तीसरे चरण में सैफई परिवार के दमखम का इम्तिहान, यूपी की इन सीटों पर होगा महामुकाबला
Loksabha Election: सैफई परिवार यानी स्व. मुलायम सिंह यादव के परिवार से तीन सदस्य लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण की सीटों से चुनाव में हैं। सैफई कुनबे की सबसे बड़ी परीक्षा इस चरण में होने जा रही है।
Lok Sabha Election 3rd Phase: यूपी में दो चरण के मतदान के बाद चुनावी रंग अब पूरी तरह तीसरे चरण की 10 सीटों पर चढ़ गया है। इस चरण की 10 में से आठ सीटों पर भाजपा तो दो सीटों पर 2019 में सपा को जीत मिली थी। इस बार इस चरण की सीटों पर चुनावी समीकरण थोड़े जुदा हैं। सैफई परिवार यानी स्व. मुलायम सिंह यादव के परिवार से तीन सदस्य इसी चरण की सीटों से चुनाव में हैं। सैफई कुनबे की सबसे बड़ी परीक्षा इस चरण में होने जा रही है। भाजपा ने भी वृहद रणनीति के तहत सैफई परिवार के प्रत्याशियों को मात देने के साथ ही इस चरण की सभी दस सीटें इस बार जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। तीसरे चरण की ये 10 सीटें ब्रज और रुहेलखंड की हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में संभल से शफीकुर्रहमान बर्क और मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी। इनमें से आठ सीटों पर कमल खिला था।
मैनपुरी के जीत के रिकार्ड को बरकरार रखने की चुनौती डिंपल के सामने
मैनपुरी समाजवादी पार्टी की सबसे सुरक्षित सीटों में शुमार है। करीब तीन दशक से सपा इस सीट पर काबिज है। मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई इस सीट पर हुए उपचुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव यहां की सांसद चुनी गईं। सपा प्रमुख ने इस चुनाव में डिंपल को इसी सीट से प्रत्याशी बनाया है। सपा के सामने इस सीट पर जीत के रिकार्ड को कायम रखने की चुनौती है। वहीं इस सीट पर भगवा लहराने के लिए भाजपा ने वृहद रणनीति के तहत प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री ठाकुर जयवीर सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं बसपा ने पूर्व विधायक शिव प्रसाद यादव को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बनाया है। यह ऐसी सीट है जहां के चुनाव पर पूरे देश की नजरें हैं।
बदायूं सीट को भगवा खेमे से वापस लेने का इम्तिहान देंगे आदित्य यादव
बदायूं सीट को भी सपा की वर्चस्व वाली सीटों में माना जाता है। 2009 व 2014 में सैफई परिवार के धर्मेंद्र यादव यहां से सांसद चुने गए थे। बदले राजनीतिक समीकरणों के बीच 2019 का चुनाव वह स्वामी प्रसद मौर्य की बेटी व भाजपा प्रत्याशी संघमित्रा मौर्य से हार गए थे। इस सीट से हार की टीस अभी तक सपा नेताओं में है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस बार पहले तो चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया लेकिन बाद में उन्हें आजमगढ़ से प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसके बाद उन्होंने चाचा शिवपाल यादव को यहां से प्रत्याशी घोषित किया। इसके बाद यहां से शिवपाल यादव की जगह उनके पुत्र आदित्य यादव को प्रत्याशी बनाया। कहा जाता है कि स्थानीय नेताओं की मांग पर आदित्य को टिकट दिया गया है। सपा के सामने इस बार भाजपा से दुर्विजय सिंह शाक्य प्रत्याशी हैं तो बसपा से मुस्लिम खान हैं। भाजपा यहां पर अपना कब्जा बरकरार रखने की कोशिश में है तो सपा इस सीट को फिर से पाने की जद्दोजहद में है। माना जा रहा है कि यहां पर कांटे का संघर्ष देखने को मिलेगा।
फिरोजाबाद में खोई साख वापस पाने की जद्दोजहद में सपा
फिरोजबाद संसदीय क्षेत्र सपा के जातीय व दलीय समीकरणों के मुताबिक माना जाता है। 1999 व 2004 में सपा से रामजी लाल सुमन, 2009 में सपा से अखिलेश यादव इसी वर्ष बाद में हुए उपचुनाव में कांग्रेस से राजबब्बर और फिर 2014 में सपा से अक्षय यादव यहां से सांसद चुने गए थे। 2019 के चुनाव में चाचा शिवपाल के प्रसपा से इसी सीट से प्रत्याशी बन जाने के कारण अक्षय यादव को करीब 28 हजार मतों से हार का सामना करना पड़ा था। शिवपाल यादव 91 हजार से अधिक वोट पा गए थे जिसकी वजह से भाजपा प्रत्याशी चंद्रसेन जादौन सांसद बने थे। अक्षय यादव सपा के राष्ट्रीय महासचिव डा. रामगोपाल यादव के पुत्र हैं। इस बार भाजपा ने अपने सीटिंग सासंद का टिकट काटकर ठा. विश्वदीप सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है। बसपा ने चौधरी बसीर को मैदान में उतारा है। इस चुनाव में मुलायम परिवार की एका भाजपा से यह सीट वापस पाने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए है, वहं भाजपा बदले प्रत्याशी के सहारे दूसरी बार मैदान मारने की कोशिश में है।
मुस्लिम बाहुल्य संभल भी खास है सपा के लिए
सपा ने संभल सीट से पहले मौजूदा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क को टिकट दिया था, उनका निधन हो जाने के बाद अब यहां से शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क पर भरोसा जताया है। जियाउर्रहमान कुंदरकी से सपा के विधायक हैं। इन पर इस सीट पर परिवार के वर्चस्व को कायम रखने की चुनौती है। मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर भाजपा ने पूर्व एमएलसी परमेश्वर लाल सैनी को प्रत्याशी बनाकर 2014 में मिली जीत की कहानी दोहराने की कोशिश में है। इस सीट पर हारी हुई सीटों पर जीत के लिए भाजपा अपनी वृहद रणनीति पर काम कर रही है। वहीं बसपा ने सौलत अली को प्रत्याशी बनाकर यहां के चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।
इन छह सीटों पर भाजपा की साख लगी है दांव पर
उपरोक्त चार सीटों के अलावा बरेली, फतेहपुर, आंवला, हाथरस, एटा और आगरा लोकसभा क्षेत्र इसी चरण में हैं। इन सभी सीटों पर वर्तमान में भाजपा के सांसद हैं। भाजपा के सामने अपनी इन सभी सीटों को फिर से जीतने की चुनौती है। इन सीटों पर इंडिया गठबंधन और बसपा के प्रत्याशी भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।