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Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़UP MLC election: BJP announced candidate on Swami Prasad Maurya s seat who is Bahoran Maurya what is the strategy

UP MLC चुनाव: स्वामी प्रसाद मौर्य की सीट पर भाजपा ने घोषित किया प्रत्याशी, कौन हैं बहोरन मौर्य, क्या है रणनीति

स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से खाली हुई विधान परिषद यानी एमएलसी की सीट के लिए भाजपा ने सोमवार को प्रत्याशी घोषित कर दिया। एमएलसी उपचुनाव के लिए बीजेपी ने बहोरन लाल मौर्य को उम्मीदवार घोषित किया है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊMon, 1 July 2024 05:08 PM
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स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से खाली हुई विधान परिषद यानी एमएलसी की सीट के लिए भाजपा ने सोमवार को प्रत्याशी घोषित कर दिया। एमएलसी उपचुनाव के लिए बीजेपी ने बहोरन लाल मौर्य को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। माना जा रहा है कि बहोरन मौर्य आसानी से निर्वाचित हो जाएंगे। इस सीट पर विधायकों के वोट से एमएलसी का चुनाव होना है। ऐसे में सपा शायद ही प्रत्याशी उतारे। अगर सपा ने प्रत्याशी उतारा भी तो बहुमत के कारण भाजपा की जीत तय ही मानी जा रही है। बहोरन को उतारने के पीछे समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के पीडीए को चुनौती देना भी माना जा रहा है। भाजपा का मानना है कि लोकसभा चुनाव में गैर यादव ओबीसी मतों के कारण ही उसे हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में फिर से ओबीसी मतों पर भाजपा का जोर है। बहोरन मौर्य को उतारना उसी का हिस्सा माना जा रहा है।

बहोरन लाल मौर्य बरेली की भोजीपुरा सीट से 2017 में विधायक चुने गए थे। 2022 में भाजपा ने उन्हें दोबारा टिकट दिया लेकिन जीत नहीं सके थे। उनको समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी शहजिल इस्लाम ने पराजित कर दिया था। तब कहा गया था कि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जिन ग्राम प्रधानों और क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने बहोरन लाल मौर्य को चुनाव जितवाने में पूरी मदद की थी। वे 2022 में उनके विरोध में आ गए। पहले तो मामला अंर्तविरोध तक सीमित रहा।

बाद में विरोध के स्वर मुखर हो गए थे। हालत यह हो गई थी कि बड़ी संख्या में ग्राम प्रधानों और क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने तो लिखकर दे दिया था कि अगर बहोरन लाल मौर्य को दोबारा टिकट दिया जाता है तो वे लोग भाजपा का साथ छोड़ देंगे। माना जाता है कि यही वजह थी कि भाजपा के आलाकमान ने भोजीपुरा में बहोरन लाल मौर्य के नाम की घोषणा करने से पहले इन्हें होल्ड पर रखा था। लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में चले जाने के बाद भाजपा ने उनका टिकट काटने का खतरा नहीं उठाया। इसका खामियाजा भाजपा को सीट खोकर भुगतना पड़ा।

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