यूपी के इस शहर में मोनू पंडा ने किया धधकती आग से निकलने का चमत्कार, ऐसे निभाते हैं परंपरा
मथुरा के कोसीकलां की प्रह्लाद नगरी फालैन में धधकती आग से मोनू पंडा ने चौथी बार कूदने का चमत्कार किया है। हालांकि उसके बाहर सकुशल निकलने से जुड़ी जानकारी का इंतजार है। जानें क्या है परंपरा।
मथुरा के कोसीकलां की प्रह्लाद नगरी फालैन में धधकती आग से मोनू पंडा ने चौथी बार कूदने का चमत्कार किया है। हालांकि उसके बाहर सकुशल निकलने से जुड़ी जानकारी का इंतजार है। दरअसल, फालैन में होलिका दहन का मुहूर्त बुधवार को 4.30 बजे रखा गया था। इसके लिए प्रह्लाद कुंड के पास 30 फुट व्यास की विशालकाय होली सजाई गई। मंगलवार सुबह से ही प्रह्लाद कुंड मेला स्थल के पास धमार-गायन शुरू हो गया।
फालैन, सुपाना, राजागढी, वरचावली, नगला नाम के पांच गांवों की सरदारी ने घरों से कंडा, गूलरी-मालाओं से होलिका को विशाल रूप दिया। बता दें कि रात ढलते ही मोनू पंडा नगाड़ा, ढोलक, मजीरा आदि के साथ गाते बजाते पांचों गांवों के नर-नारियों के साथ होलिका की परिक्रमा किया। इसके बाद दहकती होली के बीच से सकुशल निकलने वाला चमत्कार करके दिखाया।
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ऐसे निकलता है पंडा
पंडा द्वारा रात को निर्धारित लग्न में दीपक जलाया जाता है। जब तक इसकी लौ गर्म रहती है, पंडा जप करता है। लौ ठंडी होने के बाद ही होलिका की अग्नि में प्रवेश करने के संकेत पंडा देता है। फिर होलिका में अग्नि प्रज्वलित की जाती है और पंडा कुण्ड में स्नान को जाता है। उसकी बहन कुंड पर पंचामृत का लोटा लिए खड़ी होती है। इस बीच पंडा कुंड से दौड़ते हुए अग्नि में प्रवेश करता है।
गांव फालैन में प्रह्लाद और होलिका दहन की पौराणिक गाथा की इस परंपरा को सालों से निभाया जा रहा है। होलिका के दहकते अंगारों के बीच गुजरा जाता है। इसके लिए मोनू पंडा ने एक माह का कठोर तप किया। मोनू पंडा लगातार चौथी बार ये चमत्कार करने के लिए तैयारी कर रहे थे। हालांकि खबर लिखे जाने तक ये विधि पूरी होने की जानकारी नहीं आई है। गांव के लोगों के अनुसार, मोनू पंडा माघ पूर्णिमा से तप पर प्रह्लाद मंदिर में बैठ गया। मोनू एक माह से मंदिर में अखंड ज्योति के पास बैठकर तप कर रहा है, जमीन पर ही सो रहा है और केवल फलाहार कर रहा है।