Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Teachers who get themselves transferred from one district to another will not get this benefit High Court orders

खुद एक जिले से दूसरे जिले में तबादला कराने वाले शिक्षकों को नहीं मिलेगा यह लाभ, हाईकोर्ट का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने एक जिले से दूसरे जिले में स्वेच्छा से स्थानांतरण कराकर आए प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को पे प्रोटेक्शन (वेतन सुरक्षा) का लाभ देने से इनकार कर दिया है।

Yogesh Yadav विधि संवाददाता, प्रयागराजSat, 15 June 2024 10:17 PM
share Share

इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश में एक जिले से दूसरे जिले में स्वेच्छा से स्थानांतरण कराकर आए प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को पे प्रोटेक्शन (वेतन सुरक्षा) का लाभ देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी को भी एकसाथ हॉट एंड कोल्ड खेलने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने बेसिक शिक्षा अधिकारी व अन्य की ओर से दाखिल विशेष अपील बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता रामानंद पांडेय को सुनने के बाद विशेष अपील स्वीकार करते हुए दिया है। बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता रामानंद पांडेय का तर्क था कि जिस अभय कुमार पाठक केस के आदेश का सहारा लेकर एकल पीठ ने प्रोन्नति व चयन वेतनमान देने का आदेश दिया है, उस आदेश में भी कोर्ट ने ऐसी राहत नहीं दी है।

याचियों ने अपने पसंद के जिले में यह कहते हुए स्थानांतरण कराया था कि वे सहायक अध्यापक के पद पर काम करेंगे। हालांकि उनमें से कुछ प्राथमिक विद्यालयों या जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक थे और सहायक अध्यापक पद पर अपने नए जिले में कार्यभार संभाला। अंतर्जनपदीय तबादला नीति की यह शर्त भी है इसलिए अब वे समान स्थिति के अध्यापकों के समान लाभ की मांग नहीं कर सकते। एकल पीठ ने विपिन कुमार केस के आदेश पर‌ विचार नहीं किया इसलिए एकल पीठ का आदेश रद्द किया जाए।

खंडपीठ ने कहा कि याची अध्यापक एकसाथ गर्म व ठंडा नहीं ले सकते। साथ ही यह मांग विबंध न्याय (रेस जूडिकेटा) के सिद्धांत के विपरीत है। विपिन कुमार केस में वेतन संरक्षण का आदेश इस मामले में लागू नहीं होगा। याची अध्यापकों ने स्वेच्छा से पदोन्नति व चयन वेतनमान छोड़ने का फैसला लेकर स्थानांतरण स्वीकार किया है। अब उन्हें अन्य समान अध्यापकों के बराबर चयन वेतनमान व प्रोन्नति की मांग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

याची अध्यापकों ने अंतर्जनपदीय तबादला नीति के तहत इस शर्त पर स्थानांतरण कराया कि वे प्रोन्नति नहीं लेंगे और सहायक अध्यापक के निचले पायदान पर कार्य करेंगे। बाद में याचियों ने यह कहते हुए अपने समय के कार्यरत अध्यापकों के बराबर वेतनमान की मांग की कि उन्हें समान स्थिति के अध्यापकों से कम वेतन दिया जा रहा है और पदोन्नति नहीं दी जा रही है। याची अध्यापकों की याचिका पर एकल पीठ ने मांग स्वीकार कर वह राहत भी प्रदान करने का आदेश दिया, जो वे नहीं पा सकते थे।

बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इसे विशेष अपील में चुनौती दी। खंडपीठ ने अपील स्वीकार करते हुए एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया और दोबारा सुनकर निर्णय लेने का निर्देश देते हुए पत्रावली वापस भेज दी। साथ ही बेसिक शिक्षा अधिकारी मऊ को चार सप्ताह में मूल याचिका में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

अगला लेखऐप पर पढ़ें