Scholarship: छात्रों को छात्रवृत्ति के पैसे का इंतजार, स्कालरशिप फॉर हायर एजुकेशन के भी नहीं भरे गए फॉर्म
कोरोना काल में मेधावियों के वजीफे का इंतजार खत्म नहीं हो रहा। दो प्रमुख छात्रवृत्तियों के आवेदन शुरू नहीं होने के कारण आर्थिक रूप से कमजोर मेधावियों को भविष्य की चिंता सता रही है। राजकीय, सहायता...
कोरोना काल में मेधावियों के वजीफे का इंतजार खत्म नहीं हो रहा। दो प्रमुख छात्रवृत्तियों के आवेदन शुरू नहीं होने के कारण आर्थिक रूप से कमजोर मेधावियों को भविष्य की चिंता सता रही है। राजकीय, सहायता प्राप्त और नगर निकाय के स्कूलों में कक्षा आठ में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा कराई जाती है।
इसमें सफल होने वाले यूपी के 15443 मेधावियों को कक्षा नौ से 12 तक चार साल प्रति माह एक हजार रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। शर्त यह है कि उनकी पारिवारिक आय सालाना 1.5 लाख रुपये से कम होनी चाहिए और एससी/एसटी छात्रों को सातवीं में न्यूनतम 50 प्रतिशत जबकि अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों के 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए। सूत्रों के अनुसार कोरोना काल में सभी छात्र-छात्राओं को बिना परीक्षा प्रमोट कर दिया गया। इसलिए शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अफसर अंकों की न्यूनतम अर्हता को लेकर मंथन कर रहे हैं। पारिवारिक आय सीमा को भी बढ़ाने पर विचार चल रहा है। इसी कारण इस छात्रवृत्ति के आवेदन में देरी हो रही है।
इसी प्रकार केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से दी जाने वाली स्कालरशिप फॉर हायर एजुकेशन (शी) के लिए भी आवेदन शुरू नहीं हो सका है। यूपी बोर्ड के इंटरमीडिएट विज्ञान वर्ग में टॉप एक प्रतिशत मेधावियों को स्नातक और परास्नातक कक्षाओं के लिए छात्रवृत्ति के रूप में सालाना 60 हजार रुपये नकद और 20 हजार रुपये प्रोजेक्ट के लिए मिलते हैं। शर्त है कि उन्होंने नैचुरल और बेसिक साइंस (यानि गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान अथवा लाइफ साइंस जैसे वनस्पति विज्ञान, जन्तु विज्ञान आदि में स्नातक अथवा इंटीग्रेटेड स्नातकोत्तर कक्षाओं) के नियमित पाठ्यक्रम प्रवेश लिया हो। यूपी बोर्ड हर साल इसके लिए एलिजिबिलिटी/एडवाइजरी नोट जारी करता है, लेकिन इस साल नोट अब तक जारी नहीं हुआ है।