Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Now the politics of quota in OBC quota also heated up Rajbhar and Sanjay Nishad raised this demand

अब ओबीसी कोटे में कोटे की सियासत भी गर्माई, राजभर और संजय निषाद ने उठाई ये मांग

अब ओबीसी कोटे में कोटे की सियासत भी गर्माई है। सुभासपा ने अन्य पिछड़े वर्ग में अति पिछड़ों की हिस्सेदारी की मांग की है। वहीं संजय निषाद भी कुछ इसी तर्ज पर अति पिछड़ों में उपवर्गीकरण की मांग कर रहे हैं

Deep Pandey हिन्दुस्तान, लखनऊSat, 3 Aug 2024 11:04 AM
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जातीय जनगणना को लेकर गर्माई सियासत के बीच अनुसूचित जाति-जनजाति में कोटे में कोटे के फैसले से यूपी में अब पिछड़ों में अति पिछड़ों की सियासत गर्माने लगी है। एक ओर सुभासपा ने अन्य पिछड़े वर्ग में अति पिछड़ों की हिस्सेदारी की मांग कर उठाई है। वहीं निषाद पार्टी के मुखिया भी डॉ. संजय निषाद भी कुछ इसी तर्ज पर अति पिछड़ों में उपवर्गीकरण की मांग कर रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि क्या राज्य सरकार छह साल से लंबित सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को लागू कर अति पिछड़ों पर पुराना वर्चस्व कायम कर सकेगी।

हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में ओबीसी समाज के भाजपा से छिटक कर समाजवादी पार्टी में चले जाने से भाजपा संगठन में खासी चिंता है। भारतीय जनाता पार्टी ओबीसी समाज में किसी तरह वर्ष 2017 जैसा वर्चस्व दोबारा कायम करना चाहती है। दरअसल, भाजपा ने वर्ष 2017 में गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलित का नारा दिया था। पार्टी ने ओबीसी समाज के करीब 40 फीसदी वोटों पर वर्चस्व के लिए सधी हुई रणनीति अपनाई और सुभासपा और निषाद पार्टी जैसे दलों के साथ ही अपना दल एस से गठबंधन किया। 

ओबीसी समाज के अतिपिछड़ों से वास्ता रखने वाले इन दलों से किए गए वादे के मुताबिक भाजपा ने इस समाज के अति पिछड़ों को हिस्सेदारी देने के लिए सामाजिक न्याय समिति का गठन किया। समिति ने वर्ष 2018 में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी। छह वर्ष होने को हैं यह रिपोर्ट लंबित है। भाजपा के साथ रहे छोटे दल लगातार इस रिपोर्ट को लागू करने की मांग करते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सुभासपा के नेता अरुण राजभर ने मांग उठाई है कि दलितों के वर्गीकरण के साथ ही साथ ओबीसी समाज का भी उपवर्गीकरण किया जाए, ताकि महापिछड़ों को उनका वाजिब हक मिल सके। उन्होंने कहा कि सरकार को सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को लागू करना चाहिए।

जल्द लागू हो समिति की रिपोर्ट
इसी तर्ज पर डा. संजय निषाद ने कहा कि असलियत में बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर के उद्देश्यों की आज पूर्ति हुई है। बाबा साहब की मंशा थी कि गरीब-पिछड़े आगे आएं। भाजपा और निषाद पार्टी की भी यही नीति है कि अंतिम पायदान पर खड़े आदमी को हक मिले। इसलिए राज्य सरकार को भी सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को तुरंत लागू करना चाहिए, ताकि अनुसूचित जाति-जनजाति के साथ ही ओबीसी समाज के महा पिछड़ों का भी वर्गीकरण हो सके। उन्होंने कहा कि लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनावों में भी यह वर्गीकरण लागू होना चाहिए।

ये थी रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार, ओबीसी का तीन श्रेणियों में वर्गीकरण किया गया। 
1-पिछड़ा वर्ग जिसे 27 में से 7 फीसदी आरक्षण देने की बात कही गई। इसमें अहीर, यादव, सोनार, सुनार, स्वर्णकार, कुर्मी, जाट, हलवाई, चौरसिया, सैथवार, पटेल जैसी जातियों को शामिल करने की सिफारिश की गई। 
2-अति पिछड़ा को 11 फीसदी आरक्षण देने को कहा गया, जिसमें गूजर, गिरी, लोध, मौर्य, लोधी राजपूत, काछी, कुशवाहा, शाक्य, तेली आदि जातियों को शामिल करने की सिफारिश की गई।
3-अत्यंत पिछड़ा -जिसे 9 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की गई। इसमें राजभर, निषाद, मल्लाह, घोसी, धीवर, कश्यप, केवट, नट आदि जातियां हैं।
 

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