खौफ में सिर्फ सांसे ही चल रही थीं...सूडान से यूपी लौटे युवक ने बताया- कैसे हैं हालात
सूडान में छिड़े गृह युद्ध के कारण फंसे यूपी के गोंडा जिले के युवक की सकुशल वतन वापसी हुई है। युवक ने बताया कि खौफ में सिर्फ सांसे ही चल रही थीं।
सूडान में छिड़े गृह युद्ध के कारण फंसे यूपी के गोंडा जिले के युवक की सकुशल वतन वापसी हुई है। इसके बाद युवक के घर पर उससे मिलकर हाल-चाल जानने वालों का तांता लगा हुआ है। वह झंझरी ब्लॉक के अंतर्गत खिरई खिरवा के मजरे बघेलवा गांव का युवक रोजी रोटी के चक्कर में 21 नवंबर सन 2021 में परिवार का पालन पालन-पोषण करने के लिए सूडान गया था। वहां पर कुछ दिन सब कुछ ठीक-ठाक था लेकिन 13 अप्रैल से वहां पर गृहयुद्ध छिड़ गया जिससे वहां पर काम करना तो दूर रहना भी दूभर हो गया।
वतन वापसी पर लौटे अजय गुप्ता ने बताया कि वहां पर हालत बहुत ही डरावने हैं। कब कहां पर क्या हो जाए, कुछ पता नहीं है न हम ऑफिस में सेफ हैं और न ही कमरे। उन्होंने बताया कि 14 अप्रैल को सबसे पहले वहां पर एयरपोर्ट को उड़ाया गया जिससे वहां के हालात और डरावना हो गए। ऐसा लग रहा था कि अब कभी घर परिवार से कभी भी भेंट नहीं हो पाएगा। वहां के हालात ऐसे हैं कि न लाइट, न पानी, हर तरफ से बमबारी, अधिकांश छोटे-छोटे बच्चे भी बंदूक लेकर एक दूसरे पर फायरिंग करते रहते हैं। कोई भी सुरक्षा एजेंसी वहां पर सुरक्षा के लिए तत्पर नहीं है। पता नहीं था कि निकल भी मिलेगा या नहीं बस यही लग रहा था किस गोली या किसी बम का शिकार हो जाऊंगा। उन्होंने बताया कि नौ दिन कमरे में भूखे प्यासे बंद थे। कमरा खातून में अकरा मॉल के पास अल्सर में था और ऑफिस खातून में थी।
ढाई लाख रुपए खर्च कर भारतीय दूतावास आए
निकलने के बारे में पूछा गया तो बताया कि 24 तारीख को सुबह-सुबह पांच वहां से बस बुक किए जहां पर बस वाले ने सूडान की मुद्रा के हिसाब से ढाई लाख रुपए में हम लोगों को भारतीय दूतावास लाकर छोड़ा। जहां पर इंडियन एंबेसी पहुंचे। वहां बातचीत की गई। वहां से बस मिली। इंडियन रुपया करीब 12 लाख देकर इंडियन एंबेसी पहुंचे। फिर वहां पहुंचने के बाद हम लोग बैठकर अपने आप को अब थोड़ा बहुत सुरक्षित महसूस किया। फिर 26 अप्रैल को जलमार्ग से सऊदी पहुंचे वहां एक रात रुके। उसके बाद 27 को फाइटर जेट से दिल्ली लाया ग।या जहां पर सरकारी आवास में हम लोगों के लिए रहने खाने-पीने की व्यवस्था की गई। फिर रात में करीब 2:30 दिल्ली से लखनऊ के लिए हम लोगों को बस मिली और बस से गोंडा पहुंच पाए। हम साथ में लोग थे जिसमें से दो बिहार, दो केरल ,दो मुंबई ,एक दिल्ली, एक बांग्लादेशी भी। गोंडा पहुंचने पर ही भतीजे को फोन कर बुलाया और उसी के साथ घर चले आए।
...आंसू थम नहीं रहे थे!
सूडान से लौटे व्यक्ति ने अपनी बदहाली को, बयां करते हुए फफक फफक कर रोने लगा। परदेश मे हुए फसाद तथा अपने ऊपर बीती समस्या को लेकर आज भी बहुत दुखी है। बताया कि युद्ध की वजह से करीब 80,000 रुपए मेरा कहां पर फंस गया है लेकिन अब जान सुरक्षित है तो पैसा कहीं पर भी कमा लेंगे। अजय गुप्ता को दो बच्चे हैं जिसमें एक लड़की और एक लड़का मां और पत्नी के साथ रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि हम दोबारा अपने वतन लौट सके। जिसकी हमे उम्मीद नहीं थी। अब यही अपने गांव पर रहकर अपना कारोबार करूंगा।