शिक्षकों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के प्रमोशन का कोटा 32 साल बाद बदला, जानें डिटेल
उत्तर प्रदेश शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) सेवा नियमावली 1992 में पुरुष शाखा, महिला शाखा और निरीक्षण शाखा (खंड शिक्षाधिकारियों) के प्रमोशन कोटे में 32 साल बाद संशोधन की तैयारी है।
Promotion in Education Department: उत्तर प्रदेश शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) सेवा नियमावली 1992 में पुरुष शाखा, महिला शाखा और निरीक्षण शाखा (खंड शिक्षाधिकारियों) के पदोन्नति कोटे में 32 साल बाद संशोधन की तैयारी है। राजकीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षिकाओं और खंड शिक्षाधिकारियों की ओर से पद बढ़ने के कारण क्लास टू (बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं समकक्ष) पदों पर पदोन्नति का कोटा बढ़ाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिकाएं की गई हैं। इसके जवाब में शासन की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता को सात जून को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि कोटे की पुरानी व्यवस्था में बदलाव की प्रक्रिया गतिमान है।
शिक्षा विभाग में समूह ख (बीएसए एवं समकक्ष) के कुल पदों में से 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से जबकि 50 प्रतिशत पदोन्नति से भरे जाने की व्यवस्था है। पदोन्नति के लिए निर्धारित 50 प्रतिशत पद को भरने के लिए पहले अधीनस्थ राजपत्रित (प्रधानाध्यापक) पुरुष संवर्ग व महिला संवर्ग के अलावा निरीक्षण शाखा में कार्यरत अधिकारियों का कोटा क्रमश 61, 22 व 17 प्रतिशत निर्धारित था। पूर्व में इनके पदों की संख्या भी क्रमश 597, 222 व 179 निर्धारित थी।
बाद में पुरुष व महिला संवर्ग और निरीक्षण शाखा के स्वीकृत पदों की संख्या बढ़कर क्रमश 768, 807 व 1031 हो गई। कोटा संशोधित करने के लिए विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में 21 अक्तूबर 2021 को आयोजित बैठक में पुरुष और महिला शिक्षकों के अलावा खंड शिक्षाधिकारियों का कोटा क्रमश 33, 33 व 34 प्रतिशत किए जाने का निर्णय लिया गया था, हालांकि यह व्यवस्था अब तक लागू नहीं हो सकी है।
सिर्फ सालभर प्रभावी रहेगी प्राचार्य भर्ती की प्रतीक्षा सूची
प्रदेश के 331 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में प्राचार्य भर्ती के लिए बनने वाली प्रतीक्षा सूची अब सिर्फ एक साल प्रभावी रहेगी। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग की ओर से पूर्व में होने वाली प्राचार्य भर्ती में अगले चयन तक प्रतीक्षा सूची प्रभावी रहती थी। यह सूची कुल रिक्त पद के 25 प्रतिशत तक होती है।
अब उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की ओर से होने वाली प्राचार्य भर्ती में प्रतीक्षा सूची को सिर्फ एक साल तक प्रभावी रखने की व्यवस्था की गई है। इससे रिक्त पदों के अधियाचन को लेकर देरी दूर होगी और समय से नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने में मदद मिलेगी।
40 पद रह गए खाली
विज्ञापन संख्या 49 के तहत उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने प्राचार्य के 290 पदों पर दो साल पहले भर्ती की थी। 25 प्रतिशत यानि 73 पदों की प्रतीक्षा सूची भी जारी की गई थी। चयनित प्राचार्यों ने पदभार ग्रहण तो किया, लेकिन घर से दूरी और प्रबंधन से विवाद के कारण 100 से अधिक प्राचार्यों ने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके चलते प्रतीक्षा सूची से कार्यभार ग्रहण कराया गया।
उच्च शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षा निदेशक डॉ. बीएल शर्मा के अनुसार वर्तमान में प्रतीक्षा सूची के सभी 73 अभ्यर्थी प्राचार्य पद पर कार्यभार ग्रहण कर चुके हैं। इसके बावजूद लगभग 40 पद खाली हैं। अब इन पदों को अगली भर्ती में शामिल किया जाएगा।