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पीयूष जैन: नोटों के बंडलों को दीमक से बचाने के लिए लगाया था अपना 'केमिकल ज्ञान'

पीयूष जैन ने 197 करोड़ रुपये की काली कमाई को सहेज कर रखने के लिए अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल किया। आर्गेनिक केमिस्ट्री से पोस्ट ग्रेजुएट पीयूष ने एक तरफ पान मसाले का कंपाउंड बनाकर अकूत कमाई के रास्ते...

Swati Kumari लाइव हिंदुस्तान, कानपुरWed, 2 March 2022 11:13 AM
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पीयूष जैन ने 197 करोड़ रुपये की काली कमाई को सहेज कर रखने के लिए अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल किया। आर्गेनिक केमिस्ट्री से पोस्ट ग्रेजुएट पीयूष ने एक तरफ पान मसाले का कंपाउंड बनाकर अकूत कमाई के रास्ते खोले, दूसरी तरफ काले धंघे के दम पर जमा धन को सुरक्षित रखने के लिए केमिकल तैयार किया और नोटों के बंडलों को केमिकल के पैक में सुरक्षित किया।

पीयूष के आनंदपुरी और कन्नौज के घरों की अलमारियों, बंकरों और बोरों के अंदर 197 करोड़ रुपए मिले। दीमक और कीड़े मकोड़े नोटों के सबसे बड़े दुश्मन हैं और चट करने में माहिर हैं। पीयूष ने दौलत के भंडार को सुरक्षित रखने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया।

डीजीजीआई ने पीयूष जैन से सवाल किया, नोटों के बंडलों की इतनी अच्छी पैकिंग और रैपिंग कौन करता है? पाली पैकिंग का राज क्या है? जिस तरह से नोटों के बंडलों को छुपा कर रखा गया था, उससे क्या कीड़े लगने की फिक्र नहीं हुई?

इस पर पीयूष ने जवाब दिया कि नोटों की पैकिंग सिर्फ वही करता था क्योंकि उसके पास लंबे समय तक उन्हें सुरक्षित रखने की तरकीब थी। क्या करते थे? इस सवाल के जवाब में पीयूष ने कहा, पैकिंग मैटेरियल खुद बाजार से लाता था। एक ही तरह का प्लास्टिक रैपर, एक ही तरह के टेप और एक ही तरह के कागज इस काम में इस्तेमाल किए जाते थे।

केमिस्ट्री में अच्छी पकड़ होने के नाते नोटों को दीमक से बचाने के लिए खास केमिकल तैयार किए थे। नोटों की पैकिंग से पहले केमिकल की कोटिंग करता था। इसके बाद ही बंडलों को पैक करता था।

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