वर्किंग वूमन को दी जाती है मैटरनिटी लीव, जानिए यूपी में क्या है नियम और शर्तें
केंद्र और देश के दूसरे राज्यों की तरह यूपी में भी सरकार मैटरनिटी लीव देती है। यूपी में दो मौकों पर मैटरनिटी लीव (Maternity Leave) ली जा सकती है। पहली स्थाई छुट्टी और दूसरी अस्थाई छुट्टी।
केंद्र सरकार और अन्य राज्य सरकारों की तरह यूपी सरकार भी मैटरनिटी लीव देती है। मैटरनिटी लीव राज्य सरकार द्वारा निश्चित समय अवधि के लिए दो मौकों पर दी जाती है। पहली अस्थायी और दूसरी स्थायी। दोनों श्रेणी के सरकारी कर्मचारी मैटरनिटी लीव ले सकती हैं।
मातृत्व अवकाश के लिए पात्रता
मैटरनिटी लीव मैटरनिटी फेज शुरू होने से लेकर 135 दिन तक दी जाती है। यह छुट्टी केवल पहले बच्चे और दूसरे जीवित बच्चे के लिए स्वीकार की जाएगी। तीसरे बच्चे के मामले में कोई मैटरनिटी लीव नहीं दिया जाएगा। यदि महिला कर्मचारी का पुत्र असाध्य रोगों से ग्रसित है या विकलांग या अपंग है या दो बच्चों के किसी भी बच्चे में ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो विभाग आपकी छुट्टी स्वीकृत कर सकता है। सर्विस पीरियड में अधिकतम 3 बार लीव स्वीकार की जाएगी। पहली और दूसरी बार मैटरनिटी लीव के बीच में कम से कम दो साल का अंतर होना चाहिए।
अबॉर्शन के लिए छुट्टी: गर्भपात की स्थिती में अधिकतम 6 सप्ताह की छुट्टी दी जा सकती है।
कर्मचारियों को आवेदन पत्र या मातृत्व अवकाश के साथ चिकित्सा प्रमाण पत्र जमा करना आवश्यक है।
मैटरनिटी लीव के दौरान वेतन: मैटरनिटी लीव के दौरान पूरा वेतन दिया जाएगा। मैटरनिटी लीव के दौरान सैलरी संबंधित विभाग द्वारा जारी पिछले माह के वेतन के बराबर दी जाएगी। यह छुट्टी किसी भी दूसरी छुट्टी में नहीं गिनी जाएगी। बल्कि ये छुट्टी अन्य छुट्टियों की श्रेणी में आएगी।