जापानी कंपनियों के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी पर बनेगा नया शहर, होंगी इन सुविधाओं से लेस
यूपी में जापानी कंपनियां अलग-अलग सेक्टर में निवेश कर रही हैं। इसके चलते उन कंपनियों के कर्मियों के लिए एक अलग सिटी बनाने की तैयारी है। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में जमीन चिन्हित की।
यूपी में अलग-अलग सेक्टर में निवेश का लेकर जापानी कंपनियों के सकारात्मक रुख को देखते हुए उनके लिए एक अलग सिटी बनाने की तैयारी है। जापानी कंपनियां चाहती हैं कि उन्हें नोएडा या उसके आप पास बड़ा लैंड पार्सल मिले, जहां वे अपनी छोटी-बड़ी परियोजनाएं लगा सकें। इसके लिए अब यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में 500 एकड़ की जमीन चिन्हित की गई है। यहां जापानी कंपनियों के लिए अलग सिटी बनेगा।
इन्वेस्टमेंट सिटी के तौर पर विकसित होने वाले क्षेत्र में इलेक्ट्रानिक्स कंपनियां आएंगी। खासतौर पर सेमी कंडक्टर, आर्टीफिशियल इंटलीजेंस, ग्रीन हाइड्रोजन इनर्जी, सोलर इनर्जी, आटोमोबाइल सेक्टर में भी निवेश होगा। औद्योगिक विकास विभाग के सूत्रों के मुताबिक, इस प्रस्तावित सिटी में आधारभूत ढांचा सरकार विकसित करेगी। इसमें उच्चस्तरीय सड़कें, बिजली, सुरक्षा के साथ-साथ नागरिक सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। जापान की कंपनियों में काम करने वाले लोगों को उन्हीं का परिवेश उपलब्ध करवाते हुए उनको घर, स्कूल और हॉस्पिटल जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
हाल में जापानी अधिकारियों व राजनयिकों के शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व यहां के अधिकारियों से मुलाकात कर निवेश प्रस्तावों व प्रस्ताावित सिटी पर चर्चा की। इस मुलाकात के बाद यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी में जापानी कंपनियों के प्रतिनिधिमंडल को जमीन भी दिखाई गई थी। इसके लिए बने कंसोर्सियम द्वारा जमीन तय करने के बाद अब यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के उस एरिया को सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा।
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एफडीआई पॉलिसी के तहत निवेश करेंगी जापानी कंपनियां
जापान की कंपनियां यूपी सरकार की एफडीआई नीति के तहत यहां निवेश करेंगी। एफडीआई पॉलिसी के तहत निवेश पर कंपनियों को कई तरह की रियायतें दी जा रही हैं। इसमें खासतौर पर जमीन की कीमत में 80 प्रतिशत तक की छूट का प्राविधान है। राज्य सरकार को एफडीआई पॉलिसी के तहत पहला निवेश भी जापान की कंपनी फूजी सिल्वरटेक कंक्रीट का मिला है। माना जा रहा है कि 500 एकड़ में बनने वाली इस सिटी में जापान की अलग-अलग क्षेत्रों की कंपनियां 15000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करेंगी।