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ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में पूजा केस में फैसला आज, पांच मामलों में होगी सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट आज ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को पूजा का अधिकार सौंपने के जिला जज वाराणसी के आदेश के खिलाफ दाखिल प्रथम अपीलों पर निर्णय सुनाएगा।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान टीम, प्रयागराजMon, 26 Feb 2024 05:57 AM
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को पूजा का अधिकार सौंपने के जिला जज वाराणसी के आदेश के खिलाफ दाखिल प्रथम अपीलों पर सोमवार को निर्णय सुनाएगा। यह फैसला न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल अंजुमन इंतिजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल प्रथम अपीलों पर सुनाएंगे। इससे पहले कोर्ट ने दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया था, जो सोमवार सुबह 10 बजे सुनाया जाएगा।

ज्ञानवापी के पांच मामलों में आज होगी सुनवाई
आदिविश्वेश्वर- ज्ञानवापी से जुड़े पांच प्रकरणों में सोमवार को विभिन्न अदालतों में सुनवाई होनी है। पहले प्रकरण में किरण सिंह की अर्जी की पोषणीयता के लेकर दाखिल निगरानी अर्जी पर सुनवाई होगी। अंजुमन इंतिजामिया ने सिविल जज सीनियर डिविजन के आदेश के खिलाफ दाखिल अर्जी में वाद की पोषणीयता को चुनोती दी है। 

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जिला जज कोर्ट में चल रहे दूसरे प्रकरण में 24 जनवरी को लॉर्ड ज्योतिर्लिंग आदि विशेश्वर विराजमान की वादमित्र अधिवक्ता अनुष्का तिवारी व इंदु तिवारी ने मांग की है कि 1991 के मूल वाद को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से स्थानांतरित कर जिला जज अन्य मुकदमों के साथ सुनवाई करें। तीसरे प्रकरण में इसी अदालत में व्यास जी के नाती शैलेंद्र पाठक व्यास ने भी फास्ट ट्रैक कोर्ट से केस स्थानांतरित करने की गुहार लगाई है।

चौथा केस एडीजे (नवम) की अदालत में चल रहा है। उसमें ज्ञानवापी परिसर स्थित वुजूखाना में गंदगी व शिवलिंग की आकृति पर दिए गए बयान पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव, ओवैसी व अंजुमन इंतजामिया के पदाधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज की मांग की गई है। पांचवां प्रकरण एडीजे (सप्तम) कोर्ट में लम्बित है। इसमें ज्ञानवापी में उर्स और मजार पर चादर चढ़ाने की मुस्लिम पक्ष ने मांग की है।

हिंदू पक्ष के मुताबिक वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण से पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। कई हिंदू कार्यकर्ताओं ने चुनौती दी है कि विवादित ज्ञानवापी मस्जिद स्थल पर पहले से एक मंदिर मौजूद था और 17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर इसे ध्वस्त कर दिया गया था, मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को खारिज कर दिया था।

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