Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Monsoon knock in Uttar Pradesh but farmers are eagerly waiting for heavy rain

यूपी में मॉनसून आया तो मगर कमजोर, किसानों को है झमाझम बारिश का बेसब्र इंतजार

उत्तर प्रदेश में मॉनसून आ तो गया है। मगर यह अभी बहुत कमजोर है। मौसम विभाग के अनुसार अगले तीन-चार दिन तो प्रदेश में मॉनसून की झमाझम बारिश के आसार नहीं हैं।

Shivendra Singh विशेष संवाददाता, लखनऊTue, 21 June 2022 09:53 PM
share Share

उत्तर प्रदेश में मॉनसून आ तो गया है। मगर यह अभी बहुत कमजोर है। मौसम विभाग के अनुसार अगले तीन-चार दिन तो प्रदेश में मॉनसून की झमाझम बारिश के आसार नहीं हैं। भले ही हवा का रुख पछुवा से पुरवाई में तब्दील हो गया हो, वातावरण में हल्की नमी भी आ गई है। मगर इन सबके बावजूद किसानों की फिक्र बढ़ने लगी है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अगले चार दिन और मॉनसून की सक्रियता नहीं बढ़ी तो फिर धान की रोपाई पर असर पड़ने लगेगा।

प्रदेश में इस बार 3 लाख 93 हजार हेक्टेयर में धान की नर्सरी लगाई गई है और 59 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई की जाएगी। लखनऊ मण्डल के लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, हरदोई व खीरी जिलों में सर्वाधिक 48 हजार हेक्टेयर में धान की नर्सरी डाली गई है। इस मण्डल में सर्वाधिक सात लाख 27 हजार हेक्टेयर रकबे में धान की रोपाई की जानी है। दूसरे नम्बर पर अयोध्या मण्डल आता है जिसके अयोध्या, अम्बेडकरनगर, सुल्तानपुर, बाराबंकी व अमेठी जिलों में कुल 40 हजार हेक्टेयर में धान की पौध रोपी गई है और 6 लाख 4 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई होनी है। 

मौसम निदेशक जेपी गुप्त के अनुसार पिछले साल 12 जून को प्रदेश में मॉनसून दाखिल हो गया था। इस बार उम्मीद थी 15-16 जून तक मॉनसून प्रदेश पर मेहरबान हो जाएगा। मॉनसून सोनभद्र के रास्ते प्रवेश तो कर गया है पर यह अभी कमजोर है। इसे सक्रिय होने में समय लग सकता है। कृषि विभाग के पूर्व उप निदेशक सीपी श्रीवास्तव का कहना है कि मॉनसून के पिछड़ जाने से उन किसानों की परेशानी बढ़ गई है जिन्होंने धान की नर्सरी डाली थी और अब वह 18 से 20 दिन की हो गई हैं यानि अब उसकी रोपाई हो जानी चाहिए। मगर खेतों में पानी न होने की वजह से रोपाई पिछड़ रही है।

 भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के प्रदेश अध्यक्ष हरनाम सिंह वर्मा ने कहा कि उनकी स्वयं की धान की नर्सरी 22 दिन की हो चुकी है और अब उनके पास सिवाए डीजल पम्पसेट से खेतों में पानी भरवाकर धान की रोपाई करवाने के सिवाए और कोई चारा नहीं बचा है क्योंकि अब अगर और विलम्ब हुआ तो नर्सरी में लगी धान की पौध में कल्ले कम फूटेंगे जिससे उत्पादन प्रभावित होगा। 

अगला लेखऐप पर पढ़ें