गर्मी से फीका पड़ा फूलों का रंग और खो गई खुशबू, जेठ में बरसे अंगारों का असर
यूपी की गर्मी से फूलों का रंग फीका पड़ा और खुशबू खो गई है। विशेषज्ञों ने कहा कि जेठ में बरसे अंगारों का फूलों पर गहरा असर पड़ा। एक मीटर की गहराई तक मिट्टी का तापमान 35 डिग्री तक पहुंच गया है।
आसमान से धूप की शक्ल में बरस रहे अंगारों ने फूलों से रंग और खुशबू भी छीन ली है। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि गर्मी से कनेर, गुलाब, गुड़हल, गेंदा के फूलों का रंग फीका पड़ गया है। परागण करने वाले मित्र कीट नहीं निकल रहे हैं, इससे कलियां सूख कर गिर रही हैं। फूलों को खुशबूदार बनाने वाला तेल सूखने से महक बहुत कम रह गई है।उद्यान अधिकारी राजेंद्र कुमार ने कहा-प्रचंड धूप की वजह से पराबैंगनी किरणें अधिक घनत्व में धरती पर पड़ीं। इससे फूलों का रंग उड़ गया। सुर्ख गुलाब और गुड़हल, पीले गेंदा और कनेर के फूलों की पंखुड़ियां सफेद नजर आ रही हैं। गर्मी से नमी बहुत कम रही। इसका असर फूलों की सुगंध पर पड़ा है। गुलाब और गेंदा के फूलों की सुगंध चली गई। फूलों में सुगंध बनी रहने के लिए कम से कम 50 प्रतिशत नमी जरूरी है।
मिट्टी को चढ़ा बुखार
बांदा कृषि विश्वविद्यालय में मौसम विभाग के प्रभारी डॉ. दिनेश शाह ने कहा- बुंदेलखंड में कई दिन तापमान 49 डिग्री तक पहुंचा। इससे मिट्टी का ताप भी बढ़ा। मिट्टी का अधिकतम तापमान 30 डिग्री तक रहना चाहिए, तभी कोई भी पौधा अच्छे ढंग से पोषण पाता है। वातावरण का तापमान अगर 42 डिग्री तक रहे तो मिट्टी 30 डिग्री तक गर्म होती है। वातावरण का तापमान 47 डिग्री तक जाने पर मिट्टी एक मीटर गहराई तक 35 डिग्री तक गर्म हुई है। इससे लाभदायक सूक्ष्म जीव नष्ट हुए। पौधों में पोषक तत्वों की कमी हो गई। उनकी मेटाबॉलिक क्रियाएं अवरुद्ध हुईं। पौधों की बाढ़, फूलों के रंग-खुशबू और आकार पर भी बुरा असर पड़ा है।
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पेस्टिसाइड हो रहे निष्प्रभावी
डॉ. शाह ने कहा कि प्रचंड गर्मी से कीटनाशकों की रासायनिक संरचना में परिवर्तित हो रहा है। वे जल्द सूख रहे हैं। वाष्प बनकर उड़ने के कारण निष्प्रभावी हो रहे हैं। सूर्य की पराबैंगनी किरणें पानी में दो और मिट्टी में एक मीटर गहराई तक असर डालती हैं। उसका असर पड़ा। जलीय वनस्पतियां भी झुलसीं। उथले जल (करीब दो मीटर गहराई) की मछलियां भी मरीं।
सीएसए, हॉर्टिकल्चर विभागाध्यक्ष, डॉ. वीके त्रिपाठी ने कहा कि फूल वाले पौधों के लिए 30-35 डिग्री तापमान अनुकूल रहता है। गुलाब, सूरजमुखी, चंपा, गेंदा, गुड़हल और जिनिजिया के पौधों को नमी मिलती रहे, तो फूलों पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। 42-47 डिग्री पर इनका रंग और खुशबू दोनों ही प्रभावित हो जाते हैं।
कन्नौज, एसएमडीएम इत्र फर्म, संचालक, मो. आलम ने कहा कि इस मौसम में बेला और मेहंदी का इत्र बनता है। भीषण गर्मी से फूलों की खुशबू कम हो गई है। 100 मिली इत्र बनाने में जितना फूल इस्तेमाल होता था, उससे डेढ़ गुना ज्यादा फूल इस्तेमाल करने पर ही पहले जैसी खुशबू मिल पा रही है।
कन्नौज, संचालक, केएनएपी इत्र फर्म, आशीष पांडेय ने कहा कि खुशबू तो कम हुई ही है, फूल झुलसने से उत्पादन घटा है। इससे कीमत बढ़ गई है। बेला, गुलाब और मेहंदी तीनों के फूल 30-40 फीसदी तक महंगे हो गए हैं।