पीयूष जैन छापेमारी : पान मसाला और कंपाउंड में अकूत कमाई, कई नेता भी कूदे
पान मसाले में अकूत कमाई का मोहपाश है कि इससे राजनेता भी अछूते नहीं हैं। रातोंरात करोड़पति बनने का रास्ता पान मसाले से जाता है, इसे जानकर चार कद्दावर नेताओं ने मिलकर एक पान मसाला ही लांच कर दिया। अपने...
पान मसाले में अकूत कमाई का मोहपाश है कि इससे राजनेता भी अछूते नहीं हैं। रातोंरात करोड़पति बनने का रास्ता पान मसाले से जाता है, इसे जानकर चार कद्दावर नेताओं ने मिलकर एक पान मसाला ही लांच कर दिया। अपने रसूख का इस्तेमाल कर न केवल ब्रांड स्थापित करने में ताकत झोंकी बल्कि स्थापित ब्रांड्स पर अलग-अलग तरह से दबाव भी डाला गया।
कोरोना से ठीक पहले राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव रखने वाले और प्रभावशाली पदों पर बैठे चार नेताओं ने पान मसाला लांच किया। मसाले में पैसा बरसता है। इसे जानकर सभी ने अपनी-अपनी जिम्मेदारी संभाली। एक ने लिया ब्रांडिंग तो दूसरे एक ने रॉ मैटेरियल बनाने की जिम्मेदारी ली। तीसरे ने कच्चे माल को भी दूसरी मसाला कंपनियों को बेचने की जिम्मेदारी ली तो चौथे ने उसे ब्रांड के रूप में सेट करने का बीड़ा उठाया।
दिलचस्प बात ये है कि मसाला बेचने के लिए डीलरों का नेटवर्क एडवांस पैसा लेकर खड़ा किया गया जबकि नए मसाले पर कोई एडवांस पैसा नहीं देता। माल बिकने पर ही रकम का भुगतान किया जाता है लेकिन दबदबे के कारण एडवांस पैसा देकर डीलरों ने पान मसाला खरीदा। इतना ही नहीं, एक तरफ ताबड़तोड़ विज्ञापन करके पान मसाले को सेट किया जा रहा था तो दूसरी तरफ कंपाउंड और अन्य कच्चे माल को भी दूसरी पान मसाला कंपनियों पर खरीदने के लिए दबाव बनाया जा रहा था।
भारी दबाव के चलते दिग्गज ब्रांड मालिकों ने कुछ कच्चा माल खरीदा भी लेकिन ये सिलसिला ज्यादा दिन नहीं चला। फिर अपने ब्रांड को हिट करने के लिए जमी जमाई पान मसाला कंपनियों को अलग-अलग रास्तों से डिस्टर्ब भी किया गया। पिछले छह महीने में पड़े छापों को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है, जो सटीक मुखबिरी के जरिए मारे गए थे।