यूपी में आउटसोर्सिंग कर्मियों को स्थाई करने की योजना नहीं, शिक्षकों-शिक्षामित्रों को जल्द मिलेगी ये सौगात
संसदीय कार्यमंत्री ने प्रश्नकाल में कहा है कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को स्थाई करने की कोई योजना नहीं है। बेसिक शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों के कैशलेस इंश्योरेंस और शिक्षामित्रों के मानदेय पर जानकारी दी।
UP budget session: यूपी बजट सत्र के चौथे दिन मंगलवार को विधानसभा में कई महत्वपूर्ण सवाल और जवाब सुनने को मिले। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने प्रश्नकाल में कहा है कि विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत आउट सोर्सिंग या संविदा कर्मचारियों को स्थाई करने की कोई योजना नहीं है। दूसरी ओर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा है कि शिक्षकों को कैशलेस इंश्योरेंस देने पर विचार चल रहा है। वहीं उन्होंंने शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के लिए कमेटी गठित की गई है। फिलहाल, शिक्षकों की भर्ती की कोई योजना नहीं है।
प्रश्नकाल में सपा के डा. संग्राम यादव और डा. ह्रदय नारायण सिंह पटेल व अनिल कुमार ने सवाल किया कि क्या सरकार आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के साथ ही संविदा कर्मियों को राहत देने का काम करेंगे। उन्हें स्थाई किया जाएगा। सपा सदस्यों ने कहा कि आउटसोर्सिंग कंपनियां कर्मचारियों का शोषण कर रही हैं। सरकार ने उनके ऊपर एक और शोसक बिठा दिया है। उन्होंने कहा कि आखिर क्या मजबूरी है और क्या अड़चने हैं जो सरकार कमीशन लेने वाली कंपनियों को काम दे रही है। उन्होंने कहा कि ऐसी कंपनियां नौकरी देने के लिए कर्मचारियों से कमीशन ले रह है।
इस पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने जवाब देते हुए कहा कि शासन ने इस संबंध में सख्त शासनादेश किया हुआ है। कोई भी कंपनी एक बार चयनित कर्मचारी को निकाल नहीं सकती है। अगर विलंब से वेतन दिया जाता है तो कंपनी से 18 फीसदी ब्याज वसूलने का नियम है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आउटसोर्सिंग और संविदा कर्मियों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बना रखे हैं और अभी उन्हें स्थाई करने की कोई योजना नहीं है। वहीं बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने स्वामी ओमवेश और डा. अजय कुमार के प्रश्न पर कहा कि शिक्षा मित्रों का वेतन बढ़ाने के लिए कमेटी गठित की गई है। कमेटी की संस्तुतियो के अनुसार आगे विचार किया जाएगा। दरअसल,सपा सदस्यों ने जानना चाहा था कि क्या शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाया जाएगा। इस पर मंत्री ने कमेटी गठित किए जाने की सूचना सदन को दी। एक अन्य मामले में सपा की डा. रागिनी के सवाल पर कहा कि शिक्षकोंं को कैशलेस इंश्योरेंस देने पर विचार किया जा रहा है। डा. रागिनी ने जानना चाहा था कि क्या सरकार शिक्षकों को कैसलेस इंश्योरेंस देने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि महिला शिक्षकों को गर्भवती होने के बाद उनके बच्चों की देखरेख के लिए पांच वर्ष का समय मिलना चाहिए। ऐसी महिला शिक्षकों को उनके गृह जनपद में ही तैनाती दी जानी चाहिए। कांग्रेस की आराधना मिश्र मोना ने कहा कि यह चिकित्सकीय रूप से भी सिद्ध हो चुका है कि जन्म के पांच साल तक बच्चों का पूर्ण विकास नहीं होता और वे मां पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में गर्भवती महिला शिक्षकों को राहत देते हुए उन्हें गृह जनपदों में ही तैनात किया जाना चाहिए। इस पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने जवाब देते हुए कहा कि ऐसे ही मामलों को ध्यान में रखते हुए 16000 तबादले किए गए हैं।