बारिश आते ही बढ़ी मुसीबत! इस शहर में बाघ-तेंदुए के साथ अब मगरमच्छों से खतरे का अलर्ट जारी
लखीमपुर में जहां बाघ और तेंदुए का आतंक है वहीं मॉनसून सीजन में खीरी में मगरमच्छों का खौफ ज्यादा है। इसको लेकर कई इलाकों में अलर्ट जारी किया गया है। 50 हजार से अधिक की आबादी में इनकी दहशत है।
मानसून सीजन में खीरी में बाघ और तेंदुए से ज्यादा मगरमच्छों का खौफ है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पांच तहसील के 25 गांव में रहने वाली 50 हजार से अधिक की आबादी में इनकी दहशत रहती है। वहीं वन विभाग इनके रेस्क्यू के रिकार्ड बताकर खुद की पीठ थपथपा रहा है। साथ ही मगरमच्छ का हमला साबित होने और इसमें जान गंवाने वाले को पांच लाख का मुआवजा देने का दावा कर रहा है।
बरसात शुरू होते ही महज एक सप्ताह में मगरमच्छ के हमले में चार घायल हो गये है। इसको लेकर वन विभाग ने अलर्ट जारी किया है। लोगों सर्तकता बरतने के साथ ग्रामीणों को नहर, नदी और तालाब के समीप खेत में काम करते समय सावधान रहने को जागरूक कर रहा है। साथ ही वन विभाग मगरमच्छों की मौजूदगी वाले स्थानों पर संकेतक बोर्ड भी लगवाएगा। मानसून सीजन में नदियों में पानी बढ़ने और शहर से सटे इलाकों में नाले के सहारे मगरमच्छ रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते हैं।
पलिया, निघासन, धौरहरा और सदर तहसील के नदी किनारे बसे करीब 25 गांव इन दिनों मगरमच्छों की मौजूदगी से भय में रहते है। गांव वाले बताते हैं कि मगरमच्छ नदी से निकलकर गांव में घुस जाते हैं। कभी खलिहान में बैठे रहते हैं, कभी आंगन तक आ जाते हैं। डीएफओ दक्षिण खीरी संजय विश्वाल के मुताबिक नदी से बाहर निकलकर आने वाले मगरमच्छों के हमले में जान गंवाने वाले के परिवार को पांच लाख और गंभीर रूप से घायल को ढाई लाख रुपये की मदद की जाती है। यह मदद हमला होने की पुष्टि होने पर ही दी जाती है।
उल्ल, कंडवा, शारदा में मगरमच्छों की है मौजूदगी
शहर से सटकर बह रही उल्ल नदी, कंडवा और शारदा नदी में मगरमच्छों की अच्छी-खासी संख्या है। इनमें 400 से अधिक होने का अनुमान है। हालांकि वन विभाग के पास न तो इनकी सही गिनती है और न यह डाटा कि किस नदी में इनकी कितनी संख्या है।