कैश के बदले एनओसी: NHAI कर्मचारी की डायरी में CBI को मिले सुराग; कई पर लटकी तलवार
एनएचएआई के परियोजना निदेशक कार्यालय में तैनात विजेंद्र के रुपये लेकर एनओसी देने के प्रकरण में कई अन्य लोग गिरफ्त में आएंगे। डायरी में मिले हिसाब-किताब के अनुसार CBI आगे की जांच कर रही है।
CBI in Action: एनएचएआई के परियोजना निदेशक कार्यालय में तैनात विजेंद्र के रुपये लेकर एनओसी देने के प्रकरण में कई अन्य लोग गिरफ्त में आएंगे। डायरी में मिले हिसाब-किताब के अनुसार सीबीआई आगे की जांच कर रही है। उसकी तैनाती किसके कहने पर गोरखपुर कार्यालय में हुई? उसने कितने प्रपोजल में किससे कितनी रकम ली? उसके साथ कितने लोग इस खेल में शामिल हैं? सबकी छानबीन जारी है।
उधर एनओसी सहित अन्य मामलों की 23 लंबित फाइलों का तेजी निरस्तारण किया जा रहा है। शुक्रवार की शाम तक 15 आवेदकों की फाइलें पूरी हो चुकी थीं। जबकि अन्य आठ की समीक्षा करके देर रात तक उनके निस्तारण में अधिकारी जुटे रहे।
बुधवार की दोपहर तीन बजे के बाद एनएचएआई के तारामंडल स्थित कार्यालय पर पहुंची सीबीआई की टीम ने निजी सहायक विजेंद्र को 50 रुपये घूस लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा। उसके सहारा एस्टेट स्थित किराये के आवास पर जांच के बाद सीबीआई ने एक डॉयरी को कब्जे में लिया। वहां करीब साढ़े तीन लाख रुपये नकदी बरामद हुए। गुरुवार की सुबह विजेंद्र को हिरासत में लेकर सीबीआई की टीम लखनऊ चली गई। उसके खिलाफ शिकायतकर्ता से एनओसी देने के बदले रुपये लेने के आरोप में सीबीआई ने केस दर्ज किया। मिली जानकारी के अनुसार एनएचएआई कार्यालय में तैनात डाटा इंट्री ऑपरेटर भी संदेह के घेरे में है। उससे भी सीबीआई पूछताछ कर सकती है। बताया जाता है कि वह निजी सहायक के काफी करीब था।
सीबीआई की कार्रवाई के बाद गुरुवार को अधिकारियों ने लंबित प्रकरणों का निस्तारण किया। शुक्रवार को बस्ती में सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम से दोपहर बाद लौटे अधिकारियों ने बची हुई फाइलों की समीक्षा की। अधिकारियों ने कहा कि सभी औपचारिकताओं को पूरी करने वाली फाइलों को निस्तारित कर दिया जाएगा।
सभी फाइलों की फोटो कॉपी ले गई सीबीआई
बताया जाता है कि एनएसओ सहित अन्य प्रकरणों की लंबित फाइलों की फोटोकापी सीबीआई टीम अपने साथ ले गई है। कितने प्रस्ताव आए थे? उनको क्यों लंबित रखा गया? सहित डॉयरी में मिले नामों की छानबीन के लिए कई अन्य अधिकारियों को जांच के दायरे में लिया गया है।
पीडब्ल्यूडी में भी लंबित तमाम फाइलें, दौड़ लगा रहे आवेदक
जानकारों के मुताबिक जो पेट्रोल पंप एनएचएआई की सड़कों के किनारे खुलते हैं। उनके आवेदन पर 30 दिनों के भीतर प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश है। लेकिन निजी सहायक मामलों को अटकाता रहता था। इसके अलावा जो पेट्रोल पंप पीडब्ल्यूडी के कार्य क्षेत्र में स्थित सड़कों पर खुलते हैं।
फाजिलनगर के पेट्रोल पंप संचालक से मांगे थे 8 लाख
पेट्रोल पंप संचालकों को एनएसओ देने के नाम पर विजेंद्र बड़ा मुंह खोलता था। करीब एक साल पूर्व फाजिलनगर के एक पेट्रोल पंप संचालक से उसने आठ लाख रुपये मांगे थे। लेकिन बाद में मामला कम पैसों में सुलझ गया। शिकायकर्ता धनंजय राय से उसने डेढ़ लाख रुपये मांगे। उनकी फाइल को टेक्निकल इरर बताकर तीन बार लौटा दी। इसके बाद अप्रैल 2024 में उसने प्रोजेक्ट को स्वीकार किया, लेकिन रुपये के लिए काम अटकाता रहा। परेशान होकर पीड़ित ने शिकायत दर्ज कराई।
निजी सहायक पद पर तैनात बताता रहा मैनेजर टेक्निकल
विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि दिल्ली का मूल निवासी विजेंद्र करीब 20 साल से निजी सहायक के रूप में काम रहा है। उसका मकान लखनऊ के विनीत खंड में है। जहां परिवार रहता है। अपनी तैनाती स्थल पर वह अकेले रहता था। कार्यालय में आने वाले आवेदकों को घर पर बुलाकर वह डील करता था। दिल्ली, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी में तैनात रहने के बाद वह गोरखपुर आया था। निजी सहायक के रूप में काम करते हुए वह खुद को मैनेजर (टेक्निकल) बताता रहा। वह प्रपोजल आने पर किसी को पीडी से नहीं मिलने देता था। वह कहता था कि सारे काम खुद ही कर लेगा। उसके मददगार एक इंजीनियर की शिकायत सामने आने पर फटकार भी लग चुकी है।
पीड़ित की बात
पीड़ित धनंजय राय ने कहा कि रिजेक्शन और कम्यूनिकेशन का सारा काम विजेंद्र देखते थे। वह खुद को मैनेजर (टेक्निकल) बताते थे। किसी भी प्रकरण में वह पीडी से नहीं मिलने देते थे। उनके साथ कुछ लोगों की सहभागिता से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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