीं जा पा रही, कवच बना है
- वातावरण के बीच कार्बन डाइऑक्साइड की मोटी परत भी बाधा बनी है
- अच्छी बारिश के लिए निचली परत की गर्मी का निकलना जरूरी

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हीट अंब्रेला इफेक्ट नहीं हो रहा खत्म
प्रदेश के कुछ जिले ऐसे रहे हैं जहां मध्य मई से लेकर पूरे जून तक अधिकतम तापमान अत्यधिक ऊंचे रहे हैं। लगातार एक जैसी स्थिति बनी रही है। इन जनपदों में कानपुर और प्रयागराज जैसे शहर शामिल थे। जून के अंतिम सप्ताह में प्री मानसून गतिविधियों व फिर मानसून की गतिविधियां बढ़ गईं। इससे बारिश तो हुई लेकिन रात में या तड़के। दिन में माहौल तो बना लेकिन बारिश नहीं हुई। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून आने के बाद निचली परत की गर्मी ऊपर चली जानी चाहिए थी। पर ऐसा नहीं हुआ। इस कारण दिन में बारिश न के बराबर लेकिन रात में अधिक हो रही है। इसी को हीट अंब्रेला इफेक्ट के नाम से जानते हैं।

दिन में रहते हैं बिन वर्षा के बादल
हीट अंब्रेला का एक असर यह भी होता है कि दिन में बादल तो बनते रहते हैं लेकिन बारिश नहीं होती है। माहौल बारिश का बनता है लेकिन यह तेज रफ्तार बारिश में नहीं बदल पाते हैं। इसे हीट लेयर और कार्बन डाइऑक्साइड की लेयर रोकती रहती है।

सीएसए के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी, डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने कहा कि मई-जून में दिन का पारा सामान्य से काफी अधिक रहा है। इससे गर्म छतरी की स्थिति बन गई है। ऐसे में नमी अधिक होने और रात में तापमान कम होने से हीट अंब्रेला इफेक्ट कम हो जाता है। इससे रात में बारिश होने लगती है। दिन में वर्षा कम होती है। कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम होते ही यह इफेक्ट कम होगा तो दिन में मूसलाधार बारिश होगी। 

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