एम्स में चयनित नर्सिंग अधिकारी को बीएचयू से तुरंत करें सेवा से कार्यमुक्त, हाईकोर्ट का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएचयू में कार्यरत नर्सिग अधिकारी को इस शर्त पर तत्काल कार्यमुक्त करने का आदेश दिया है कि एक माह के भीतर वह अपने बकाया का भुगतान कर देगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएचयू में कार्यरत नर्सिग अधिकारी को इस शर्त पर तत्काल कार्यमुक्त करने का आदेश दिया है कि एक माह के भीतर वह अपने बकाया का भुगतान कर देगा। कोर्ट ने कहा कि याची एम्स, पटना में कार्यभार ग्रहण करने के लिए स्वतंत्र है।नितिन कुमार की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिया। कोर्ट ने कहा कि बीएचयू की ओर से बकाया भुगतान की मांग पर 25 जून 2024 को या उससे पहले याची अपनी आपत्तियां प्रस्तुत करेगा। याची को सुनने के बाद बीएचयू के अधिकारी बकाया का निर्धारण कर आदेश पारित करेंगे। बकाया भुगतान का अंतिम रूप से निर्धारण होने के बाद याची को भुगतान के लिए एक महीने का समय मिलेगा।
नितिन कुमार सर सुंदरलाल अस्पताल, बीएचयू में नर्सिंग अधिकारी हैं। उनका चयन एम्स पटना में हो गया तो उन्होंने बीएचयू में इस्तीफा दे दिया। लेकिन उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया गया। इस पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। जिसपर कोर्ट ने याची के पक्ष में फैसला दिया। वहीं बीएचयू ने आदेश का पालन करते हुए कहा कि पांच लाख से अधिक का बकाया भुगतान करने पर ही कार्यमुक्त का आदेश लागू होगा। याची ने पुन: इस आदेश के विरुद्ध अवमानना का आवेदन दाखिल किया। याची ने कोर्ट को बताया कि बीएचयू उसे कार्यमुक्त नहीं कर रहा है। जबकि कोर्ट ने 30 मई 2024 को आदेश दिया था।
याची ने कोर्ट को बताया कि उसे 15जून 2024 तक एम्स पटना में ज्वाइन करना है। बीएचयू अंतिम क्षण में उसे 5,51,434 रुपये का बकाए के भुगतान करने को कहा है। जोकि तीन माह के नोटिस पीरियड का है। याची ने कहा कि जब तक वह इतनी बड़ी रकम इकट्ठा करेगा वह पटना एम्स में ज्वाइन करने का अवसर खो देखा। कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि 30 मई 2024 के आदेश का उल्लंघन करने के लिए में बीएचयू छल-कपट जैसे हथकंडों का सहारा ले रहा है। कोर्ट ने कहा कि बीएचयू का आचरण ठीक नहीं है। इससे पहले, बीएचयू याचिकाकर्ता का इस्तीफा स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। 30 मई 2024 के आदेश के अनुसार इसे स्वीकार किया, फिर चालाकी से बकाया भुगतान की मांग रख दी। कोर्ट ने कहा कि याची को बीएचयू की सेवाओं से तत्काल मुक्त कर दिया जाए।