नहीं हो रहा लखनऊ का विकास, खर्च करने की गति धीमी, PWD और नगर विकास खर्च करने में फिसड्डी
यूपी में सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद कई विभाग ऐसे हैं जो पूरे साल विकास के काम करने की निरंतरता नहीं कायम कर पा रहे हैं। अंत के महीनों में रकम खर्च करने की पुरानी परिपाटी पर ही काम चल रहा है।
यूपी में सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद कई विभाग ऐसे हैं जो पूरे साल विकास के काम करने की निरंतरता नहीं कायम कर पा रहे हैं। अंत के महीनों में रकम खर्च करने की पुरानी परिपाटी पर ही काम चल रहा है। विकास में अहम योगदान देने वाले लोक निर्माण विभाग, नमामि गंगे, समाज कल्याण, नगरीय विकास, नागरिक उड्डयन आदि विभाग खर्च करने में फिसड्डी नज़र आ रहे हैं। इन विभागों की निर्माण और जनता से जुड़ी योजनाओं की प्रगति संतोषजनक नहीं मानी जा रही है। नौबत यह है कि सभी विभाग मिलकर छह महीने में सिर्फ 32 फीसदी बजट खर्च कर सके हैं और बाकी बचे छह महीनों में 68 फीसदी बजट खर्च करने की चुनौती होगी।
चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल बजट 651786.35 करोड़ रुपये के सापेक्ष पहले छह महीने यानी अप्रैल से सितंबर के बीच राज्य सरकार ने 337372.78 यानी आधे से अधिक स्वीकृत कर दिया था। जिसमें से कुल 208993 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके हैं। खर्च की गई धनराशि कुल बजट का 32.06 फीसदी है यानी वित्तीय वर्ष के शेष छह महीने में विभागीय योजनाओं तथा अन्य खर्चों में विभागों को तेजी दिखाते हुए करीब 68 फीसदी बजट खर्च करना होगा।
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पीडब्ल्यूडी की सड़क, पुल निर्माण की गति सुस्त
लोक निर्माण विभाग का अवस्थापना मद में खर्च सामान्य है। वहीं भवन निर्माण में कुल बजट का महज 7.72 फीसदी, विशेष क्षेत्र कार्यक्रम की योजनाओं में कुल बजट का 4.83 फीसदी, कम्युनिकेशन-ब्रिज मद में 7.92 फीसदी और कम्युनिकेशन रोड मद में 10.22 फीसदी ही खर्च हो सका है। विभाग के पास अगले छह महीनों में विकास से जुड़े सड़क, पुल, भवन निर्माण आदि की योजनाओं में शेष 90 फीसदी बजट खर्च करने की बड़ी चुनौती होगी।
नमामि गंगे बजट के सापेक्ष कुल 12.14 फीसदी ही खर्च हुआ
कृषि और उससे संबंधित विभागों में नमामि गंगे 12.14 फीसदी, हार्टिकल्चर व सिल्क के मद में कुल 19.99 फीसदी, कृषि मद में 25.01 फीसदी, जल संसाधन विकास मद में 26.18, ग्रामीण विकास में 23.39 फीसदी, पंचायतीराज 40.39 फीसदी, पशुपालन 30.44 फीसदी, दुग्ध विकास 25.74, मतस्य विकास 20.01, फूड एंड सिविल सप्लाई 20.17, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण 24.64 फीसदी, एलोपैथी 27.41 फीसदी, आयुर्वेद एवं यूनानी 26.59, होम्योपैथी 34.13, परिवार कल्याण 45.09 तथा महिला एवं बाल विकास के मद में बजट का कुल 28.68 फीसदी ही खर्च किया जा सका है। सीधे जनता के कल्याण से जुड़े अन्य तमाम विभागों की प्रगति भी उत्साहजनक नहीं है।
बजट के सापेक्ष छह माह में खर्च
सबसे अधिक खर्च
चीनी उद्योग में 62.85 फीसदी
परिवहन में 46.89 फीसदी
श्रम कल्याण में 46.79 फीसदी
सहकारिता में 46.55 फीसदी
सबसे कम खर्च
नागरिक उड्डयन में 2.2 फीसदी
राजस्व (नेचुरल क्लेम) में 3.72 फीसदी
राष्ट्रीय एकीकरण में 4.17 फीसदी
पीडब्ल्यूडी (विशेष क्षेत्र योजना) में 4.83 फीसदी
पीडब्ल्यूडी (भवन) में 7.72 फीसदी
पीडब्ल्यूडी (ब्रिज) में 7.92 फीसदी