डिजिटल हाजिरी में 8:30 बजे की बाध्यता खत्म, शिक्षक अब भी टस से मस नहीं; विरोध ने लिया नया मोड़
Digital attendance: तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद शिक्षक ऑनलाइन हाजिरी भरने को तैयार नहीं हैं। शुक्रवार को जिलों में अधिकारियों के सक्रिय होने के बावजूद 1 फीसदी हाजिरी भी ऑनलाइन नहीं लग सकी।
Digital attendance of teachers: तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद शिक्षक ऑनलाइन हाजिरी भरने को तैयार नहीं हैं। शुक्रवार को जिलों में अधिकारियों के सक्रिय होने के बावजूद एक फीसदी हाजिरी भी ऑनलाइन नहीं लग सकी। वहीं स्कूल शिक्षा महानिदेशालय बैकफुट पर आता दिख रहा है। महानिदेशालय ने बयान जारी कर कहा है कि जिन स्कूलों में ऑनलाइन ऐप के संचालन में तकनीकी दिक्कतें आ रहीं हैं। वहां स्कूल अवधि में किसी भी समय डिजिटाइज़ रजिस्टर ऐप का प्रयोग किया जा सकेगा। इसके पहले जारी आदेश में सुबह 8:30 बजे तक ऑनलाइन हाजिरी लगाने की बात थी। इस बीच शिक्षकों के विरोध ने शुक्रवार को नया मोड़ ले लिया है। कई जिलों में शिक्षकों ने शिक्षण कार्य के अलावा अपने अन्य अतिरिक्त प्रभारों से इस्तीफा देना शुरू कर दिया है।
एटा, बरेली तथा मैनपुरी आदि जिलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने संकुल के प्रभार से इस्तीफा दे दिया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने आज प्रदेश भर में जिले स्तर के अपने अधिकारियों को शिक्षकों को ऑनलाइन ऐप के प्रयोग के लिए लगाया लेकिन उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी। प्रदेश के कुल 6,09,530 प्राइमरी शिक्षकों में से मात्र 0.61 फीसदी शिक्षकों ने सुबह के समय ऑनलाइन हाजिरी लगाई जबकि केवल 0.33 प्रतिशत शिक्षकों ने ऐप पर उपस्थिति दर्ज की। यह डिजिटल ऐप्स के लागू होने के पहले दिन से भी कम रहा। आठ जुलाई को 2.6 फीसदी शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी दर्ज की थी।
शिक्षक संगठन भी प्रभारों से नाराज
शिक्षकों से शिक्षण कार्य के अलावा अतिरिक्त कार्य लिए जाने से भी शिक्षक संगठन बेहद नाराज हैं। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि प्रदेश में शिक्षकों के साथ जिलों में अनैतिकता पूर्ण व्यवहार करते हैं। उन्होंने कहा कि अब कोई भी शिक्षक शिक्षण कार्य के अलावा विभाग का किसी प्रकार का और अतिरिक्त कोई सहयोग नहीं करेंगे। वहीं यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) ने भी शिक्षकों से शिक्षण कार्यों के अलावा अतिरिक्त कार्यों से हर हाल में मुक्त होने की अपील की।
प्रार्थना सभा की फोटो भेजना अनिवार्य
स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने शुक्रवार को निर्देश जारी कर जिले स्तर के सभी विभागीय अधिकारियों से कहा है कि वे प्रत्येक परिषदीय स्कूलों में होने वाली प्रार्थाना सभाओं की फोटो वहां के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों-शिक्षिकाओं से जरूर मंगायें। यह फोटोग्राफ दो अलग-अलग कोणों से हों जिसमें प्रार्थना सभा के अधिक से अधिक हिस्से कवर किये गये हों। प्रार्थना सभा के तत्काल बाद ये फोटोग्राफ्स शिक्षकों को अनिवार्य रूप से अपने खण्ड शिक्षा अधिकारियों को भेजना होगा।
यूट्यूब के माध्यम से शिक्षकों को दी ट्रेनिंग
इस आदेश के बाद सितंबर 2023 में इसको लागू करने की शुरुआत की गई, जब रजिस्टरों के कामकाज की जांच के लिए लखनऊ के कुछ शिक्षकों के साथ एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसको लागू किया गया। स्पष्ट रूप से बताया गया था कि रजिस्टरों को कैसे भरना है। सात जिलों के बीएसए और बीईओ की विभिन्न समीक्षा बैठकें आयोजित की गईं।
पूरी तैयारी से लागू की व्यवस्था
बेसिक स्कूलों 12 रजिस्टरों को डिजिटाइज करने से पूर्व बेसिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए बकायदा पूरी तैयारी की थी। सात जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था ताकि डिजिटाइजेशन के बाद कोई बड़ी समस्या न पैदा हो। इनकी सफलता के बाद ही विभाग ने इसे पूरे प्रदेश में लागू करने का फैसला किया। हर स्तर पर शिक्षकों को इससे लगातार अपडेट और प्रशिक्षित किया जाता रहा है। एक वर्ष पूर्व इसी जुलाई में विभाग के द्वारा सभी रजिस्टर को डिजिटल किए जाने का आदेश जारी किया गया था, जिसके बाद से लगातार शिक्षकों को फिजिकल और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से इसके उपयोग को लेकर प्रशिक्षित किया गया।