विधानसभा में शिवपाल सिंह यादव ने कहा- चाचा पीडीए के हैं, अखिलेश के थे, हैं और रहेंगे
यूपी विधानसभा में शुक्रवार को सपा के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने सीएम योगी के उस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है, जिसमें सीएम योगी ने कहा था कि चाचा उनके साथ हैं।
यूपी विधानसभा में शुक्रवार को सपा के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने सीएम योगी के उस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है, जिसमें सीएम योगी ने कहा था कि चाचा उनके साथ हैं। विधानसभा में बजट पर कटौती प्रस्ताव रखते हुए शिवपाल यादव ने कहा, 'चाचा अखिलेश के थे, हैं और रहेंगे।' उन्होंने साफ तौर पर यह भी कहा कि चाचा पीडीए यानि पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक के थे, हैं और रहेंगे। समाजवादी पार्टी के थे, हैं और रहेंगे।
राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यावद प्रस्ताव की चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने बुधवार को कटाक्ष करते हुए कहा था कि सपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की जो पहली सूची जारी की उसमें 'चच्चू' का नाम शामिल नहीं है, चच्चू ठगे गए। शिवपाल ने इसका जवाब देते हुए कहा कि-'जब चाहूंगा, जहां चाहूंगा, जिस सूची में चाहूंगा वहां हो जाऊंगा।' शिवपाल ने कहा कि सदन में मुख्यमंत्री चाचा पर ऐसे बोलते हैं जैसे चाचा पर परिचर्चा हो रही हो।
विधानसभा में बोलते हुए शिवपाल ने कहा कि सत्तापक्ष रामराज का बहुत बखान करता है, मगर असली रामराज लाने में प्रदेश की मौजूदा सरकार पूरी तरफ विफल है। नेता सदन व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अपने संबोधन के दौरान यह सवाल उठाया गया था कि वर्ष 2017 से पहले की प्रदेश की सपा सरकार अयोध्या में विकास कार्य नहीं करवा सकती थी, वहां के नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं नहीं दे सकती थी। मगर उसने ऐसा नहीं किया। इसका जवाब देते हुए शिवपाल ने कहा कि अयोध्या में 2017 से पहले की सपा सरकार ने भजन स्थल का निर्माण करवाया, सीवर लाइन बिछवाई, अंडरग्राउंड विद्युतीकरण करवाया, पर्यटकों के लिए आधुनिक शौचालय बनवाए, तुलसी उद्यान का सुन्दरीकरण करवाया, परिक्रमा मार्ग का सुदृढ़ीकरण करवाया, राम की पैड़ी में गंदा पानी आता था, उसका सुधार करवाकर वहां लाइटिंग करवाई, अयोध्या के कई मार्गों का उच्चीकरण, चौड़ीकरण करवाया।
मगर तत्कालीन सरकार ने इन सारे कार्यों का प्रचार नहीं किया, मीडिया प्रबंधन नहीं किया। शिवपाल ने कहा कि सत्तापक्ष के कई सदस्यों और नेता सदन ने विपक्ष पर राज्यपाल के अपमान का आरोप लगाया, मगर हकीकत में राज्यपाल का अपमान तो सत्तापक्ष ने उनसे असत्य बुलवाकर किया। उन्होंने सरकार से सवाल पूछा कि आपने 70 लाख नौकरियां देने का वादा किया था उसका क्या हुआ? पूरे प्रदेश में एक भी मण्डी का सृजन नहीं हुआ। सरकार के कुछ नेताओं को समाजवाद से चिढ़ है, यह बात समझ से परे है। समाजवाद का विरोध रामराज्य का विरोध है। यह बजट जनता के हित में नहीं है केवल धोखा है।