किसके दावे में कितना दम? मेयर और अध्यक्षी चुनाव में दलों की जमीनी हकीकत की लगेगी थाह
यूपी में निकाय चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। दो चरणों में चुनाव होना है। सभी राजनीतिक पार्टियां, खासकर भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस निकाय चुनाव में जीत के लिए रणनीति बनाने में जुट गई हैं।
यूपी में निकाय चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। दो चरणों में चुनाव होना है। सभी राजनीतिक पार्टियां, खासकर भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस जीत के लिए रणनीति बनाने में जुट गई हैं। सभी पार्टियां उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने में जुट गई हैं। मेयर और अध्यक्षी के चुनाव से काफी हद तक राजनीतिक पार्टियों की जमीनी हकीकत तय हो जाती है।
मेयर और अध्यक्ष से तय होती है हैसियत
उत्तर प्रदेश में 760 निकाय हैं। इनमें मेयर की 17, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष की 199 और नगर पंचायत अध्यक्ष की 544 सीटें हैं। इनमें से सबसे अहम सीटें मेयर और पालिका परिषद अध्यक्ष की होती है। पिछले चुनाव में सपा के हाथ एक भी मेयर की सीट नहीं आई थी, लेकिन वह 16 में 10 सीटों पर नंबर दो थी। बसपा पिछली बार की अपेक्षा इस बार बेहतर प्रदर्शन करना चाहती है। पिछले चुनाव में बसपा को अलीगढ़ और मेरठ की सीट जीती थी। जबकि भाजपा ने 14 नगर निगमों की मेयर सीट पर कामयाबी पाई थी।
अधिक वोटों से चुना जाता है मेयर
यूपी के सभी बड़े शहरों में मेयर चुना जाता है। मेयर एक सांसद से कहीं अधिक वोटों से चुनकर आता है। कुल 17 सीटों पर मेयर का चुनाव होना है। इसीलिए भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस सभी पार्टियों की नजर मेयर की सीटों पर है। सभी प्रमुख पार्टियां मेयर और अध्यक्ष का चुनाव जीतकर अपने जनाधार का दावा लोकसभा चुनाव में प्रस्तुत करना चाहती हैं।
जमीनी हकीकत पता लगेगी
भाजपा के साथ प्रमुख विपक्षी पार्टियां पूरी दमदारी के साथ लड़कर जमीनी हकीकत का पता भी लगाना चाहती हैं। भाजपा को छोड़ दिया जाए तो सपा और बसपा में नंबर दो की जगह पाने की लड़ाई है। दोनों पार्टियां यह दावा करती रहती हैं कि भाजपा को हराने की ताकत उनमें ही है।