Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Most of the fog lights installed for high visibility on Yamuna Expressway are bad

सर्द रातों यमुना एक्सप्रेस वे पर ड्राइव करना खतरों से खाली नहीं, हाई विजुअलिटी को लगाई गई फाग लाइटों में अधिकांश खराब

यूपी के यमुना एक्सप्रेस वे पर रात में ड्राइव करने खतरे से खाली नही है। बीते साल हाई विजुअलिटी को हर दो किमी पर लगाई गईं फाग लाइटों में से अधिकांश खराब हैं।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, आगराSun, 13 Nov 2022 11:03 PM
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सर्द रातों में अंधेरे में डूबे यमुना एक्सप्रेस वे पर सफर अपने रिस्क पर करें। यहां न तो सुरक्षा और न ही सुगम आवागमन के संसाधन हैं। बीते साल हाई विजुअलिटी को हर दो किमी पर लगाई गईं फाग लाइटों में से अधिकांश खराब हैं तो अधिकांश एक्सप्रेसवे पर सोलर लाइटें और संकेतक को लगाए गए सोलर पैनल भी खराब पड़े हैं। और तो और मुख्यमंत्री के निर्देश पर भी चार साल में सेंट्रल वर्ज पर एलईडी लाइटें नहीं लग सकी हैं। ऐसे में यदि कोई हादसा हो जाए तो आपके पास सिवाय चीखने-चिल्लाने के कुछ नहीं है। लापरवाही का आलम यह है कि बीते सालों में जिन स्थानों पर बड़े हादसे हुए, रात में उन स्थानों पर भी व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ है। 

सर्दी का मौसम शुरू होते ही यमुना एक्सप्रेस-वे पर सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा होने वाले लगता है। इनमें से ज्यादातर दुर्घटनाएं घने कोहरे के कारण होती हैं। हादसों को रोकने के लिए 2019 में यमुना एक्सप्रेसवे पर अथॉरिटी ने हर दो किमी पर 400 फॉग लाइटें लगाई थीं। इनके सहारे तेज गति से दौड़ने वाले वाहन इधर-उधर रास्ता नहीं भटकते और सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आती है। इनके साथ यहां तमाम स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। ऐसे में कोहरा और धुंध छाने पर एक्सप्रेस वे पर सफर खतरों से भरा होगा। वाहन चालकों को साइन बोर्ड तक नजर नहीं आते हैं। लेकिन जिम्मेदार आंख मूंद कर बैठे हैं। 

तीन किलोमीटर में नहीं एक भी लाइट

वाहन चालकों के अनुसार के मुताबिक एक्सप्रेस वे पर खंदौली इंटरचेंज से खंदौली टोल प्लाजा तक पूरा मार्ग अंधेरे में डूबा है। जबकि यह दूरी तीन किलोमीटर है। इंटरचेंज पर अंधेरे के कारण पिछले रविवार को हादसा हुआ था। सवारियां लेकर जा रही डबल डेकर बस सरियों से भरे ट्रॉला में घुस गई थी। बस के दोनों ड्राइवरों की मौत हो गयी थी। इस हादसे से भी सबक नहीं लिया जा रहा है। कर्मचारियों ने इंटरचेंज पर रोशनी के पर्याप्त इंतजाम नही किए हैं। सिर्फ एक गार्ड को तैनात करके इतिश्री कर ली है। 

सिर्फ कागजों पर जारी हो रहा अलर्ट 

सर्दियों की शुरूआत के साथ हर साल यमुना एक्सप्रेसवे पर चलने वाले वाहनों के लिए अलर्ट जारी किया जाता है। स्पीड की बंदिशें लागू की जाती हैं और दिशा निर्देशों के पुलिंदे भी जारी होते हैं। लेकिन वास्तविकता में धरातल पर वाहन चालकों के सुरक्षित सफर के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। जबकि 09 अगस्त 2012 को यमुना एक्सप्रेस की शुरूआत के साथ यहां वाहनों से टोल वसूला जा रहा है। बेहतर सुविधाओं के दावे के साथ शुरू हुए इस एक्सप्रेस वे पर एक दशक बाद भी सफर आसान नहीं हुआ है। 

निर्देश पर भी न लगीं सेंट्रल वर्ज लाइटें 

साल 2018 में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 165 किलोमीटर लंबे यमुना एक्सप्रेसवे पर 3 चरणों में हर 30 मीटर पर सेंट्रल वर्ज पर लाइटें लगाने के निर्देश दिए थे। साथ ही एलईडी लाइट लगाने के अलावा मेटल बीम, क्रैश बैरियर लगाने के लिए भी निर्देशित किया गया था। इस दौरान आगरा में बस दुर्घटना में 29 यात्रियों की मौत और एक अन्य दुर्घटना में एम्स के चार डाक्टरों की मौत के बाद भी इन निर्देशों पर अमल नहीं हो सका है। हालात ये हैं कि सेंट्रल वर्ज की लाइटें खराब पड़ी हैं। खंदौली से कुबरेपुर तक 11 किमी तक लगीं सोलर लाइटें भी खराब पड़ी हैं। संकेतक को लगाए गए सोलर पैनल भी खराब हैं। 

रात को पुलिस की गश्ती भी नहीं दिखती 

165 किलोमीटर लंबा आगरा से नोएडा तक लंबा यमुना एक्सप्रेस वे नौ पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है। पूरे एक्सप्रेसवे पर एक दर्जन से अधिक ब्लैक स्पॉट के अलावा कुछ संवेदनशील स्थल भी चिह्नित हैं। इन स्थानों पर कई बार हादसे हुए, मगर एकाध स्थान को छोड़कर कहीं पर भी पुलिसकर्मी गश्त पर नहीं दिखते। इतने लंबे सफर में यदाकदा ही वाहन चालकों को पुलिस जीप दिखाई देती है। जब भी कभी हादसा होता है, तो पुलिस शायद ही कभी ऑन द स्पॉट रही हो, पुलिस दल आमतौर पर तभी पहुंचते हैं जब सबकुछ हो चुका होता है। 

खंदौली टोल प्लाजा इंचार्ज तुलसीराम गुर्जर ने बताया कि यमुना एक्सप्रेसवे पर घना कोहरा पड़ने से पहले सभी लाइटों को दुरुस्त करा दिया जाएगा। ठेकेदार को बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटों को सही करने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं।

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