यूपी से इन हालात में भागा था मुख्तार अंसारी, पंजाब में तैयार किया था गैंग
मुख्तार अंसारी ने यूपी से वर्ष 1991 में फरार होने के बाद पंजाब में राजनीतिक संरक्षण में पनाह ली थी। यहीं पर पंजाब, दिल्ली और वेस्ट यूपी के अपराधियों के साथ मिलकर मुख्तार ने गैंग बनाया था।
Mukhtar Ansari: माफिया मुख्तार अंसारी ने यूपी से वर्ष 1991 में फरार होने के बाद पंजाब में राजनीतिक संरक्षण में पनाह ली थी। यहीं पर पंजाब, दिल्ली और वेस्ट यूपी के अपराधियों के साथ मिलकर मुख्तार अंसारी ने इंटर स्टेट गैंग बनाया और राजनीतिक हत्याएं तक कीं। मुख्तार अंसारी और उसके दोनों करीबियों मुन्ना बजरंगी और जीवा की मौत के बाद अब उसका गैंग भी खत्म हो चुका है।
यूपी के पूर्व डीजीपी और राज्यसभा सांसद ब्रजलाल ने हिन्दुस्तान से बातचीत में खुलासा किया कि वर्ष 1991 में कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने थे, जिसके बाद अपराधियों में खौफ बनने लगा था। बड़े-बड़े अपराधियों पर चाबुक चला तो माफिया मुख्तार अंसारी यूपी से फरार हो गया और पंजाब में जाकर एक बड़े राजनेता से मदद मांगी। राजनीतिक शरण मिली और यहां गैंग दोबारा खड़ा कर लिया।
मुख्तार ने यहां पर पंजाब, दिल्ली और वेस्ट यूपी के अपराधियों को मिलाकर दोबारा से बड़ा गिरोह तैयार कर लिया और अपनी वसूली जारी रखी। वर्ष 1994 में वीपी गोयल का अपहरण कर बंधक बना रखा था। फिरौती वसूलने के लिए मुख्तार साथियों के साथ लोटस टेंपल पर गया था, जहां दिल्ली पुलिस ने दबोच लिया था। बाद में पुलिस ने वीपी गोयल को हरियाणा के पंचकुला में बरामद कर लिया था, जहां उन्हें नशे का इंजेक्शन लगाकर बंधक बनाकर रखा था। इस मामले में मुख्तार को 10 साल कारावास की सजा सुनाई गई थी।
वेस्ट यूपी और पंजाब के इन कुख्यातों से गठजोड़
पंजाब में ठिकाना बनाने के बाद मुख्तार अंसारी ने सरदार प्रभजोत डिंपी (वर्ष 2006 में पंचकुला में मारा गया), जसविंदर रॉकी और वेस्ट यूपी के राजवीर रमाला, रविंद्र भूरा, संजीव जीवा से नजदीकी बना ली थी। इसके साथ ही गिरोह में मुन्ना बजरंगी, अताउर्रहमान (कृष्णानंद राय हत्याकांड में शामिल और सीबीआई का सात लाख रुपये का ईनामी), मेरठ के जोगेंद्र गुर्जर (मुन्ना बजरंगी का खास था और एनकाउंटर में मारा गया) और शाहबुद्दीन गाजीपुर (पांच लाख का ईनामी) को साथ लेकर बड़ा गैंग तैयार कर लिया।
दलित की हत्या से शुरू हुआ राजनीतिक सफर
ब्रजलाल ने बताया कि मुख्तार अंसारी ने अपना राजनीतिक सफर एक दलित विश्वनाथ की हत्या से शुरू किया था। वर्ष 1993 में मुख्तार जेल में था और इस सपा-बसपा ने गठबंधन किया था। मुख्तार उस समय गाजीपुर सदर से टिकट मांग रहा था, लेकिन काशीराम ने उनकी जगह टिकट विश्वनाथ राम मुनीम को दे दिया। 20 नवंबर 1993 को मुख्तार ने विश्वनाथ की हत्या करा दी।
मुख्तार का खौफ...लौटा दिया था टिकट
गाजीपुर में उपचुनाव के दौरान दोबारा से बसपा ने कैलाशनाथ को टिकट दिया था, लेकिन मुख्तार के खौफ के चलते उन्होंने टिकट वापस कर दिया था। इसके बाद बसपा ने राजबहादुर को टिकट दिया और वह जीत भी गए। बाद में बसपा के टिकट पर ही मऊ से वर्ष 1996 में मुख्तार विधायक बना।
गाजीपुर जेल था आशियाना
पूर्व डीजीपी ब्रजलाल ने बताया कि गाजीपुर जेल की बैरक नंबर 10 को मुख्तार ने अपना आशियाना बनाया हुआ था। सरकार में दखल के चलते जेल से ही अपनी हुकूमत चलाता था। जेल में मछली पकड़ने के लिए तालाब बनवाया। अफसरों की मीटिंग वहीं जेल में होती थी। वेस्ट यूपी के अपराधियों को मुख्तार ही पूर्वांचल में पनाह और हथियार भी देता था।
बांग्लादेश तक पशु तस्करी का नेटवर्क
हत्या, अपहरण और फिरौती के अलावा मुख्तार अंसारी ने कोयला और पीडब्लूडी के ठेकों के अलावा मछली कारोबार में भी दखल बनाया। वहीं, यूपी से बांग्लादेश को इस गिरोह ने पशुओं की तस्करी शुरू कर दी।
1986 में किया था दो भाइयों का मर्डर
पूर्व डीजीपी ने खुलासा किया कि मुख्तार ने सबसे पहली हत्या 1986 में की थी। मुख्तार और उसके साथियों ने दो सगे भाइयों को डॉ. रामबिलास सिंह और बिरेंद्र सिंह की हत्या कर दी थी। इस हत्या में उसके साथ साधू सिंह भी शामिल था। हालांकि पूरा मामला दूसरी दिशा में मोड़ दिया गया था। इसके बाद 1988 में सच्चिदानंद राय की हत्या कर दी गई थी।
ऐसे बना गैंग का लीडर
ब्रजलाल ने बताया कि मुख्तार अंसारी ने साधू सिंह और मखनू सिंह मुडीयार गाजीपुर का गैंग ज्वाइन किया था। डेढ़ बिस्सा जमीन के लिए साधू सिंह ने अपने ही ताऊ रंपत सिंह की 24 जून 1984 में गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी। इस गैंगवार में छह लोगों की जान गई थी। इन हत्या का बदला लेने के लिए रंपत के बेटे त्रिभुवन सिंह ने ब्रिजेश सिंह ने हाथ मिला लिया था। 22 नवंबर 1989 को गाजीपुर जिला अस्पताल में साधू सिंह की हत्या हो गई। इसके बाद मुख्तार गैंग का लीडर बन गया।
गैंग नंबर - आईएस (इंटरस्टेट गैंग)-191
हिस्ट्रीशीट- 16बी (बी क्लास हिस्ट्रीशीट का मतलब होता है कि यह अपराधी कभी नहीं सुधरेगा)
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