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सुप्रीम कोर्ट ने गोरखपुर एम्‍स से मांगा जवाब, परीक्षा से क्‍यों रोके गए 13 छात्र

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में छात्रों को परीक्षा से रोकने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। पहले साल की परीक्षा से वंचित किए गए 13 छात्रों में से एक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा...

Ajay Singh वरिष्‍ठ संवाददाता , गोरखपुर Sun, 24 Jan 2021 11:37 AM
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में छात्रों को परीक्षा से रोकने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। पहले साल की परीक्षा से वंचित किए गए 13 छात्रों में से एक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। छात्र की याचिका पर सर्वोच्च कोर्ट ने एम्स प्रशासन से जवाब मांगा है।

मामला एम्स के पहले बैच के छात्रों का है। इन छात्रों का प्रवेश वर्ष 2019 में हुआ। एम्स में एमबीबीएस के पहले बैच में 50 छात्रों का प्रवेश हुआ था। यह छात्र विधिवत पढ़ाई कर रहे थे। वर्ष 2020 में 24 मार्च से कोरोना के कारण एम्स में ऑफलाइन क्लास बंद हो गई। विकल्प के तौर पर एम्स प्रशासन ने ऑनलाइन क्लास संचालित की।

जुलाई में परीक्षा के लिए बुलाया था छात्रों को
जुलाई में छात्रों को सालाना परीक्षा के लिए एम्स प्रशासन ने बुलाया। इस दौरान 18 छात्र ऐसे रहे, जिनका हाजिरी 75 फीसदी से कम रही। ऐसे में पहले राउंड में सिर्फ 32 छात्रों ने परीक्षा दी। एम्स प्रशासन ने बचे हुए छात्रों के लिए कुछ एक्स्ट्रा क्लास भी चलाई। इसके बावजूद 13 छात्रों की हाजिरी 75 फीसदी नहीं हो सकी। जिसके बाद एम्स प्रशासन ने इन छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोक दिया। यह सभी छात्र अब पहले साल में फेल हो गए हैं। इन्हें जूनियर बैच के साथ शामिल कर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे छात्र
एम्स के पहले बैच के छात्र इस फैसले से सकते में आ गए। उन्होंने इसके विरोध में आला अधिकारियों से गुहार लगाई। कहीं से भी छात्रों को रियायत नहीं मिली। जिसके बाद छात्र ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है। छात्र ने कोर्ट में दलील दी है कि कोविडकी वजह से लॉकडाउन लग गया था। ऐसे में 75 फीसदी हाजिरी संभव नहीं है। एम्स प्रशासन हठधर्मिता कर रहा है। देश के किसी भी एम्स में ऐसे सख्त नियम नहीं है। हर जगह छात्रों को रियायत मिली है।

छात्रों के पक्ष में आए मेडिकोज
एम्स के छात्रों ने समर्थन के लिए मुहीम शुरू की है। इन छात्रों के पक्ष में नेशनल मेडिकोज आर्गनाइजेशन भी आया है। आर्गनाइजेशन के सचिव डॉ. प्रकाश कुमार पांडेय बताया कि एम्स प्रशासन को पत्र लिखा गया था। छात्रों को रियायत देने की गुहार की गई थी। एम्स प्रशासन ने इसको लेकर कोई जवाब नहीं दिया है। छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है। इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखा जाएगा।


प्रकरण की नहीं है जानकारी

उधर एम्स प्रशासन ने इस पूरे मामले से अनभिज्ञता प्रकट कर दी है। एम्स के मीडिया प्रभारी डॉ. गौरव गुप्ता ने बताया कि हाजिरी कम होने की वजह से पिछले वर्ष परीक्षा में कुछ छात्रों को रोका गया था। वह छात्र सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं। इसकी जानकारी नहीं है। अगर कोर्ट से कोई पत्र पत्र आएगा तो उसका जवाब दिया जाएगा।

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