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मैनपुरी जीतकर विरासत तो बचा गईं डिंपल लेकिन तोड़ नहीं सकीं लालू के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव का ये रिकॉर्ड

सपा की विरासत की जाने वाली मैनपुरी लोकसभा सीट पर को डिंपल यादव ने बचा लिया है। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर डिंपल यादव ने रिकॉर्ड जीत हासिल की है।

Dinesh Rathour लाइव हिन्दुस्तान, मैनपुरीThu, 8 Dec 2022 06:43 PM
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सपा की विरासत कही जाने वाली मैनपुरी लोकसभा सीट को डिंपल यादव ने बचा लिया है। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर डिंपल यादव ने रिकॉर्ड जीत हासिल की है। डिंपल यादव ने प्रतिद्वंदी भाजपा के रघुराज शाक्य को दो लाख 88 हजार से ज्यादा वोटों से परास्त कर दिया है। डिंपल की इस जीत ने 2019 में मुलायम सिंह यादव की जीत के मार्जिन को बहुत पीछे छोड़ दिया है। 2019 के चुनाव में मैनपुरी से मुलायम ने जीत दर्ज की थी। उस समय मुलायम को 524926 वोट मिले थे। वहीं भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य को 430537 वोट हासिल किए थे। मुलायम ने प्रेम सिंह शाक्य को 94389 वोटों से हराया था।

डिंपल यादव ने नेता जी के अंतर से तिगुनी बड़ी जीत हासिल की है। डिंपल को 618120 वोट मिले। मैनपुरी की पांच विधानसभा सीटों करहल, जसवंतनगर, किशनी, मैनपुरी और भोगांव में डिंपल ने जबर्दस्त वोट लिए हैं। डिंपल को सबसे ज्यादा वोट जसवंतनगर से मिले हैं। जसवंतनगर शिवपाल सिंह यादव की विधानसभा है जबकि करहल अखिलेश यादव की।

मैनपुरी उपचुनाव में डिंपल की भारी मतों से हुई जीत भी लालू यादव के दामाद और मुलायम सिंह के पोते तेज प्रताप सिंह यादव की जीत के अंतर का रिकॉर्ड नहीं छू पाई। 2014 के चुनाव में मुलायम सिंह ने मैनपुरी सीट 3.66 लाख के अंतर से जीती थी। बाद में उन्होंने सीट छोड़ दी तो लालू यादव के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव को परिवार ने लड़ाया। तेज प्रताप ने उप-चुनाव में यह सीट 3.21 लाख के अंतर से जीती। डिंपल की जीत का इंतर 2.88 लाख ही है। इस तरह उन्होंने मैनपुरी की विरासत तो बचा ली लेकिन अपने ससुर और देवर का रिकॉर्ड नहीं तोड़ सकीं।

मैनपुरी में सपा से कब किसने लड़ा चुनाव

1996 के आम चुनावों में मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव ने दांव आजमाया था। उस समय उनको 273303 वोट मिले थे, जबकि प्रतिद्वंदी उपदेश सिंह चौहान को 221345 वोट मिले थे। 2004 में मुलायम सिंह ने फिर इस सीट से चुनाव लड़ा। उस समय नेता जी को 460470 वोट मिले थे, जबकि बसपा के अशोक शाक्य को 122600 वोट मिले थे। इसी साल मुलायम ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद यहां उपचुनाव हुए। 2004 के उपचुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव ने यहां सपा की टिकट पर चुनाव लड़ा। उनको 348999 वोट मिले और विजयी भी हुए। जबकि बसपा के अशोक शाक्य को 169286 वोट मिले थे। भाजपा उस समय यहां तीसरे नंबर पर रही थी।

2009 के आम चुनाव में सपा के मुलायम सिंह यादव ने फिर दांव आजमाया और 3923008 वोट पाकर विजयी हुए। दूसरे नंबर के विनय शाक्य को 219239 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। 2014 में भी मुलायम सिंह यादव ने इस सीट से चुनाव लड़ा था। उस समय को मुलायम पांच लाख 95 हजार 918 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के शत्रुघ्न सिंह चौहान को 231252 वोटों से ही संतोष करना पड़ा था। कुछ दिन बाद यहां उपचुनाव हो गए, जिसमें तेजप्रताप यादव ने दांव आजमाया था। तेज प्रताप ने प्रेम सिंह शाक्य को हराकर 653786 वोट पाए थे। 2019 के आम चुनाव में मुलायम सिंह यादव को 524926 वोट मिले। वहीं भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य को 430537 वोट हासिल हुए थे।

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